शिक्षा और नैतिक मूल्य एक सिक्के के दो पहलू है - डॉ दीपेन्द्र शर्मा | Shiksha or netik mulya ek sikke ke do pehlu hai
शिक्षा और नैतिक मूल्य एक सिक्के के दो पहलू है - डॉ दीपेन्द्र शर्मा
अ भा सा प का ऑनलाइन वेबिनार सम्पन्न
मनावर (पवन प्रजापत) - शिक्षा और नैतिक मूल्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैऔर नैतिक मूल्य विहीन शिक्षा आत्मा विहीन शरीर के समान है आपने भले वेद ना पढ़े हो लेकिन अगर आपने किसी की वेदना पढ़ ली तो जीवन सफल समझो ।
उपरोक्त विचार अखिल भारतीय साहित्य परिषद मनावर के "वर्तमान शिक्षा और नैतिक मूल्य" विषय पर आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में बतौर अतिथि के रुप में पधारे भोज शोध संस्थान के निदेशक डॉ दीपेन्द्र शर्मा ने व्यक्त किए ।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना से हुई । स्वागत भाषण देते हुए परिषद के मनावर महासचिव विश्वदीप मिश्र ने कहा कि शिक्षा के व्यावसायिकरण के कारण नैतिक मूल्यों का ह्रास हुआ है और वर्तमान शिक्षा सिर्फ डिग्री आधारित हो गई है । बतौर मुख्य अतिथि के रुप में पधारे परिषद के मालवा प्रांताध्यक्ष त्रिपुरारि लाल शर्मा ने कहा कि पहले नैतिक मूल्य मनुष्य के चेहरे से झलकते थे किन्तु आज शिक्षा मात्र कागज पर आधारित हो गई है जहां युवा सिर्फ डिग्री हासिल करना ही अपना लक्ष्य समझते हैं । विशेष अतिथि के रुप में पधारे परिषद के धार जिलाध्यक्ष शरद जोशी शलभ ने विषय पर बोलते हुए कहा कि शिक्षा के अभाव में जीवन लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकते और यदि मूल्य आधारित शिक्षा हो तो लक्ष्य हासिल करने में सरलता होती है । सउदाहरण समझाते हुए इन्होंने कहा कि जिस प्रकार बिना शिल्प उकेरा संगमरमर भी एक सामान्य पत्थर के टुकड़े के समान है उसी प्रकार मूल्य विहीन शिक्षा निरर्थक है । कार्यक्रम में टेक्नीकल सहयोग के रुप में परिषद के कोषाध्यक्ष राजा पाठक और रघुवीर सिंह सोलंकी उपस्थित थे । वेबिनार में देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों ने भाग लिया । संचालन मुकेश मेहता ने और आभार संयोजक राम शर्मा परिंदा ने व्यक्त किया ।
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