हिन्दु युवा जनजाति संगठन ने जनजाति वीर क्राँतिकारी योधा टाट्या मामा का बलिदान दिवस मनाया
काकनवानी (कौस्तुभ व्यास) - कार्यक्रम मे उपस्तिथ संगठन प्रमुख कमल जी डामोर ने बताया की टंट्या मामा भील अंग्रेजी दमन को ध्वस्त करने वाली जिद तथा संघर्ष की मिसाल है। टंट्या भील के शौर्य की छबियां वर्ष 1857 के बाद उभरीं। जननायक टंट्या ने ब्रिटिश लोगों की हुकूमत द्वारा ग्रामीण जनजाति ( आदिवासी) जनता के साथ शोषण और उनके मौलिक अधिकारों के साथ हो रहे अन्याय-अत्याचार की खिलाफत की। दिलचस्प पहलू यह है कि स्वयं प्रताड़ित अंग्रेजों की सत्ता ने जननायक टंट्या को “इण्डियन रॉबिनहुड’’ का खिताब दिया। मध्यप्रदेश के जननायक टंट्या भील को 4 दिसम्बर 1889 में कुछ जयचंद की वजह से फाँसी दे दी गई। कार्यक्रम मे पलवाड से आये युवा अर्जुन अमलियार,सन्जू,फुलदेव, ,सिमोन,संतोष राहुल जी रादु जी व अन्य कार्यकर्ता उपस्तिथ थे आभार मनोज पारगी ने वक्त किया।
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