आत्मिक सुख कभी नष्ट नहीं होता, यह सुख सद्कर्मों से प्राप्त होता है - धर्मरति विजयी मसा | Aatmiy sukh kabhi nasht nhi hota

आत्मिक सुख कभी नष्ट नहीं होता, यह सुख सद्कर्मों से प्राप्त होता है - धर्मरति विजयी मसा

आत्मिक सुख कभी नष्ट नहीं होता, यह सुख सद्कर्मों से प्राप्त होता है - धर्मरति विजयी मसा

झाबुआ (मनीष कुमट) - परम् पूज्य आचार्य भगवंत श्री रामचन्द्र सूरीष्वरजी समुदायवर्ती पपू पंन्यास प्रवर श्री धर्मरति विजयजी मसा आदि ठाणा-3 श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में विराजमान है। श्री धर्मरति विजयजी मसा द्वारा 30 दिसंबर, सोमवार को सुबह 9.30 बजे से बावन जिनालय स्थित पोषध शाला भवन में प्रवचन भी दिए गए। जिसमें मुख्य रूप से उन्होंने आज मनुष्य को सांसारिक मोह-मोया से दूर रहकर धर्म और कर्म के मार्ग पर चलने हेतु प्रषस्त किया।

पंन्यास प्रवर ने प्रवचन में कहा कि आज सभी जीवों को दुख भोग बिना ही सुख की चाह है, ऐसा सुख चाहिए जो कभी नष्ट ना हो पाएं। ऐसा सुख वे भौतिक पदार्थों में ढूंढते है। मनुष्य चाहता है कि पांच इंद्रियों की अनुकूलता मिले, उसके योग्य विषय भोग मिले, लेकिन आज जो सुख प्राप्ति के लिए धर्म और कर्म का मार्ग चाहिए, उसकी ओर कोई नहीं जाना चाहता है। इसके चलते ही आज वैमनस्य और झगड़े हो रहे है। भौतिक सुख पाने के चक्कर आधु-व्याधि-उपाधि प्राप्त हो रहीं है। हमे अपने सुख और दुख का कारण समझना होगा। धर्मरति विजयजी मसा ने आगे बताया कि वास्तविक सुख आत्मा में है, उसके लिए कोई भी भौतिक पदार्थों की आवष्यकता नहीं है। आत्मिक सुख कभी नष्ट नहीं होता। यह सद्कर्म करने से से प्राप्त होता है।

31 दिसंबर को होगा पारा के लिए विहार

धर्मरति विजयजी आदि ठाणा ने सोमवार शाम 5.30 बजे बावन जिनालय से विहार कर श्री गोड़ी पाष्र्वनाथ मंदिर पर आगमन हुआ। जहां 31 दिसंबर, मंगलवार को सुबह 6 बजे यहां से विहार करते हुए पारा नगर में सुबह करीब 9.15 बजे पधारेंगे। श्वेतांबर जैन श्री संघ अध्यक्ष संजय मेहता ने श्री संघ के सभी महानुभावों से विहार में अधिक से अधिक संख्या में पधारने हेतु अपील की है। 

1 फरवरी को सूरत में भव्य दीक्षा महोत्सव 

आगामी 1 फरवरी 2020 को गुजरात के सूरत शहर में 61 दीक्षार्थियों का दीक्षा महोत्सव का आयोजन होना है। यह संपूर्ण आयोजन पूज्य आचार्य श्रेयांष प्रभ सूरीजी मसा की निश्रा में संपन्न होंगा। वहीं इस आयोजन में पंन्यास प्रवर धर्मरति विजयजी मसा, श्रुतोदय विजयजी मसा एवं भाग्यरति विजयजी मसा सहित करीब 400-500 साधु-साध्वीगण शामिल होकर अपनी निश्रा प्रदान करेंगे। इस भव्य दीक्षा महोत्सव में सूरत निवासी श्रीमती कांताबेन चिमनलाल पीलूचा उम्र 85 वर्ष, की सबसे अधिक उम्र की महिला भी दीक्षा (सन्यासी जीवन) ग्रहण करेंगी वहीं इस संपूर्ण आयोजन के लाभार्थी भी श्रीमती कांताबेन चिमनलाल पीलूचा परिवार ही है। झाबुआ से भी इस आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में समाजजनों में पधारकर लाभ लेने की अपील की गई है।

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