शहीद क्रांतिकारी राजा शंकर शाह एवं रघुनाथ शाह के बलिदान पर श्रद्धांजलि अर्पित कर लिया संकल्प
अलीराजपुर (रफीक क़ुरैशी) - स्थानीय टंट्या मामा गाता स्थल पर क्रांतिकारी शहीद राजा शंकर शाह एवं वीर रघुनाथ शाह के शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर अजाक्स जिला उपाध्यक्ष रतन सिंह रावत, आकास उपाध्यक्ष केरम जमरा, आकास महासचिव भंगुसिंह तोमर, जयस उपाध्यक्ष अरविंद कनेश ने सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत देश व दुनिया के इतिहास में शायद ही कोई ऐसा महान प्रेरणादाई बलिदान होगा । जिसमें पिता-पुत्र को उनकी प्रजा व परिवार के सामने तोप से बांधकर उन्हें उड़ा दिया जाता है और उनके पावन शरीर के चिथड़े चिथड़े तथा खून का कतरा कतरा भारत की पवित्र भूमि में बिखर जाता हैं । उस महान पिता पुत्र के चिथड़े चिथड़े को इकट्टा करके उनका अंतिम क्रिया कर्म उनके परिवार के सदस्यों व प्रजा द्वारा किया जाता है । उन्हें तोप से उड़ाने से पहले महान पिता पुत्र के सामने अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा एक शर्त रखी जाती है कि यदि पिता माफी मांगेंगे तो पुत्र को छोड़ दिया जाएगा और पुत्र माफी मांगेंगे तो पिता को छोड़ दिया जाएगा । लेकिन दोनों ही महान पिता-पुत्र ने अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी और सीना तान कर हंसते हंसते अपनी प्रजा और परिवार के सामने इस देश की मातृभूमि की रक्षा करते हुए मौत को गले लगाना पसंद किया । इस हृदय विदारक एवं शरीर के रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना भी भारत के आजादी के आंदोलन में घटित होती है और वह राजा तथा उनका होनहार पुत्र इस देश की सबसे ईमानदार व अपनी मातृभूमि के प्रति समर्पित और निस्वार्थ भाव से आजादी की लड़ाई लड़ने वाला कौम आदिवासी समाज से आते हैं । हमें गर्व होता है कि हम ऐसी कौम की संतान है । इतिहास के इतने बड़े व महान बलिदान को भी इतिहास के पन्नों में न्याय पूर्ण स्थान नहीं मिल पाता है । यह हमारे लिये दुखत बात है । यह तो भला है उस आदिवासी समाज के सपूत ओमकार सिंह मरकाम का जिन्होंने मध्यप्रदेश शासन में मंत्री रहते हुए महान शहिद राजा शंकर शाह एवं रघुनाथ शाह के बलिदान स्थल को प्रेरणा केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रण लिया और 3 मार्च,2019 को प्रेरणा केन्द्र के रुप में उद्घाटन किया और 18 सितंबर, 2019 को इसे मूर्त रूप देकर एक बड़ा कार्यक्रम जबलपुर महानगरी में करवाया और इस महान बलिदान को दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया । हम उन्हें तहे दिल से सलाम करते हैं और समाज तथा देश के नेतृत्वकर्ताओं से अपील करते हैं कि इतिहास के अंधेरों में छिपे हुए देश के महान सपूतों को दुनिया के सामने लाने का प्रयास करें ताकि इस सदी के युवा साथी उनके बलिदान से कुछ सीख सके और देश के बिगड़ते हुए हालात को सुधारने में अपना अमूल्य योगदान दे सकें । इस पिता पुत्र के महान बलिदान को जिन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है, उनकी 164 वीं पुण्यतिथि के इस पावन अवसर पर नतमस्तक होकर शत शत नमन करते हैं । साथ ही देश के सच्चे सपूतों से इस पुण्य अवसर पर निवेदन करते हैं कि वह महान पिता पुत्र के बलिदान से प्रेरणा लेकर इस देश की माटी व दुनिया के हित में निस्वार्थ तथा समर्पित भाव से कुछ ऐसा कार्य करें कि आपका नाम भी इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जा सके । इस अवसर पर समाज के भुवनसिंह भाबर, संदीप चौहान, गुलाबी तोमर, प्रेमलता भाबर, बसंती चौहान, अन्नू चौहान एवं श्वेता तोमर आदि उपस्थित थे।
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