व्यक्ति सुख तो चाहता है लेकिन अपने ही कार्य के कारण वह दुखी होता है - संयतमुनिजी म.सा.
मेघनगर - पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. के सुशिष्य अणुवत्स संयतमुनिजी म.सा., पंडित रत्न आदित्य मुनिजी म.सा.एवं नवदीक्षित सुयशमुनिजी म.सा. का अणु जैन स्वाध्याय भवन पर पदार्पण हुआ। विदुषी निखिलशिलाजी म.सा.भी यहां विराजमान है।
अणु स्वाध्याय भवन पर धर्मसभा को उद्बोधन देते हुए संयतमुनिजी म.सा. ने फरमाया कि सभी जीव सुखी होना चाहते हैं कोई भी दुखी होना नहीं चाहता।भगवान महावीर ने भव्य जीवो को सुख का मार्ग बतलाया और दुख के मार्ग की भी जानकारी दी।व्यक्ति सुख तो चाहता है लेकिन अपने ही कार्य के कारण वह दुखी होता है। भगवान ने नर्क में जाने के कारण भी बताए।इन कारणों का सेवन करके दुर्गति में जाता है। दुखों को जानकर इन कारणों से बचने के लिए जिनवाणी का प्रतिपादन किया। संसार में सुख और दुख दोनों है। दुख में से सुख निकालना चाहिए।पाप और पुण्य दोनों मोक्ष से अलग है इन दोनों को छोड़ने पर ही मोक्ष प्राप्त हो सकता है।धर्मसभा में स्थानीय तथा बाहर के अनेक श्रावक श्राविकाओने लाभ लिया।आतिथ्य सत्कार का लाभ जिनेंद्र कुमार रणजीत सिंह बाफना ने लिया।संचालन मनीष नाहटा ने किया।
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