बदकिस्मत चार बच्चों की हकीकत, मां की हो गई मृत्यु, पिता अस्पताल में, अब कौन करे देखरेख
बालाघाट (देवेंद्र खरे) - जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र परसवाङा मे एक परिवार ऐसा भी है जहां एक ही परिवार के चार बच्चे दर बदर की ठोकरे खाने को मजबूर है शासन की मंशा अनुरूप गरीब आदिवासीयो के लिए अनेकों योजनायें चलाई जा रही है बावजूद इन बदनसीब चार बच्चों को दो वक्त की रोटी तो क्या तन ढकने के लिए एक छोटा कपङा भी मयस्सर नही है !
शासन द्वारा प्रतिवर्ष बैगा आदिवासीयो के नाम पर बैगा ओलंपिक का आयोजन कर करोङो रूपये फूंक दिये जा रहे है परन्तु यथार्थ मे उन्ही बैगा बच्चों की देखभाल करने और उनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है !
जनपद पंचायत परसवाड़ा अंतर्गत आने वाले वनग्राम कुकड़ा में एक बैगा परिवार के चार बच्चे ऐसे हैं जिनकी देखरेख करने वाला तो दूर उनके पास तन ढकने के लिए कपड़ा भी नसीब नहीं हो पा रहा है ग्रामीणों द्वारा बताया जा रहा है कि इन तीनों बच्चों की उम्र बहुत कम कम है 7 वर्ष, 5 वर्ष, 3 वर्ष और एक तो मात्र एक महीने का ही है जिसे ग्रामीणों द्वारा अपने घर पर ही रख कर दूध पिला कर जैसे तैसे उनकी देखभाल कर रहे हैं वर्तमान समय में इन चारों नन्हे बच्चों की देखरेख करने वाला भी कोई नहीं है !
ग्राम कुकड़ा के ग्रामीणों का कहना है कि चारों बैगा बच्चों के पिता इंदरजी कुछ दिन पहले रोजमर्रा के जीवन यापन के लिए गांव से ही लगे जंगल में गए हुए थे । जहां रीछ के हमले से बचाव के लिए वह एक पेड़ पर चढ़ गया । जिसे पेड़ पर चढ़ते देख रीछ भी पेड़ पर चढ़ गया जिससे पेड़ पर चढ़े इंदल ने पेड़ से लगभग 20 फीट की ऊंचाई से जमीन पर छलांग लगा दी नीचे गिरते ही उनकी दोनों टांगे टूट गई जिसे ग्रामीणों की मदद से रात्रि में ही ग्राम में लाया गया । ग्रामीणों द्वारा प्रातः काल इंदल को 108 की सहायता से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परसवाड़ा लाया गया ! जहाँ प्राथमिक उपचार किया गया ! ग्रामीणो द्वारा बताया जा रहा है कि उसके दोनों पैर टूट जाने के चलते जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया ! ग्रामीणो द्वारा बताया जा रहा है कि उक्त बैगा परिवार में इन चार बच्चों का एक ही लालन पालन करने वाला उनका पिता ही है जो वर्तमान में जख्मी हालत में अस्पताल में ही है जिसकी दोनों टांगे टूट गई हैं ग्रामीणों द्वारा बताया जा रहा है कि उसे भी स्वस्थ होने में तकरीबन 4 से 6 माह तक भी समय लग सकता है ! ग्रामीणों द्वारा बताया जा रहा है कि वनग्राम कुकड़ा के चार बैगा बच्चों की माता लगभग महीने भर पहले अपनी चौथी संतान को जन्म देने के तीन-चार दिनों के पश्चात इस दुनिया से चल बसी ! ऐसी दशा में ग्राम कुकड़ा के इस बैगा परिवार के चारों नन्हे बच्चों की देखरेख करने वाला भी वर्तमान में कोई नहीं है !
ऐसे में यहां रह रहे ग्रामीणों के लिए चार बैगा बच्चे परेशानी का सबब बने हुए हैं ! आवास के संदर्भ में ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में आवास योजना का लाभ इंदल सिंह को दिया गया था परंतु मकान निर्माण महज औपचारिकताओं में पूर्ण करने के चलते आज बच्चो के परिवार का मकान जमींदोज हो चुका है और बैगा जाति की यह नन्हे बालक बेघर होकर इधर उधर जीवन यापन करने मजबूर हैं ।
इस सम्बंध में हमने तहसीलदार नितिन चौधरी से बात की तो उन्होंने कहा कि फिलहाल बच्चों के लिए एक माह का राशन उपलब्ध कराया जाएगा । आवास तथा अन्य सरकारी मदद के लिए मौका मुआयना कर प्रस्ताव बनाया जाएगा । बच्चों के लालन पालन की हरसम्भव मदद की जाएगी ।
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