गुजरात राज्य में आदिवासियों को जबरन विस्थापित करने पर राष्ट्रपति के नाम सोपा ज्ञापन, समाजजन गुजरात करेंगे कूच
अलीराजपुर। (रफीक क़ुरैशी) - आदिवासियों को अपनी पुरखो की जमीन से गुजरात सरकार दुवारा बेदखल कर रही है। जिसमे आदिवासियों को विशेष अधिकार प्राप्त होने के बाद भी इस वैश्विक महामारी की एडवाइजरी के विरुद्ध जमीन से गुजरात प्रशासन द्वारा पुलिस बल के सहारे कार्यवाही के नाम पर लाठियों से मारकर व जेलों में बन्द कर बेघर किया जा रहा है है। इस मामले को लेकर आदिवासी समाज ने जोबट तहसीलदार कैलाश सस्तिया को कलेक्टर के नाम एक आवेदन सोपा है। जिससे उन्होंने बताया कि आदिवासियों संविधान में मिले विशेषाधिकार का सीधा उल्लंघन किया जा रहा है ।केवडिया (नर्मदा) क्षेत्र सहित 14 गांवों में संविधान के अनुच्छेद 21 सहित मूल अधिकार अनुच्छेद 13(3)क के परंपरागत रूढ़ि प्रथा कानून एवं अनुच्छेद 244(1) पांचवी अनुसूची के विशेषाधिकार सहित मानवाधिकारों का घोर उलंघन कर स्टेच्यू ऑफ यूनिटी एरिया डवलपमेन्ट एंड टूरिज्म गवर्नेंस एक्ट -2019 का हवाला देकर कार्यवाही आदिवासीयो के ऊपर की जा रही है जो कि उचित नहीं है। यह काला कानून असंवैधानिक है ओर अनुसूचित क्षेत्र पर औपनिवेशिक अतिक्रमण' है। तथा गुजरात सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 244(1) के प्रावधान अनुसार राष्ट्रपति दुवारा घोषित अनुसूचिति क्षेत्र में सेंधमारी करने और नोटिफाइट एरिया घोषित करने के लिये ये जो टूरिज्म काला कानून लायी है । उसका संपूर्ण भारत का आदिवासी घोर विरोध करती है,और यदि इस प्रकार सरकार काला कानून जो आदिवासियों की जमीन जबरन छिनकर जबरन डंडे मारकर भगाने का काम बंद नही करती है तो पूरे भारत देश मे उग्रआंदोलन करने को आदिवासी बाध्य होगा। ज्ञापन सोपे जाने के अवसर पर हाबु डावर,धुमसिंह कनेश, वेस्ता डावर, नितेश अलावा, लालसिंह डावर,वीरेंद्र बघेल, सुरेंद्र डावर, जयस के रमेश डुडवे,दिशांत गाडरिया ,शिवराजसिंह चौहान माधुसिंह बघेल, दीपक चौहान, बबलू चौहान, मोतेसिंह भूरिया, विक्रम,चौहान, ठाकुर अजनार आदि उपस्थित थे।
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