शहर के पॉश इलाके से लेकर जिले की आखिरी छोर तक कोरोना की दस्तक
निजी स्कूल किसी भी छात्र को नहीं कर सकेंगे डिटेन
आपस में चंदा करके बना रहे गांव की सड़क
जबलपुर (संतोष जैन) - 2 दिन में कोरोना पॉजिटिव व्यक्तियों की संख्या तेजी से बढ़ने के साथ ही संक्रमण की शहर के बीच पॉश इलाके से लेकर जिले के आखिरी छोर तक दस्तक हो गई है lockdown समाप्त होने के बाद दूसरे राज्यों से जिले में स्थित अपने घर लौट रहे हैं उपचार व्यापार सहित अन्य कारणों से भी महानगरों तक आवाजाही बढ़ी है दूर से लौट रहे लोगों से लगातार संक्रमण के मामले में मिल रहे हैं इससे संक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है शहर में संक्रमण के प्रवेश के बाद लॉकडाउन के आखिरी स्टेज में मजदूरों की वापसी के बाद बरगी शहपुरा सिहोरा और उससे लगे गांवों तक पहुंचा था आंगनवाड़ी और व्यवसायिक एवं अन्य गतिविधियां समान होने के बाद मझौली क्षेत्र के आखिरी छोर तक पहुंच गया है सड़क बाजार में और सोशल डिस्टेंसिंग के टूटते नियमों के बीच विशेषज्ञों ने वर्तमान स्थिति में लोगों को ज्यादा जागरूक और अतिरिक्त सावधानी बरतने की नसीहत दी है
निजी स्कूल किसी भी छात्र को नहीं कर सकेंगे डिटेन
प्राइवेट एवं अनुदान प्राप्त स्कूल किसी भी छात्र को डिटेन नहीं करेंगे चाहे उन स्कूलों ने पहले ही वार्षिक परीक्षाएं करा ली हो यदि परिणाम में छात्र कमजोर भी रहा है तो ऐसे छात्रों को किसी भी हालत में उसी कक्षा में रोका नहीं जाएगा यदि ऐसा होते पाया जाता है तो संबंधित स्कूल के खिलाफ सख्त कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी स्कूल शिक्षा विभाग ने परीक्षा परिणामों को लेकर स्कूलों के लिए गाइडलाइन जारी की है इसका पालन अनिवार्य होगा ऐसे प्राइवेट स्कूल जिन्होंने 19 मार्च अथवा उससे पहले कक्षा 1 से 8 तक वार्षिक परीक्षाएं करा ली है यह स्कूल वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित करेंगे लेकिन किसी विद्यार्थी को उसी कक्षा में रोका नहीं जाएगा
आपस में चंदा करके बना रहे गांव की सड़क
जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद निर्माण के लिए की पहल जरूरतमंदों को काम के लिए मनरेगा से निर्माण किए जाने की रखी मांग बरसात शुरू हो रही है सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को बरसात के दिनों में समस्या का सामना करना पड़ता है इसे देखते हुए मैं गांव के लोगों ने सरपंच प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधि सभी के पास सड़क निर्माण के लिए गुहार लगाई सुनवाई नहीं हुई तो गांव के लोग अब चंदा करके सड़क बना रहे हैं सामर्थ के अनुसार लोग 500 से लेकर ₹1000 तक चंदा दे रहे हैं उनकी मांग है कि अगर मनरेगा के तहत सड़क का निर्माण हो तो जरूरतमंदों को रोजगार भी मिलेगा
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