तत्वज्ञ धर्मेन्द्रमुनिजी का थांदला नगर में मंगल प्रवेश अगवानी में उमड़े श्रद्धालु | Tatvagy dharmendra muni ji ka thandla nagar main mangal pravesh

तत्वज्ञ धर्मेन्द्रमुनिजी का थांदला नगर में मंगल प्रवेश अगवानी में उमड़े श्रद्धालु

तत्वज्ञ धर्मेन्द्रमुनिजी का थांदला नगर में मंगल प्रवेश अगवानी में उमड़े श्रद्धालु

थांदला (कादर शेख) - आचार्य श्रीउमेशमुनिजी "अणु" के शिष्य प्रवर्तक 
जिनेन्द्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती तत्वज्ञ पूज्य श्रीधर्मेन्द्रमुनिजी, श्रीहेमन्तमुनिजी, श्रीरविमुनिजी, 
श्रीआदित्यमुनिजी, पूज्य श्रीप्रशस्तमुनिजी आदि ठाणा - 5 का शनिवार को थांदला नगर में मंगल प्रवेश हुआ। श्रीसंघ अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत और सचिव प्रदीप गादिया व संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि मुनिमण्डल का कल्याणपुरा होली चातुर्मास कर उग्र विहार कर यहाँ आगमन हुआ। मुनिमण्डल की अगवानी 
हेतु यहाँ विराजित साध्वी निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, 
प्रियशीलाजी व दीप्तिजी आदि ठाणा- 4 के अलावा बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएँ थांदला रोड़ पर पहुँच कर गुरु भगवंत की भव्य अगवानी की। उनकी अगवानी व मंगल प्रवेश के दौरान श्रीसंघ के श्रावक-श्राविकाएँ, बच्चें आदि श्रमण भगवान महावीर स्वामी, आचार्य श्री उमेशमुनिजी, प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी आदि की जय-जयकार और गुरुगुणगान करते हुए चल रहे थे। मुनिमण्डल नगर के दक्षिण द्वार से पौषध भवन पर पहुँचें जहाँ समस्त श्रावक-श्राविकाओं ने मुनिमण्डल व साध्वीमण्डल को सामूहिक वंदना कर विहार की सुखसाता 
पूछी। तत्वज्ञ धर्मेन्द्रमुनिजी के मुखारविन्द से श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल, नीवीं, 
एकासन, बियासन आदि विविध तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। 

आचार्य भगवंत पूज्य श्री उमेशमुनिजी के स्मृति दिवस पर 17, 18 व 19 मार्च को त्रिदिवसीय आराधना
जानकारी देते हुए संघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत व नवयुवक मंडल अध्यक्ष कपिल पिचा ने बताया की मुनिमण्डल व साध्विमण्डल के पावन सानिध्य में जैनाचार्य पूज्य श्रीउमेशमुनिजी की पुण्यतिथि पर त्रिदिवसीय तेले तप की आराधना की जाएगी वही रविवार को प्रवर्तक श्रीजिनेन्द्रमुनिजी के जन्मदिन पर तीन तीन सामायिक कर श्रीसंघ द्वारा उनके गुणानुवाद सभा का आयोजन किया जाएगा। वही सन्त-सतियों के सानिध्य में नवकार महामन्त्र के जाप, प्रार्थना, प्रवचन, प्रतिक्रमण व तत्वचर्चा के नियमित आयोजन भी होंगे। संघ ने सभी को अधिक से अधिक धर्माराधना कर गुरुदेव के श्रीचरणों में अपनी भेंट देने का आहवान किया है।

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