किसानों का दर्द, काश्तकारों को लागत का 10% भी फायदा नही मिल रहा, किसान मरने की लगा रहे गुहार | Kisano ka dard kashtkaro ko lagat ka 10% bji fayada nhi mil rha

किसानों का दर्द, काश्तकारों को लागत का 10% भी फायदा नही मिल रहा, किसान मरने की लगा रहे गुहार

सोयाबीन में मोजेला वायरस का कहर

सरकार की ओर से कोई मदद ना मिलने से किसान हो रहे परेशान

कोरोनावायरस में फसलों का उचित मूल्य नहीं मिला, अब दो बार सोयाबीन बोने के बाद भी नहीं उगा सोयाबीन

फसल ऋण बीमा आज तक नहीं मिला अब क्या मिलेगा

किसानों का दर्द, काश्तकारों को लागत का 10% भी फायदा भी नही मिल रहा, किसान मरने की लगा रहे गुहार

अगराल/झाबुआ (रमेश पाटीदार) - जिले में फिर किसान संकट में हैं।चाहे अतिवृष्टि या जिले में उन्नत बीज और यूरिया की कमी सराकर की ओर से कोई मदद न मिलने से अन्नदाता को लगातार छला जा रहा है। अब  फसलें संकट में है।इन दिनों जिले के अगराल,गोपालपुरा,पेटलावद जैसे ग्रामो में प्रचुर मात्रा में बोए जाने वाला पीला सोना कही जाने वाली सोयाबीन की फसल पर वायरस के अटैक से किसान परेशानी में हैं।

झाबुआ जिले में प्रकृति की मार से एक बार फिर किसान संकट में हैं. औसत से ज्यादा वर्षा यूरिया की किल्लत के कारण फसलें संकट में है. पीला सोना कही जाने वाली सोयाबीन की फसल पर वायरस के अटैक से किसान परेशानी में हैं। किसानों का यह भी आरोप है कि सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती कृषि ऋण आज तक उन्हें नहीं मिला।

पीला मोजक नाम के वायरस के अटैक से सोयाबीन की फसल खेतो में खराब होने लगी है। रोग लगने के कारण फलिया बढ़ नहीं रही है।वही खराब फसल के नुकसानी सर्वे की मांग भी उठने लगी है. किसानों का कहना है कि सरकार को भी मैदानी हकीकत का आकलन करना चाहिए। काश्तकार को फसल की व्यय राशि का 10 प्रतिशत भी नहीं मिल पा रहा है किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है अब किसान को मरने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहा ऐसे समय में सरकार को आगे आकर किसान की मदद करना चाहिए।

कृषि विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि हम लगातार किसानों के खेतों में जाकर फसलों का अवलोकन करके वायरस को नियंत्रण करने के दिशा निर्देश दे रहे हैं पर ये जिम्मेदार किसानों की पीड़ा को समझ कर सरकार की ओर से मदद कब तक देगे  उस सच्चाई से कोषों दूर  भाग रहे हैं।

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