एक युद्ध-अवसाद के विरुद्ध | ek yuddh avsad ke viruddh

एक युद्ध-अवसाद के विरुद्ध

एक युद्ध-अवसाद के विरुद्ध

इंदौर। सम्पूर्ण विश्व में हाहाकार मचा हुआ है, कोविड 19। कोरोना अपना कहर बरपा रहा है। देश में लगभग 80 दिनों से लॉक डाउन है, कामकाज ठप्प है, कोरोना से बचना है, घर पर रहना है, इन्हीं हालातों में कामकाजी और नौकरीपेशा भी रोटी की तलाश में हैं। आर्थिक संकट हर दिशा में है, मानसिक अवसाद बढ़ने लगा है, लोग आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। ऐसे काल में व्यक्तिशः जागरुकता आवश्यक है। हमें ज़िन्दगी को फिर से पटरी पर लाने के लिए लड़ना होगा, शुरुआत करनी होगी, नई शुरुआत आवश्यक है। मान लीजिए, जब आपने अपने काम की पहली शुरुआत की थी या फिर नौकरी की पहली शुरुआत की थी तो कैसे संकटों का सामना किया था, बस उसी को आधार मानकर फिर से शुरुआत कीजिए। यदि कर्ज़ है तो भी चिंता मत कीजिए, जितना कर्ज़ है यदि वो एक साल में दोगुना भी हो गया तो भी एक नहीं दो नहीं तीन या चार साल में समाप्त हो जाएगा, पर यह तब होगा जब हम ज़िन्दा रहेंगे। यदि कोरोना या अवसाद से हार गए तो कर्ज़, तकलीफ़ के साथ एक बदनामी परिवार के लिए भी छोड़ जाएँगे।

कम से कम अवसाद को ख़ुद पर हावी न होने दें, अपनी समस्याएँ साझा करें, अपने ख़ास मित्रों तक ज़रूर बताएँ कि क्या समस्या है? कैसे निपटेंगे? आदि। कभी अवसाद को मन पर हावी न होने दें, इससे आप हारेंगे नहीं बल्कि जिएँगे। जब हम ज़िन्दा रहेंगे तो हर समस्या से जूझकर समाधान तक ले आएँगे, पर हम ही न रहे तो फिर परिवार कैसे जिएगा!
अपना और अपने परिवार का सोचना होगा, हारना नहीं बल्कि जीतने के लिए मेहनत करनी होगी।

मातृभाषा उन्नयन संस्थान विगत 1 जून 2020 से *एक युद्ध अवसाद के विरुद्ध* अभियान संचालित कर रहा है, जिसके माध्यम से हमारी मानवीय ज़िम्मेदारी है कि लोगों को अवसाद में जाने से बचाएँ। तनावमुक्ति हेतु प्रयास करें, और लोगों को सकारात्मक रखने का प्रयास करें। इसी अभियान में संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल',  राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य एवं ओज के कवि मुकेश मोलवा जी, राष्ट्रीय सचिव गणतंत्र ओजस्वी जी, शिखा जैन जी, भावना शर्मा जी, कवि हिमांशु भावसार जी आदि सुधिजन सतत प्रयासरत हैं। हर सम्भव मदद कर रहे हैं, तनाव मुक्ति के लिए प्रयासरत हैं। आप भी जुड़ें, अपने आसपास के लोगों को अवसाद से मुक्त करने के लिए जुटे, उन्हें तनाव से बाहर निकालने का प्रयास करें। निश्चित तौर पर हम यह जंग भी जीतेंगे। मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास।

जय हिन्दी*डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'*अध्यक्ष- मातृभाषा उन्नयन संस्थान ।

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