वीर योद्धा महामानव टंट्या मामा के शहादत दिवस पर समाजजनों ने दी भावभीनी श्रद्धांजली | Veer yoddha mahamanav tatya mama ke shahadat divas

वीर योद्धा महामानव टंट्या मामा के शहादत दिवस पर समाजजनों ने दी भावभीनी श्रद्धांजली

वीर योद्धा महामानव टंट्या मामा के शहादत दिवस पर समाजजनों ने दी भावभीनी श्रद्धांजली

आलीराजपुर (रफीक कुरैशी) - स्थानीय टंट्या मामा मुर्तिस्थल पर आदिवासी समाज के विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं एकत्रित हुवे। जहाँ पर उन्होंने टंट्या मामा की पूजा-अर्चना कर उन्हे श्रद्धांजली दी । इस दोरान टंट्या मामा अमर रहे के नारो से चोराहा गुंज उठा। इस अवसर पर आदिवासी छात्र संगठन के पदाधिकारी सवल, वीरेन्द्र बघेल, लालसिह डावर ने टंट्या मामा के विचारों एवं सिद्धान्तों पर प्रकाश डालते हुए कहा आजादी के संघर्ष में ये एक ऐसे योद्धा रहे है जो कि उस समय की विपरीत परिस्थितियों में जंगलों में रहकर अंग्रेजों एव अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपना सख्त अभियान चलाया। कार्यक्रम में मुकेश रावत, अरविंद कनेश, विक्रम चैहान, नितेश अलावा, सरस्वती तोमर, केरम जमरा, मुकेश अजनार आदि ने कहा कि टंट्या भील अपने आप मे एक यूनिवर्सिटी है, जिनके बारे में जितना अध्ययन किया जाए उतना कम है। आज भी टंट्या भील निमाड़-मालवा सहित आदिवासी समाज मे लोग गीतों के माध्यम से उनके शौर्य को याद किया जाता है। टंट्या भील ने अपने टुकड़ी के माध्यम से अंग्रेजों एव राज रजवाड़ों से लूटा हुवा अनाज एव कपड़े आदि जरूरतमद लोगो मे बाट दिया करते थे जिसके चलते गरीब लोगो के लिए वो मसीहा से कम नहीं थे इसीलिए लोगो ने उन्हे मामा की उपाधि दी क्योंकि वे भूखे को अनाज और वस्त्र विहीन को कपड़े देते थे दुखियों की जड़ी बूटियों से सेवा करते थे इसलिए वो टंट्या भील से टंट्या मामा बन गये। कार्यक्रम का संचालन रतनसिंह रॉवत ने किया एव आभार रमेश डावर ने माना। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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