कोर्ट पेशी पर पहुंचे टीआई को देख रो पड़ा दिव्यांग, टीआई ने करवाया दिव्यांग का इलाज
देपालपुर (दिपक सेन) - देवास जिले से ट्रांसफर होने के बाद सुनील यादव इंदौर आ गए। कल वहां देपालपुर कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे। तभी देपालपुर का दिव्यांग जीवन मालवीय टीआई सुनील यादव को देख कर रोने लग गया। अपनी समस्याएं सुनाई। दिव्यांग जीवन मालवीय के पैर में कई दिनों से चोट लगी हुई थी और पैर खराब हो रहा था उसने टीआई सुनील यादव को पैर बताएं। यादव तुरंत अपनी गाड़ी में बिठाकर स्थानीय चिकित्सालय ले गए और डॉक्टरों से इलाज करवाया। टिआई सुनिल यादव देपालपुर में 4 साल टीआई रहे हैं। उनके कार्यकाल में उन्होंने देपालपुर में 50 से ज्यादा दिव्यांगों को निशुल्क ट्राई साइकल व वैशाखी वितरित की है।
आज भी वह दिव्यांगजन टीआई यादव को याद करते हैं। जैसे ही टिआई की देपालपुर पहुंचने की खबर दिव्यांगों को लगी तो वह भी उनसे मिलने पहुंचे। बताया जाता है कि सरकार शिविरों में जब दिव्यांग साइकिल लेने पूछते थे तो उनको नहीं मिलती थी तो टिआई यादव उनको थाने पर बुलाकर ट्राई साइकल देते थे। दिव्यांग जीवन मालवीय ने बताया है की टीआई साहब के कार्यकाल में मेरी पढ़ाई का खर्चा टीआई साहब ही देते थे। 3 साल पहले में एक शिविर में गया था। महा मुझे सरकार द्वारा साइकिल नहीं मिली तो मैं निराश होकर घर जा रहा था और महा रोने लगा तभी टीआई यादव ने मुझे कहा कि थाने पर आ जाओ मैं आपको साइकिल दूंगा। जब थाने पहुंचा तो मुझे नई ट्राई साइकिल दी गई। और दूसरे दिन ही मेरा एडमिशन स्कूल में कराया गया। आज भी मैं यादव साहब को अपने पिता समान मानता हूं।
आज भी नगर के लोग याद करते हैं टीआई को
टिआई यादव ने सबसे ज्यादा देपालपुर नगर में जनता के साथ रहकर अपना उनकी राय जानकर नगर में निकलते थे। थाने पर ही वह नगर के गणमान्य नागरिकों से चर्चा कर नगर के हाल जानते थे। उसके बाद ही वह नगर में अपनी टीम के साथ निकलती थी। उनको देखते ही नगर के कहीं गुंडे बदमाशों भाग जाते थे। कहीं गुंडे बदमाशों ने तो नगर ही छोड़ दिया था। उनका ट्रांसफर होने के बाद भी नगर के लोग आज भी उनको याद करते हैं।
21 लड़कियों की बनाई थी समर्थ संगिनी की टीम
टीआई सुनील यादव ने उनके कार्यकाल में देपालपुर नगर के शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय की 21 लड़कियों की समर्थ संगनी की टीम बनाई। और उनको कराटे मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देकर उनको तैयार किया। और अपनी टीम बनाई। 21 लड़कियों की नगर के आयोजनों में वह मंदिरों में ड्यूटी लगाई जाती थी। इसी के लिए यादव की प्रशंसा कहीं बड़े अधिकारियों ने भी की थी।
गरीब बच्चों के कराते थे ऐडमिशन
जिन बच्चों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती थी वह उनके परिवार के लोग उनकी मदद नहीं कर पाते थे। परिवार सहित थाने पर बुलाकर लोगों की मदद की जाती थी। उनके कार्यकाल में उन्होंने कहीं गरीब बच्चों के एडमिशन वह पढ़ाई लिखाई का खर्चा भी दिया है। उन परिवार के लोगों की आर्थिक मदद भी करते थे। आज भी वह परिवार टिआई यादव को याद करते हैं।
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