सैनिटाइजर की भीख मांगने मजबूर स्वास्थ्य कार्यकर्ता | Sanitizer ki bheekh mangne majbur swasthya karyakarta

सैनिटाइजर की भीख मांगने मजबूर स्वास्थ्य कार्यकर्ता 

कम से कम 6 दिन के लिए तो मिले जरूरी सामग्री

संक्रमित इलाकों में पर्सनल प्रोटक्शन इक्विपमेंट नहीं 

जबलपुर (संतोष जैन) - कोरोना फाइटर कहलाने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सैनिटाइजर की भीख मांगनी पड़ रही है  स्टोर से जुड़े अधिकारी और सर्वे कार्य के जिम्मेदार इन कार्यकर्ताओं को स्पॉट पर भेज  रहे हैं मगर इनकी सुरक्षा की चिंता किसी को नहीं है  जिम्मेदार प्रशासनिक एवं स्वास्थ्य अधिकारियों का ध्यान भी आकृष्ट कराया था अफसोस की बात यह है कि अभी तक इस दिशा में सकारात्मक प्रयास नजर नहीं आए स्वास्थ्य कर्ताओं की जान से खिलवाड़ करने वाले लापरवाही उजागर हो रही है 


बीमार शिक्षकों से करवा रहे सर्वे  कार्य 

जिला प्रशासन और नगर निगम के पास कोई भी कार्य होता है जैसे वोटर लिस्ट गरीबी रेखा सर्वे परिचय पत्र सर्वे या अन्य प्रकार के सर्वे का कार्य को हर जगह शिक्षकों की ड्यूटी लगा देते हैं

जिला प्रशासन के निर्देशों पर शिक्षा विभाग के 48 टीचर को पहुंचा दिया कैंटोनमेंट क्षेत्र खुद गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 


 हो सकते हैं कोरोना संक्रमण का शिकार

   जैसे तैसे पूरा कर रहे सर्वे कार्य बचाव के संसाधन भी नहीं दिए


 कैंटोनमेंट इलाके में इन दिनों ऐसे शिक्षक को रोना सर्वे कार्य कर रहे हैं जो कि खुद ही गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं इनमें से कुछ टीचर ऐसे भी हैं जो कि  60 वर्ष की आयु के करीब पहुंच गए हैं और जरा सी भी लापरवाही  कोरो ना भयावह रोग की चपेट में आ सकते हैं पिछले दिनों जिला प्रशासन के निर्देशों पर शिक्षा विभाग द्वारा 48 शिक्षकों की ड्यूटी  कोरोना लक्षणों वाले मरीजों की पड़ताल करने में लगा दी गई है और मौजूदा समय में यह  शिक्षक घर-घर जाकर ऐसा कर भी रहे हैं को रोना संक्रमण के बीच हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट इलाकों में चलाए जा रहे सर्वे अभियान में बच्चों की वैक्सीन के टीके भी लगाए जा रहे हैं इसके निर्देश स्वास्थ्य विभाग से मिले हैं इसके लिए बकायदा स्वास्थ्य कार्यकर्ता काम कर रहे हैं चौंकाने वाली बात यह है कि कई टीकाकरण केंद्र हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट इलाकों में संचालित हो रहे हैं यहां पर काम करने के लिए सरकारी दिशा निर्देश तो ढेर सारे हैं मगर एक का भी पालन नहीं किया जा रहा है गंभीर बात यह है कि अधिकारी भी इस तरफ ध्यान नहीं देते और स्वास्थ्य कार्यकर्ता की तरफ से अगर कोई शिकायत भी की जाती है तो उन्हें डांट कर भगा दिया जाता है।

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