भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष यशवंत यादव के जन्मदिन पर काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ
मातृ भूमि की आन पर हमें प्राण लुटाना भी आता है:दीपक यदुवंशी
सिंधु नदी की धाराओं को धाराओं से छला गया:दीपक साहू सरस
बैतूल (यशवंत यादव) - भाजपा ग्रामीण मंडल के यशस्वी अध्यक्ष यशवंत यादव के जन्मदिवस के अवसर पर ग्राम मालेगांव में दिनांक 6 सितंबर 2020 को काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई,साथ ही सम्मान समारोह का आयोजन भी हुआ।कार्यक्रम के संयोजक युवा कवि दीपक यदुवंशी ने बताया कि कार्यक्रम में राष्ट्रीय कवि पुष्पक देशमुख प्रभातपट्टन, नितेश कुमार नैश भोपाल,मदन सोनी मोरखा, जयकिशन चंदेल मुलताई, दीपक साहू खेड़ली बाजार, रामानंद बेलें आमला,कैलाश सलाम, रंजीत गोहे आमला, देव कवड़कर बमनी, मोहन यदुवंशी, रामनाथ यदुवंशी कठोतिया, नवनीत अग्रवाल, केतन बडघरे मुलताई, प्रदीप यदुवंशी मदनी आदि कवि गणों ने काव्य रस बिखेरा।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बतौर भरत यादव पुर्व जनपद उपाध्यक्ष उपस्थित थे,विशिष्ट अतिथि बतौर समाजसेवी मनोज विश्वकर्मा,हरि यादव सरपंच बोरी,भानु चन्देलकर, रोहित दुबे पत्रकार, आनन्द यादव सरपंच, पवन कुमार यदुवंशी प्रदेश प्रवक्ता यादव समाज, संदीप यादव जिला अध्यक्ष यादव समाज, लेखराम यदुवंशी युवा ब्लाक अध्यक्ष, सुकु यादव सरपंच,सुनील यदुवंशी ब्लाक संगठन मंत्री, करणलाल शिक्षक खजरी, राजु यदुवंशी घाटावाड़ी,दीना पटेल कचरबोह आदि उपस्थित थे।
सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा वाग्देवी माँ सरस्वती जी के छाया चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुवात की गई।काव्य गोष्ठी में काव्य की रसधार बह पड़ी।प्रभातपट्टन से पधारे राष्ट्रीय कवि पुष्पक देशमुख ने वर्तमान राजनीति के बदले परिदृश्य पर चोट करते हुए कहा"सत्ता के जख्म दिल मे चोट बनकर रह गए,आज देश मे लोग सिर्फ वोट बनकर रह गए,और जिस पर टिका है देश का लोकतंत्र,उसके नींव के पत्थर सिर्फ नोट बनकर रह गए।भोपाल से पधारे श्रृंगार रस के कवि नितेश कुमार नैश की कविता "वो जो मुस्कुराकर खिंजा को बहार करते है,एक मुद्दत से बड़ी शिद्दत से हम उनसे प्यार करते है" ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।वही मुलताई से पधारे वरिष्ठ कवि जय किशन चंदेल शैलेन्द्र की कविता ने लोगो को सोचने पर मजबूर कर दिया " शहर में जख्मो के निंशा भर गए है,क्या कुछ बड़े लोग मर गए है।कवि देव कवड़कर की बेटियों पर सुनाई कविता ने मन मोहा "श्रष्टी शांति बेटियां है समता की ममता है बेटियां, आंगन में तुलसी सी रहती है बेटियां"। कार्यक्रम के सूत्रधार कवि दीपक यदुवंशी की कविता ने लोगो मे जोश भर दिया "मातृभूमि की आन पर हमें प्राण लुटाना भी आता है,हरने तिमिर देहरी पर हमें दीप जलाना भी आता है"।कवि रामानंद बेले राजन की कविता ने किसानों की व्यथा पर सुंदर चित्रण किया "गांवों और शहरों की जुदा है तस्वीर हिंदुस्तान की,आओ सुनाऊ तुम्हे व्यथा मजदूर गरीब किसान की"।कवि कैलाश सलाम की कविता "अपने हौंसलो को आजमाना चाहिए,मुस्कुरा के मुसीबत को गले लगाना चाहिये" ने श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी।कवि रंजीत गोहे अकेला की कविता ने खूब शमाँ बांधा " चलिये गुफ्तगू को अंजाम तक ले जाएं, जिंदगी को सुकुने मकाम तक ले जाये"।वरिष्ठ कवि मदन सोनी मदन की कविता ने देश भक्ति का भाव भर दिया "मेरे देश का रूप सलोना है,सागर जैसी है मर्यादा,हर धर्म मे आस्था पूरी है,स्तुति,इबादत,प्रेयर में बस भाषाओं की दूरी है"।कवि रामनाथ यदुवंशी की कविता "क्यो इतनी कटुता पाल रखी अपने इस व्यवहार में"।कवि केतन बड़घरे की कविता "तुम ताजमहल हो"।कवि नवनीत अग्रवाल की कविता "लाखो दुखो को झेलकर,सारे सुखों को छोड़कर"।उदीयमान कवि प्रदीप यदुवंशी की कविता " मेंहन्दी वाले हाँथो ने जब मंगलसूत्र उतारा होगा,उसकी चीखती जुबान से सारा जग हारा होगा" आदि कविताओं ने उपस्थित श्रोताओं की खूब तांलिया बटोरी।
काव्य गोष्ठी का कुशल मंच संचालन कर रहे प्रख्यात कवि दीपक साहू सरस का मंझा हुआ संचालन सब को भाया और श्रेष्ठ संचालन ने सबको बांधे रखा।इनकी कविता "सिंधु नदी की धाराओं को धाराओं से छला गया,विपरित बहता पानी मेरे भाल पर से चला गया"पर श्रोता झूम उठे। अंत मे सभी ने मिलकर यशवंत यादव को जन्मदिन की शुभकामनाए शब्द पुष्पों के माध्यम से दी।अंत मे अपने उद्बोधन में यशवंत यादव ने कहा कि आज इस शानदार काव्य गोष्ठी कार्यक्रम में मेरे इस जन्मदिन को यादगार बना दिया।
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