काटो मत जोड़ो, दीप बुझाओ मत जलाओ - पं. शिवगुरू शर्मा | Kato mat jodo deep bujhao mat jalao

काटो मत जोड़ो, दीप बुझाओ मत जलाओ - पं. शिवगुरू शर्मा

पूर्ण रीति रिवाज से शिव-पार्वति का विवाह धूमधाम से सम्पन्न हुआ

काटो मत जोड़ो, दीप बुझाओ मत जलाओ - पं. शिवगुरू शर्मा

आलीराजपुर (राफियो क़ुरैशी) - स्थानिय पंचेश्वर महादेवधाम पर चल रही भागवत महापुराण कथा में व्यासपीठ से पं. षिवगुरू शर्मा ने आधुनिक युग में मनाये जा रहे जन्मदिनों पर केक काटने एवं मोमबत्तीयाॅ बुझाने की परम्पराओं पर कटाक्ष करते हुवे कहा कि काटना एवं बुझाना दोनों अपशकुन है, इसलिये दीपयज्ञ करें, जन्मवर्षों के बराबर दीपक जलाऐं, केक काटने के बजाय मिठाईयाॅ बाटें, खुषियाॅ मनाऐं, दीनदुखियों व दरिद्रों की मदद करें। अनाथालय में दान करें। गरीब बच्चों को उपयोगी वस्तुऐं भेंट करें। श्यमसान में सभी शांत रहते हैै। केवल षिवजी बोलते है। श्यमसान की महिमा को केवल शिव ने ही जाना है श्यमसान की मुण्डमाला षिव का आभुषण है तो श्यमसान की राख षिवाजी का श्रंृगार है। जन्म पर हर कोई हर्षित होता है। किन्तु मृत्यु के सत्य को स्वीकारना भी आवश्यक है। जीते जीे ईष्वर को याद कर लें। आज द्वितीय दिवस की कथा शिव-विवाह प्रसंग पर आधारित थी। इस प्रसंग को षिवजी के विवाह का पूर्ण चित्रण उद्बोदन व झाकियों, विवाह आयोजन विधियों से कर जीवंत दृष्य उपस्थित कर दिया गया। भगवान भोलेनाथ एवं पार्वती का आकर्षक श्रृंगार कर पात्र रचना देववंषिय लोहार समाज ने किया। 

गाजे-बाजे के साथ शिवजी की निकाली बारात

पश्चात सर्वप्रथम निमंत्रण पत्रिका लेखन का वर्णन हुवा। गाजे-बाजे के साथ शिवजी की बारात निकाली गई। बारात में भूत, प्रेत, पिषाच, डाकन, चुड़ैल, देष विदेष के भूत, काले, लाल, गोरे, लम्बे, ठिंगने पूरे विश्व के भूत भूतनी सम्मिलित हुये व अपनी-अपनी भाषा में हो-हो ध्वनि करने लगे। बारात में शिवजी नंदी पर उल्टे बैठकर पीछे की ओर मुॅह कर चल रहे थे। बारात की अगवानी यजमान श्रीराम जानकी परिवार ने की। शिव-पार्वति के विवाह के लिए व्यासपीठ से मंत्रोचार पं. षिवगुरू शर्मा ने किया वरमालाऐं पहनाई गई, बलाईयां ली गई, बधाइयां दी गई। सभी भक्तों ने दूल्हा-दुल्हन रूपी शिव-पार्वति के चरण धोकर कन्यादान राषि एवं वस्तुए अर्पित की रिंग सेरेमनी भी हुई बारात की बिदाई भी की गई। सभी महिला पुरूषों ने विवाह गीतों पर बारात मे व विवाह समारोह में नृत्य किया। शिवजी की महिमा बताते हुए व्यासजी ने कहा कि भगवान भोलनाथ भोला भण्डारी है थोडी सी ही भक्ति व पूजा व थोडे से स्मरण से प्रसन्न हो जाते है। शंकर पार्वति जगत के माता पिता है षिवजी शांत स्वभाव है। इसलिए इनकी पूजा-अर्चना शांत रहकर करना चाहिए। भक्तों श्रोताओं की भारी भीड़ को देखकर टेन्ट की व्यवस्था बढ़ाई गई। आरती आज के यजमान परिवार के साथ सभी यजमानों ने उतारी। आज की प्रसादी मदनलाल शोभाराम राठौड की ओर से थी।

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