गुरूदेव की प्रतिमा स्थापना का 43वां प्रतिष्ठा दिवस मनाया गया | Gurudev ki pratima sthapna ka 43va pratishtha divas manaya

गुरूदेव की प्रतिमा स्थापना का 43वां प्रतिष्ठा दिवस मनाया गया

गुरूदेव की प्रतिमा स्थापना का 43वां प्रतिष्ठा दिवस मनाया गया

झाबुआ (अली असगर बोहरा) - प्राचीन जैन तीर्थ श्री ऋषभदेव बावन जिनालय के गुरूहाॅल में विराजमान विष्व पूज्य दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीष्वरजी मसा की प्रतिमा का 43वां प्रतिष्ठा दिवस श्वेतांबर जैन श्री संघ द्वारा विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ मनाया गया। जिसमें प्रातः दादा गुरूदेव की अष्टप्रकारी पूजन का आयोजन हुआ। दोपहर में सामूहिक आयमिल, सामायिक एवं गुरूदेवजी के जाप किए गए। सभी आयोजन साध्वी पपू श्री सुरक्षा श्रीजी मसा, पपू श्री तत्वरक्षा श्रीजी मसा एवं पपू श्री मुक्तिरक्षा श्रीजी मसा आदि ठाणा-3 की पावनतम निश्रा में हुए।

गुरूदेव की प्रतिमा स्थापना का 43वां प्रतिष्ठा दिवस मनाया गया

जानकारी देते हुए श्वेतांबर जैन श्री संघ अध्यक्ष संजय मेहता ने बताया कि आज से 43 वर्ष पूर्व चेत्र वदी पंचमी विक्रम संवत-2034 (रंग पंचमी) को पुण्य सम्राट गच्छाधिपति आचार्य जयंतसेन सूरीष्वरजी मसा की पावनतम निश्रा में बावन जिनालय के गुरू हाॅल में दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीष्वरजी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा श्रेष्ठीवर्य चुन्नीलाल रतनलाल मेहता द्वारा विधि-विधान से की गई थी। जिसका प्रतिष्ठा दिवस प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। 13 मार्च शुक्रवार को सुबह 630 बजे प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक पश्चात् 7 बजे केसर पूजन बाद 8 बजे से अष्टप्रकारी पूजन आरंभ हुई। पूजन श्री आदिनाथ राजेन्द्र जयंत जैन संगीत मंडल द्वारा पढ़ाई गई। विधि विधिकारक ओएल जैन ने संपन्न करवाई। पूजन में दादा गुरूदेवजी के सम्मुख अष्टद्रव्यों में जल, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य एवं फल अर्पण किए गए। पूजन का लाभ श्वेतांबर श्री जैन संघ द्वारा लिया गया। इस अवसर पर श्री संघ के श्रावक-श्राविकाएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस दौरान समुधर स्तवनों की प्रस्तुति निखिल भंडारी, दीपक मुथा एवं विजय कटारिया ने दी। काव्य एवं मंत्रोच्चार श्रावक रत्न धर्मचन्द मेहता ने किया। पूजन बाद गुरूदेवजी की आरती का लाभ श्रीमती लीलाबेन शांतिलाल भंडारी परिवार ने लिया। प्रभावना यषवंत, निखिल, शार्दुल भंडारी की ओर से वितरित की गई।

सामूहिक सामायिक एवं गुरूदेव के जाप हुए

दोपहर 11.30 बजे सामूहिक आयमिल करवाए गए। दोपहर 2 से 3 बजे तक सामूहिकं सामायिक एवं गुरूदेवजी के जाप हुए। शाम को पुनः गुरूदेवजी की आरती एवं जाप का आयोजन हुआ। इसके साथ ही प्रतिष्ठा दिवस होने से दिनभर समाजजनों की दादा गुरूदेवजी के दर्षन-पूजन के लिए भी भीड लगी रहीं एवं श्रावक-श्राविकाओं का आना-जाना लगा रहा।

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