आदिवासी समाज ने जिलेभर के बैंक और कियोस्क सेंटरों की कार्यप्रणाली ओर मनमानी को लेकर तहसीलदार को कलेक्टर के नाम सोपा ज्ञापन
अलीराजपुर। (रफीक क़ुरैशी) - वर्तमान में जिलेभर के कियस्को सेंटरों एवं बैंकों में आमजनता को अपने ही रुपये, निकालने में पसीना आ रहा है । बैंकों और कियोस्को सेंट्रो की कार्यप्रणाली ओर मनमानी को लेकर जोबट के आदिवासी समाज ने विभिन्न समस्याओं को लेकर जोबट तहसीलदार कैलाश सस्तिया को कलेक्टर सुरभि गुप्ता के नाम ज्ञापन सौपाकर इन समस्याओं को त्वरित कार्यवाही कर सामाधन करने की मांग की गई। इस अवसर पर आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।
*क्या है ज्ञापन में*
तहसीलदार को सोपे गए ज्ञापन मै आदिवासी समाज द्वारा बताया गया कि एक तरफ वैश्विक महामारी के चलते लोकडाउन में गरीब की मार दूसरी तरफ बेकों व कियस्को सेन्टरों की अपनी मनमानी व कार्य प्रणाली से कभी आधार कार्ड के नाम पर तो कभी फ़िंगर प्रिंट के नाम पर तो कभी जाति, उपजाति, उपनाम के परिवर्तन के नाम से प्रताड़ित किया जा रहा है। जबकि बैंक द्वारा आधार कार्ड को सही पता व परिचय आधार कार्ड को शासकीय दस्तावेज मानकर खाते खोले गए है, तो फिर आधार कार्ड को खाते से लिंक की, आवश्यकता अलग से क्यो है। वर्तमान में जन धन के सभी खाते बैंक द्वारा पूरे जिले में बंद कर दिए गए। जिसको चालू करने के लिए फिर से आधार कार्ड को लिंक, ई केवायसी आदि के नाम से आदिवासी एवं आमजनता को प्रताड़ित किया जा रहा है। अधिकतर लोग अशिक्षित है , जिले में कई जगह पर कियोस्क सेन्टरों के द्वारा पैसे निकालने के नाम पर वसूली की जा रही है। एक ओर यहाँ की आदिवासी आम जनता अशिक्षित होने के कारण उन्हें न ही फार्म भरने का ज्ञान है ओर न ही किसी आवेदन को पढ़ पाते है, अंगूठा या साइन किस कागज पर की है,जैसे तैसे किसी से फार्म भरवा भी लिया जाता है। तो उसमें हजारों गलतियां निकालकर बैंकों के दुवारा भगा दिया जाता है। जिसमे व्यक्ति आर्थिक, मानशिक रूप से परेशान तो हो ही रहा है ओर हजारों किलोमीटर दूर से ग्रामीण, बैंक व आधार कार्ड बनवाने पैदल, गाड़ीयो में लटक कर जैसे तैस किराया भड़ा देकर बैंक आता है। दिनभर भुखा प्यासा कड़कती धूप में इस आशा के साथ कार्यालयों में आ कर बैठ जाता है कि काम हो जाएगा। परन्तु बाद में पता चलता है कि खाते में पैसे ही नही है या है भी तो है खाते से आधार कार्ड लिंग नही है। जब आधार कार्ड सेंटर जाते है तो ग्राम पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, सरपंच, तहसीलदार, अधिकृत प्राचार्य के पास साइन के लिए चक्कर लगाना पड़ रहा है। जिसकी जानकारी भी आधार कार्ड सेंटरो दुवारा उचित नही दी जाती है ,और यदि जैसे तैसे कागज ले भी आता है। उसके बावजूद कार्ड में गलती की जा रही है, जिसका खामिजमा आम जनता को भूकतना पड़ रहा है। एक व्यक्ति कम से कम 3 बार आधार कार्ड बनवा चुका है,गरीब का पैसा दौड़ धूप ,भूख प्यास का अंदाजा ही नही जवाबदारों की तरह दिन भर बिठाने के बाद उनमें भी गलती निकालकर अंतिम वक्त पर भगा दिया जाता है,आधार कार्ड सेंडर निजीकरण होने के कारण उनका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता है, उन्हें कमाई से मतलब है,जनता बहुत परेशान है। कभी फ़ोटो के नाम पर हस्ताक्षर के नाम पर ,कूपन ,आधार,जाती, उपनाम ,सर नेम ,फ़ोटो काफी,खाता, आईडी, मोबाइल नम्बर, स्टाम्प ,जॉबकार्ड, पेन कार्ड,आदि के नाम से गरीब मजदूर का आर्थिक, शोषण किया जा रहा है। जितना पैसा उसका खाते में नही होता है, उससे ज्यादा कागजो में ही खर्ज हो जाता है। इस अवसर पर हाबु डॉवर, धुमसिंह कनेश, वेस्ता डॉवर, वीरेंद्र बघेल, नितेश अलावा, लालसिंह डॉवर, रमेश डुडवे, दिशांत गाड़रिया, माधु बघेल, दीपक चौहान,विक्रम चौहान, मोतीसिंह भुरिया, ठाकुर अजनार आदि मौजूद थे।
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