उमरिया जिला जेल से दीवार फांद बंदी हुवा फरार | Umriya jila jail se deewar fand bandi hua farar

उमरिया जिला जेल से दीवार फांद बंदी हुवा फरार

कुछ मिनटों में ही जेल प्रशासन ने किया गिरफ्तार

उमरिया जिला जेल से दीवार फांद बंदी हुवा फरार

कटनी (संतोष जैन) - उमरिया हत्या जैसे संगीन मामले में न्यायिक अभिरक्षा में जेल बंदी रमेश उर्फ रब्बा पिता राम प्रसाद यादव उम्र 26 वर्ष निवासी ग्राम नरवार जेल की ऊंची दीवार फांदकर फरार हो रहा था,तभी जेल प्रशासन हरकत में आया और किसी तरह उसे जेल बाउंड्री के बाहर गिरफ्तार किया गया है,इस मामले में बताया जाता है कि आरोपी हत्या जैसे संगीन मामले में न्यायिक अभिरक्षा में नवम्बर माह से ही मुख्यालय स्थित जिला जेल में रहा है,इसके ऊपर अपराध क्र 498/19 धारा 302,34 आईपीसी का प्रकरण पंजीबद्ध है।इस मामले में एसडीओपी के के पांडेय ने बताया कि दीवार फांदकर फरार होने का प्रयास गम्भीर विषय है,जो कि जांच का विषय है,सामान्य व्यक्ति किस तरह इतनी ऊंची दीवार पार किया,क्या इसमे उसने किसी से मदद ली,यह सब जांच के बाद सामने आएगा,जिस पर विधिवत कार्यवाही होगी,साथ ही ऐसे गम्भीर मामले आगे न हो,इसके प्रयास किये जायेंगे।इस मामले में खास बात यह है कि कैदी को पुनः गिरफ्त में लेने जेल प्रशासन के अलावा एक सिविलियन रामपुरी निवासी हेमंत सिंह की भी महती भूमिका देखी गयी।इस मामले में जेल अधीक्षक एमएस मरावी ने कहा कि बंदी को 20 से 25 मिनट में गिरफ्तार कर लिया गया है,जेल से बंदी किन परिस्थितियों में फरार हुवा है,इस मामले में विधिवत जांच की जा रही है।

*अलार्म बजते ही हाई अलर्ट पर थी पुलिस*

शुक्रवार की देर शाम जैसे ही जेल अलार्म बजा, वैसे ही जेल प्रशासन एवम पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर आ गया।आननफानन में चारो तरफ नाकेबंदी की गई,बताया जाता है कि तब तक फरार कैदी जेल की दो दीवारों को कूद कर मैन दरवाजे से सड़क मार्ग होकर घंघरी पहुंच गया था,सूत्र बताते है कि बंदी के फरार होने के 30 मिनट के अंदर ही हाई अलर्ट पर आई पुलिस ने बंदी को गिरफ्तार कर लिया था।बताया जाता है कि पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा जानकारी के बाद तत्काल जेल पहुंच गए थे,और कैदी को गिरफ्त में लेने ज़रूरी निर्देश दिए थे,जिसके बाद तकरीबन 6.30 बजे फरार कैदी को गिरफ्त में ले लिया गया था।पुलिस सूत्रों की माने तो थाने में या न्यायिक अभिरक्षा में कस्टोडियल डेथ या आरोपी या कैदी का थाने से या जेल से फरार होना पुलिस महकमे में गम्भीर चूक मानी जाती है,ऐसे मामलों में जांच उपरांत जिम्मेदारों पर बड़ी कार्यवाही भी होने का अंदेशा होता है,देखना होगा ऐसे गम्भीर मामले पर पुलिस के आला अधिकारी क्या स्टेप लेते है,हालांकि ऐसा एक और मामला कुछ वर्ष पूर्व जेल अधीक्षक लक्ष्मी कांत त्रिपाठी के कार्यकाल में भी सामने आया था,जिसमे न्यायिक अभिरक्षा का एक कैदी ऊंची दीवार फांदकर फरार हुवा था,हालांकि जल्द ही उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया था,इसके अलावा कस्टोडियल डेथ के मामले में भी जिला जेल में पूर्व में आ चुके है,जिसमे परिजनों के भारी हंगामे के बाद न्यायिक जांच भी की गई है

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