मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी की पहली सुपर क्रिटीकल 660 मेगावाट यूनिट का HP टरबाइन हुआ खराब
करोड़ों के नुकसान और महीनों रहेगा यूनिट से बिजली उत्पादन ठप्प
घटिया निर्माण की खुलगयीं परतें!
मान्धाता (संतीश गमरे) - संत सिंगाजी पावर परियोजना की इकाई नंबर तीन ने जल्द बाजी मे एक कीर्तिमान बनाया था लेकिन यूनिट ने करीब 2 सालो बाद ही पी जी टेस्ट मे तोड़ा दम HP टरबाइन हुई खराब , घटिया निर्माण की खुली पोल , करोडो का नुकसान
लीपापौती करने के उद्देश्य से इकाई का वार्षिक संधारण घोषित कर दिया गया जिम्मेदारों को बचाने के लिए अपनाए जा रहे है नये नये हथकंडे शासन को चाहिए की मामले की उच्चस्तरीय जांच देश के स्वतंत्र अनुभवी विशेषज्ञों से सूक्ष्म जांच करायी जानी चाहिए जिससे दोषियों को उचित दंड मिल सके
ऊपर से आये आदेश के बाद टेक्निकल डायरेक्टर ए के टेलर परियोजना मे डेरा डाल बैठे है जिनके रिटायरमेंट के भी चंद ही दिन शेष बचे हैं वर्तमान मे परियोजना जिस हालात मे है उसमे पूरा हाथ इन्ही का है
बीड ॥ ॥ प्रदेश की पहली सुपर क्रिटिकल पावर परियोजना का तमगा अपने पास होने के बावजूदद भी संत सिंगाजी पावर परियोजना संगठित भ्रष्टाचार की ऐसी भेंट चढ़ी की जिसका अनुमान शायद ही कभी सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने भी नही लगाया होगा ॥ प्रथम चरण के बंटाढार होने के बाद भी उससे कोई सबक ना लेकर द्वितीय चरण के निर्माण मे भी शासन ने गुणवत्ता पर कोई ध्यान नही दिया सरकार को मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी जेसा नचाती गई सरकार भी नाचती रही परियोजना की इकाई नंबर तीन को निर्धारित समय से 10 दिनो पूर्व ही 14 अगस्त 2018 को लाइटप कर कंपनी द्वारा एक नया कीर्तिमान बनाया जाकर उसे एक महोत्सव की तरह दिखाया गया
लेकिन मटेरियल की गुणवत्ता पर कभी भी किसी ने ध्यान ही नही दिया जिसके गंभीर परिणाम स्वरूप 5 अगस्त 2020 को 660 मेगावाट की तीन नम्बर यूनिट का जब सारी मशीनीरिया लगाकर परफार्मेंस गारंटी टेस्ट (पी .जी टेस्ट) किया जा रहा था उसी समय इकाई को फूल लोड पर ले जाने के दौरान ही यूनिट नंबर तीन की टरबाइन मे हाई वाईब्रेशन आ जाने के कारण यह 660 मेगावाट की इकाई बंद हो गई थी जब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए लागत की इकाई के टरबाइन को खोलकर देखा गया तो अधिकारी भी सदमे मे आ गए क्योकी यूनिट के हाई प्रेशर टरबाइन के मेन बेरिंग और कई ब्लेड छिद्रित एवं टूटी पाई गई जो यूनिट के निर्माण और भविष्य पर सैकड़ों प्रश्न खड़ा कर रही है? जिसमे करोडो रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है जिसका भुगतान भी परियोजना का मालिकाना हक रखने वाली मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी को ही करना पड़ेगा जिससे घबराकर लीपापोती के उद्देशय से कंपनी मुख्यालय जबलपुर द्वारा 22 अगस्त को यूनिट का वार्षिक संधारण घोषित कर दिया गया ताकि सण्घ्ठित भ्रष्टाचार की पोल नही खुल सके और जिम्मेदार अधिकारियो को कार्यवाही का सामना ना करना पड़े और इन्हे बचाया जा सके यह इकाइयां जापान द्वारा सुपर क्रिटिकल टेक्नॉलाजी द्वारा निर्मित की गई है टरबाइन के क्षतिग्रस्त हिस्से को ठीक करने एवं बेलेन्सिन्ग करने मे कई माह का समय लग सकता है जिससे कंपनी को करोडो रुपए की उत्पादन हानि होना भी निश्चित है जबकि कंपनी के एम डी मंजीत सिंह की जवाबदेही मे ही इन इकाइयों का निर्माण किया गया है जिसके लिए उन्हे 26 मई 2020 को पुरुस्कृत कर मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग का एम डी बना दिया गया वही टेक्निकल डायरेक्टर ए .के टेलर ने निर्माण के समय क्या देखा या अभी की तरह पहले भी परिवार के साथ आकर केवल पिकनिक ही मनाई है विषय गंभीर है सरकार को उच्च स्तरीय जांच करने की आवश्यकता है जिससे सिंगाजी ताप परियोजना के निर्माण में हुए करोड़ो के भ्रष्टाचार से पर्दा हटे और दोषियों को दंड मिल सके ॥
टरबाइन को खोल कर सुधार कार्य जारी है यूनिट का लाइटप कब तक होगा अभी कुछ कहा नही जा सकता॥
ए के शर्मा
अतिरिक्त मुख्य अभियंता
सिंगाजी पावर परियोजना
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