ज्योतिराज सिंधिया के गढ़ में छुपा कांग्रेस का भविष्य
ताज मिलेगा या बनवास दिग्गज नेताओं का जमावड़ा साख भी लगी है दाव पर
भोपाल (संतोष जैन) - इस बार का उपचुनाव पिछले चुनावों से हटकर होगा एक तो कोरोना काल में चुनाव हो रहे हैं इसलिए ढेरों बंदसे हैं साथ ही सरकार का भविष्य भी तय होगा इसमें सिंधिया के गढ़ की महत्वपूर्ण भूमिका होगी बात हो रही है ग्वालियर चंबल संभाग की वैसे तो राज्य की 28 सीटों पर उपचुनाव को रहे हैं लेकिन ग्वालियर चंबल में उपचुनाव की सबसे ज्यादा सीटें हैं इस संभाग पर दलों का ज्यादा फोकस है यहीं से तय होगा कि कांग्रेस को सत्ता मिलेगी या फिर उसे वनवास पर ही रहना होगा
पुराने साथियों से मुकाबला
ग्वलियर चंबल संभाग सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली थी अब स्थितियां बदली हैं सिंधिया भाजपा के पाले में हैं उनके समर्थक विधायक भाजपा के साथ हैं ऐसे में माना जा रहा है कि यह पूर्व विधायक यहां दोबारा मैदान में होंगे उनका मुकाबला अपने ही पुराने साथियों से होगा जो इनके लिए काम करते थे अब वे प्रतिद्वंदी होंगे ऐसे में मुकाबला रोचक होने के आसार हैं
बदलता रहा है मतदाताओं का मिजाज
ग्वालियर चंबल संभाग में मतदाताओं का मिजाज बदलता रहा है पिछले एक दशक के चुनावों में भाजपा कांग्रेस के अलावा बसपा पर भी मतदाताओं ने भरोसा जताया 16 सीटों की ज्यादातर मतदाताओं ने कभी एक दल पर भरोसा नहीं किया यानी किसी भी दल को लगातार चुनाव जिता कर विधानसभा तक नहीं पहुंचाया