अपराधियों के लिए खुले रास्ते, सहा. उप निरीक्षक मंगला दुबे पर हुई कार्यवाही को लेकर पुलिस अधीक्षक पर उठे सवाल | Apradhiyo ke liye khule raste sah up nirikshak mangal dubey pr hui karyavahi

अपराधियों के लिए खुले रास्ते, सहा. उप निरीक्षक मंगला दुबे पर हुई कार्यवाही को लेकर पुलिस अधीक्षक पर उठे सवाल

अपराधियों के लिए खुले रास्ते, सहा. उप निरीक्षक मंगला दुबे पर हुई कार्यवाही को लेकर पुलिस अधीक्षक पर उठे सवाल

अनूपपुर (अरविन्द द्विवेदी) - ईमानदारी अभिनय करके नहीं बताई जाती, उसे जीना पड़ता है कथनी और करनी की समानता के स्तर तक। इस बात को हमेशा ही अपनी कार्यशैली व लगातार कार्यवाहियों से सिद्ध करते आए हैं बिजुरी थाने में पदस्थ सहा. उप निरीक्षक मंगला दुबे। बीते दिन मंगला दुबे की छबि को धूमिल करने के लिए साम-दाम के पर्याय पर व राजनैतिक दबाव बनाकर उन्हें लाईन अटैच करवाया गया है। जबकि ऐसा करने से जनता की नज़रों में उनका कद थोडा और ऊंचा ही हुआ है। वैसे भी यह कोई नई बात नहीं जो ईमानदारी से अपना काम करने वाले पुलिसकर्मी व अन्य अधिकारी को ऐसी कार्यवाही के रूप में बड़ी कीमत न चुकानी पड़ी हो।

आखिर.! किसके दबाव के कारण हुई यह कार्यवाही.? यह अपने आप में ही यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

सूत्रों के अनुसार एएसआई मंगला दुबे ने साफ नीयत के साथ ही सदैव काम किया। अपराधों पर नकेल कसने की बात हो तो जिले में सर्वाधिक कार्यवाही करने वालों में अकेला उनका नाम शुमार है। चोरी के मामलों को हमेशा जल्द से जल्द ट्रेस कर चोरी की वारदातों पर अंकुश लगाया व प्रयास किया कि वारदात ही न हो। उनके द्वारा की गई कि दर्जन कार्यवाही इस बात के साक्ष्य है कि मार्च 2019 में बिजुरी थाने पर उनकी उपस्थिति के पश्चात 1 वर्ष भी पूरा नहीं बीता था कि उनके अकेले के द्वारा चोरी की 2 दर्जन वारदातों पर कार्यवाही की गई, साथ ही बरामदी लगभग 14 से 15 लाख रुपयों की थी। वहीं सट्टा, जुआँ, शराब, आर्मसएक्ट, कबाड़, गांजा व खनिज से जुड़े 4-5 दर्जन से भी ज्यादा मामले हैं। जो उनकी व उनकी कार्यशैली की पीठ थपथपा रहे हैं। यह सभी कार्यवाही केवल बिजुरी थाने में पदस्थ होने के बाद ही नहीं की जा रही इनके द्वारा, जबकि पूर्व में कोतवाली अनूपपुर के 1 वर्ष व थाना कोतमा में 4 से 5 वर्ष रहने के दौरान का जो कार्यकाल था उसका भी अवलोकन किया जा सकता है। जो कि इनकी ईमानदार व साफ-सुथरी कार्यशैली को दर्शाता है।

क्या यह कांग्रेस सरकार या कोतमा विधायक सुनील सराफ़ को बदनाम करने की साजिश हो सकती है.?

योग्य, कर्मठ व ईमानदार विधायक जो सदैव ही तत्पर दिखाई पड़ते हैं व हमेशा चाहते हैं कि उनके विधानसभा क्षेत्र में होने वाले अपराधों पर अंकुश लगे। उनकी इस सोंच व कार्यशैली के विपरीत जाकर पुलिस अधीक्षक अनूपपुर के द्वारा यह कार्यवाही की गई व सहा. उप निरीक्षक मंगला दुबे को तत्काल प्रभाव से लाईन अटैच। क्योंकि कभी ना कभी और कहीं ना कहीं तो आपने भी सुना होगा कि किसी भी विधानसभा क्षेत्र में तो एक हवलदार का भी तबादला बिना माननीय जी की अनुमति के संभव नहीं होता। फिर इस तरह की त्वरित कार्यवाही पर जिले के किस विधायक की सहमति है, आखिर.! यह कैसे संभव है।

बहरहाल ईमानदारी से सेवा करने का यदि ए एस आई महोदय को यह फल मिला है तो यह सिर्फ उनके साथ ही नहीं बल्कि जिले के हर ईमानदार पुलिसकर्मी के साथ बेईमानी भी मानी जा सकती है।

Post a Comment

Previous Post Next Post