विधायक मेड़ा ने कहा था व्यवस्था सुचारू ना हो जब तक लोकल लाइन खोल के रखो लेकिन जवाबदारो ने सुना नही
धामनोद (मुकेश सोडानी) - खलघाट टोल पर फास्टट्रैक की सुविधा शुरू हो जाने के बाद से ही जाम की स्थिति निर्मित निर्मित हो रही है लगातार चार दिन से वहां पर प्रतिदिन जाम लग रहा है अब वहां स्थिति यह है कि फास्टेक शुरू होने के बाद भी सैकड़ों वाहन जिसमें स्कूल बसें भी है प्रतिदिन घंटों जाम में फंस रही है जिससे स्थानीय लोगों में अब जमकर आक्रोश है टोल प्रबंधक और कर्मचारियों की मनमानी के कारण आम जनता को परेशानी का सामना उठाना पड़ रहा है गौरतलब है कि फास्ट ट्रैक में वाहन बिना रुके निकलने के लिए कहा गया था लेकिन फास्ट्रेक में भी लंबी-लंबी कतारें लग रही है टोल पर उपस्थित कर्मचारी निजी लोगों से दादागिरी कर अभद्र व्यवहार कर उन्हें मजबूरन जाम में लगी लाइन में जाने के लिए बाध्य कर रहे हैं जिससे खलघाट टोल पर विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है
दो दिन पूर्व विधायक ने कहा था व्यवस्था सुचारू ना हो जब तक लाइन खोलो लेकिन सुना नहीं
धरमपुरी विधायक पाचीलाल मेड़ा दो दिन पूर्व टोल पर पहुंचे थे तथा वहां पर अव्यवस्थाओं को देख कर जमकर लताड़ लगाई तब टोल कर्मियों को निर्देश दिए थे कि जब तक फास्टट्रैक की व्यवस्था सुचारु रुप से लागू नहीं हो जाती तब तक दोनों लाइन जिसमें लोकल के वाहन निकलते हैं उन्हें पूर्व अनुसार खोल दिया जाए तब टोल कर्मियों ने कुछ देर के लिए लाइन को खोल भी दी थी लेकिन अब लोकल लाइन को फिर बंद कर दिया टोल कर्मियों ने विधायक मेड़ा की बात को भी अनसुनी कर दी जिस जगह से लोकल के वाहन बिना रुके निकल जाते थे उस लाइन को फिर बंद कर दिया गया अब स्थिति यह है कि वहां पर दोनों और बस की भी लंबी लंबी कतारें लग गई जिसमें स्कूल बसो के साथ-साथ सवारी बसों के लोग भी परेशान हो रहे हैं लोग कई देर तक जाम में फंस कर परेशान हो रहे हैं लेकिन टोल वसूलने वालों को कहीं से कहीं तक बसों में बैठे मासूम लोगों और जनता की परवाह नहीं उनका ध्यान सिर्फ वसूली पर है
टोल के कुछ कर्मी दादागिरी बताते हैं
टोल टैक्स पर कार्यरत कुछ लोग जनता से अपशब्द अभद्र शब्दों में बातें करते हैं यह स्थिति वहां पर दिनभर देखी जा सकती है कई बार शिकायत के बाद भी उन पर कार्यवाही नहीं हुई खलघाट टोल पर कुछ कर्मी लोगों से अपशब्द और दादागिरी बता कर बात करते हैं जबकि विधायक ने कड़े शब्दों में निर्देश दिए थे कि स्कूल बसों और एंबुलेंस को तो तत्काल निकालने की व्यवस्था की जाए लेकिन वहां पर ऐसी कोई व्यवस्था नजर नहीं आई
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