ब्लाक के छात्रावासों में वर्षो से जमे है अधीक्षक | Block ke chhatravaso main varsho se jame hai adhikshak

ब्लाक के छात्रावासों में वर्षो से जमे है अधीक्षक 

अधीक्षक  में छात्रों से साफ करवाई पानी की टँकी

ब्लाक के छात्रावासों में वर्षो से जमे है अधीक्षक

आमला (रोहित दुबे) - ब्लाक के में अनुसूचित जनजाति,जाति छात्रावासों में वर्षो से अधीक्षक जमे हुए है जानकारी के मूताबिक जम्बाडा में वर्ष 2012 से रतेड़ा छात्रावास में 2012,छिपन्या पिपरिया में 2012 से,बोरदेही में 2019 में अधीक्षक के निधन के बाद परिवर्तन,खेडलीबाजार में वर्ष 2017 से नए अधीक्षक मोरखा में  अगस्त से नए अधीक्षक वही आमला के दोनों कन्या ,बालक छात्रावासों में भी यही हाल है यहां भी वर्षो से अधीक्षक जमे हुए है ।गौरतलब होगा कि शासन की स्थांतरण नीति के अनुसार 3 वर्ष से अधिक कोई एक स्थान पर नही रह सकता ,लेकिन आमला ब्लाक में छात्रावासों में यह स्थांतरण नीति लागू नही लगती ऐसा वर्षो से जमे हुए अधीक्षको को देखकर प्रतीत होता है ।पूर्व में भी खेड़लीबाजार के पूर्व अधीक्षक द्वारा छात्रावास के छात्रों की जान से खिलवाड़ कर बिल्डिंग की पुताई करवाने का मामला प्रकाश में आया था जिसके बाद उन्हें हटाया भी गया था ।वर्षो से जमे अधिकारी अक्सर स्थानीय राजनीति पार्टी के लोगो के आशीर्वाद से अपनी मनमानी करते देखे जाते है ।

ब्लाक के छात्रावासों में वर्षो से जमे है अधीक्षक

बालक छात्रावास के छात्रों ने की शिकायत

शहर में स्थित अनुसूचित छात्रावास के छात्रों द्वारा तहसीलदार को शिकायत की थी जिसमे बालको को शौच जाने के लिए सुबह 5 बजे से कतार में लाइन लगाना पड़ता है 6 में से 2 ही शौचालय ही शुरू है । खाने ओढ़ने के लाले है छात्रों ने कड़कड़ाती ठंड में अपने घरों से कम्बल लाए ।दो माह से खेलकूद सामग्री का टोटा ।छात्रों को फंगल इन्फेक्शन ,दूषित पेयजल सहित अन्य शिकायते छात्रों ने की थी जिस पर नायब तहसीलदार ने छात्रावास में जाकर जांच कर प्रतिवेदन तैयार किया ।

अधीक्षक ने बच्चों की जान झोखिम में डाल करवाई पानी की सफाई

जहा बीते दिवस ही छात्रों ने जाकर तहसीलदार को शिकायते की वही दूसरे ही दिन अधीक्षक द्वारा कुछ 3,4 छात्रों को पानी की सेंटेक्स की सफाई के लिए शौचालय बाथरूम की छत की ऊँचाई पर चड़वाकर पानी की सेंटेक्स की टँकी साफ करवाई बच्चों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नही थे मासूम छात्रों गीले कपड़े होने के बावजूद टँकी के भीतर झुककर पानी निकाल बाहर फेंक रहे थे जिसमें कोई हादसा भी हो सकता था।उल्लेखनीय होगा अगर पानी की टँकी साफ करवाना था तो 2 मजदूर लगाए जा सकते थे लेकिन ऐसा न करते हुए बच्चों को ही कार्य मे लगा दिया गया ।इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि वर्षो से जमे अधीक्षक नियम कायदों को ताक पर रखककर अपनी मनमर्जी चला रहे है ।

इनका कहना है 
छात्रों से कार्य नही करवाना था जांच कर कार्यवाही की जाएगी।
शंकर लाल वरकड़े, बी ई ओ शिक्षा विकासखण्ड आमला

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