आस्ट्रिया के इंजीनियर..भारतीय संस्कृति के अधीन ओंकारेश्वर तीर्थस्थल पर योगी ब्रह्मचारी नर्मदाशंकर जी | Austria ke engineer bhartiya sanskriti ke adhin onkareshvar tirth sthal

आस्ट्रिया के इंजीनियर..भारतीय संस्कृति के अधीन ओंकारेश्वर तीर्थस्थल पर योगी ब्रह्मचारी नर्मदाशंकर जी

आस्ट्रिया के इंजीनियर..भारतीय संस्कृति के अधीन ओंकारेश्वर तीर्थस्थल पर योगी ब्रह्मचारी नर्मदाशंकर जी

बुरहानपुर। (अमर दिवाने) - योगी श्री ब्रह्मचारी नर्मदाशंकर महारा मूलतः यूरोप के देश आस्ट्रिया के निवासी हैं। आस्ट्रियन माता-पिता की संतान अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर वर्ष 1984 में 21 वर्ष की उम्र में भारत भ्रमण हेतु हिमालय और अन्य जगह यात्रा करके गाँधी जी के आश्रम साबरमती आए। वहां आश्रम में उन्होंने ओंकारेश्वर का एक चित्र देखा और पूछा कि..." ये कौन सी जगह है..? पता चला कि मध्यप्रदेश स्थित ओंकारेश्वर है। वो तस्वीर ऐसी भायी की ओंकारेश्वर पर्वत की ॐ सी दिखने वाली फ़ोटो को देखके वो उसकी ओर खींचा चला जाता है और उसे लगता है कि कोई शक्ति उसे ओंकारेश्वर की तरफ खींच रही है। 1984 में ओंकारेश्वर बेहद पिछड़ा सा इलाका था। रात को किसी तरह एक धर्मशाला मिल गयी। थकान बहुत थी सो नींद जल्दी ही लग गयी। सुबह होते ही जैसे ही बाहर का नज़ारा देखा कि ओंकारेश्वर से प्यार हो गया। माँ नर्मदा सामने थीं – तट पर लोग कर्मकांड कर रहे थे – दूर पहाड़ थे। 

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ओंकारेश्वर घूमते-घूमते उन्हें दूर पहाड़ पर एक गुफा दिखी। गुफा में उनकी मुलाकात उनके गुरु भाई किशनदास से हुई। किशन दास जी (फक्कड़ बाबा) से उन्होंने पूछा कि क्या वो भी उनके साथ आकर रह सकते हैं, तो उन्हें जवाब मिला हाँ। तो अब एक यूरोपियन इंजीनियर भी गुफा में रहने लगा। बाबा नर्मदा शंकर को लगा कि किशन सुबह 4  बजे उठकर कहीं जाते हैं तो एक दिन उन्होंने देखा कि ऊपर पहाड़ से उनके गुरु उतर कर आते हैं, और ये सभी नर्मदा माँ में स्नान करने जाते हैं। सो शुरुआत हुई गुरु से मिलने की। गुरुदेव श्री रघुनाथजी महाराज यम नियम के बेहद कड़े गुरु थे। बाबा नर्मदाशंकर को देखते ही बोले तुम्हारी असली मंजिल यही है, और हमे तुम्हारा ही इंतज़ार था। कुछ समय बाद उनका वीजा ख़त्म हो रहा था। 

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और उन्हें वापस ऑस्ट्रिया लौटना था। वहां जाकर एक अदभुत घटना घटी। जब वो वीजा लेने भारतीय एम्बेसी गए और भारतीय काउंसल से मिले तो उन्होंने कमरे में घुसते ही कहा नर्मदे हर। काउंसल बहुत खुश हुआ क्योंकि वो भी जबलपुर का निवासी था। उन्होंने पूछा आप भारत कब तक रहना चाहते हो – बाबा ने जवाब दिया "मरते दम तक" काउंसलर ने उन्हें एक्स वीजा दे दिया जो अगले 17 साल तक उन्हें भारत में रखने के लिए काफी था। और फिर उसके बाद 2008  में उन्होंने भारतीय नागरिकता ले ली। इस दौरान उन्होने नर्मदा परिक्रमा पूरी की जिसे एक योगी 3 साल, 3 महीने और 13 दिन में पूरी करते हैं। नंगे पाँव उन्होंने 3300 किलोमीटर की ये लम्बी यात्रा पूरी की।

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