वन अमले पर दंडात्मक कार्यवाही न होने पर नेपानगर क्षेत्र ने छेड़ा जेल भरो आन्दोलन | Van amle pr dandatmak karyvahi na hone pr nepanagar shetr ne chheda jail bharo andolan
वन अमले पर दंडात्मक कार्यवाही न होने पर नेपानगर क्षेत्र ने छेड़ा जेल भरो आन्दोलन
कानून का प्रचार करने वाले आदिवासियों के साथ मारपीट एवं अपहरण करने वालों पर कार्यवाही हो या हज़ारो कानून की बात करने वाले आदिवासियों को किया जाए गिरफ्तार
बुरहानपुर। (अमर दिवाने) - अवैध मारपीट एवं अपहरण के लिए ज़िम्मेदार वन विभाग अधिकारियों तथा अवैध कटाई को संरक्षण देने वाले वन अमले पर दंडात्मक कार्यवाही न होने पर नेपानगर क्षेत्र ने छेड़ा जेल भरो आन्दोलन। कानून का प्रचार करना यदि गुनाह है तो हम सभी दोषी है।
दिनांक 16.09.20 को हज़ारों की संख्या में आदिवासियों द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं पात्र वन अधिकार दावेदारों के साथ हुई अवैध अपहरण एवं मारपीट के लिए ज़िम्मेदार वन विभाग अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग करते हुए जेल भरो आन्दोलन चालू हुआ। रेंज ऑफिस में अपहरण और मारपीट कर वन विभाग द्वारा भारत सरकार एवं सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों एवं कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन किए जाने के बावजूद शासन प्रशासन द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही है। आन्दोलनकारियों के अनुसार, यदि कानून का प्रचार प्रसार गुनाह है, तो हम इसके दोषी है, और हम सभी को गिरफ्तार किया जाए। वन कटाई में शामिल वन अमले पर कार्यवाही की मांग भी जोरों से उठाई गई।
बुरहानपुर के वन विभाग द्वारा 29 एवं 30 अगस्त को वन अधिकार दावेदारों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को अवैध रूप से रास्ते एवं कोर्ट में से उठाया गया।इसके बाद उन्हें रेंज ऑफिस में बंधक बनाया गया, जो कि गैर कानूनी है- रेंज ऑफिस एक अधिकृत हिरासत केंद्र नहीं है। रेंज ऑफिस में कैलाश जमरे एवं प्यारसिंह वास्कले को यह कह के बर्बरता पूर्वक मारा गया कि "तू ज्यादा कानून की बात कर रहा है, पूरे क्षेत्र में कानून कानून करता रहता है।" रेंज ऑफिस में हुई शारीरिक और मानसिक प्रताड़णा के कारण कैलाश जमरे गश खा कर न्यायालय में ही गिर गए और वे 6 दिन तक अस्पताल मे भर्ती रहे। उनके शरीर पर चोंटों के निशान पाए गए और वे 5 दिन तक खाना नहीं खा पाये, हफ्ते भर तक चक्कर आते गए और अभी भी ठीक से चल नहीं पा रहे हैं। क्षेत्र में चल रही वन कटाई पर वन विभाग पर निशाना साधते हुए। आन्दोलनकारियों का मानना है कि वन अमले की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने में वन कटाई संभव नहीं है। संगठन द्वारा दो महीने से प्रशासन को जिले में चल रही अवैध कटाई के बारे में शिकायत एवं सम्बंधित जानकारी भी दी जा रही है, परन्तु जोर जबरदस्ती कर अवैध कटाई करने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। वन विभाग भी असली अवैध कटाई करने वालों को रोकने में विफल दिखाई पड़ रहा है एवं कानून की चेतना लाने वालों पर अवैध मारपीट एवं अपहरण करने में ही सक्षम दिखाई पड रहा है।
जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में कुछ दिनों में पट्टे बांटने की घोषणा की जा रही है, दूसरी ओर वन विभाग द्वारा लगातार वन अधिकार की प्रक्रिया में अडंगा लगाया जा रहा है। म.प्र. सरकार द्वारा वन अधिकार अधिनियम की प्रक्रिया पुनः इसलिए चालु की गई थी क्यूंकि इससे पहले हुए प्रक्रिया में कई त्रुटियाँ रही। इस बात का सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी पेश किया है। कानूनअनुसार वन अधिकार अधिनियम की प्रकिया का पालन नहीं किया जा रहा, जिस वजह से वर्तमान में बुरहानपुर जिले में ऑनलाइन हुए 11000 दावों में से केवल 54 जिले स्तर तक पहुँच पाए है।
आन्दोलनकारियों की यह मांग है कि कैलाश जमरे एवं उनके साथियों के साथ हुई अवैध अपहरण एवं मारपीट के लिए ज़िम्मेदार वन अधिकारियों पर तुरंत कार्यवाही की जाए एवं FIR दर्ज की जाए। इसके साथ जागृत आदिवासी दलित संगठन द्वारा यह भी मांग की जा रही है कि अवैध वन कटाई पर रोक लगाते हुए कटाई को संरक्षण देने वाले सभी वन अमले पर तुरंत कार्यवाही की जाए।
आदिवासियों ने गीतों और भाषण के माध्यम से शासन प्रशासन को आगामी नेपानगर उप चुनाव के बारे में संबोधित किया कि यदि दोषी वन कर्मियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाति है तो इसका असर चुनावों में दिखेगा , तथा यह भी कहा कि यदि सरकार आदिवासी अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकती तो वे आगामी चुनाव में उनसे वोट मांगने न आए।
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