कांतिलाल भूरिया के धुआंधार प्रचार-प्रसार के बीच भाजपा में अंदरूनी तौर पर अंतर कलह जोरो पर, निर्दलीय प्रत्याशी कल्याणसिंह डामोर भी जुटे हुए जनंसपर्क में | Kantilal bhuriya ke dhuadhar prachar prasar ke bich bhajpa main andruni tor pr antar kalah joro pr

कांतिलाल भूरिया के धुआंधार प्रचार-प्रसार के बीच भाजपा में अंदरूनी तौर पर अंतर कलह जोरो पर, निर्दलीय प्रत्याशी कल्याणसिंह डामोर भी जुटे हुए जनंसपर्क में

कांतिलाल भूरिया के धुआंधार प्रचार-प्रसार के बीच भाजपा में अंदरूनी तौर पर अंतर कलह जोरो पर, निर्दलीय प्रत्याशी कल्याणसिंह डामोर भी जुटे हुए जनंसपर्क में

झाबुआ (मनीष कुमट) - विधानसभा उपचुनाव के प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क में अब बमुश्किल 9-10 दिनों का समय शेष रह गया है। इस बीच चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क में पूरी एड़ी-चोटी का बल लगा रहे है। मतदाताओं को लुभाने हेतु तमाम प्रयास किए जा रहे है। इस बीच अंदर से जो छनकर खबरे आ रहीं हे उसमें कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया का धुआंधार प्रचार-प्रसार जारी है, तो भाजपा में अंदस्रूनी तौर पर अंतरकलह भी देखने को मिल रहा है, चूंकि पार्टी से टिकीट के उम्मीद्वार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उधर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे कल्याणसिंह डामोर भी तेजी से जनसंर्पक में लगे हुए है। 

कांतिलाल भूरिया के धुआंधार प्रचार-प्रसार के बीच भाजपा में अंदरूनी तौर पर अंतर कलह जोरो पर, निर्दलीय प्रत्याशी कल्याणसिंह डामोर भी जुटे हुए जनंसपर्क में

झाबुआ जिले का राजनैतिक पारा इन दिनों पूरी तरह से गर्माया हुआ है। विधानसभा उप-चुनाव के तहत मतदान की तिथि जेसे-जैसे नजदीक आती जा रहीं है, वैसे-वैसे प्रत्याशियों के दिलों की धड़कने भी तेज हो रहीं है। दीपावली पर्व से पूर्व ही विधानसभा उप-चुनाव का मतदान होने के साथ मतगणना भी हो जाएगीं, अर्थात प्रत्याशियों के हार जीत का फैसला हो जाएगा।

भूरिया वर्सेस भूरिया की जंग

फिलहाल चुनावी मेदान में मुख्य रूप से तीन प्रत्याशी मैदान में है। जिसमे कांग्रेस से कांतिलाल भूरिया, भाजपा से भानु भूरिया और भाजपा से बागी उम्मीद्वार निर्दलीय प्रत्याशी कल्याणसिंह डामोर मैदान में डटे हुए है। जिसमें मुख्य मुकाबला कांग्रेस के भूरिया वर्सेस भाजपा के भूरिया में ही है, निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा की जीत के लिए रोड़ा बना हुआ है।

कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेड़ा की जुगलबंदी

कांग्रेस से प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया, एक तरफ जहां स्वयं पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व सांसद होकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार है। उनकी तूती ना केवल भोपाल अपितु दिल्ली में भी बोलती है, इसका पता इससे चलता है कि उनके टिकीट का फायनल दिल्ली से स्वयं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी की सिफारिश पर पार्टी से अधिकृत पत्र भी अभा कांग्रेस कमेटी के महासचिव मुकुल वासनिक के हस्ताक्षरयुक्त जारी हुआ। वहीं इस बार पिछले विधानसभा चुनाव की तरह पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा कांग्रेस से बागी होकर चुनाव नहीं लड़ रहे है। जेवियर मेड़ा को टिकीट नहीं मिलने पर भी उन्हें स्वयं मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं सरकार के अन्य मंत्रियों द्वारा ओर कोई बड़ा शिगुफा देकर मनाने में कामयाब हुए है। जनंसर्पंक और प्रचार-प्रसार में कांतिलाल भूरिया के साथ स्वयं जेवियर मेड़ा साथ रहकर पार्टी के पक्ष में मतदान के लिए अपील कर रहे है। उन्हें पार्टी से अलग नहीं रखा जा रहा हे। 

कांतिलाल भूरिया को जीताने में लगी सरकार और पार्टी भी

वहीं दूसरी ओर कांतिलाल भूरिया को जीताने में मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ सरकार के मंत्रीगण सहित कांग्रेस पार्टी के आला पदाधिकारी भी उन्हें जीताने हेतु पूरजोर प्रयास कर रहे है। वहीं पार्टी के जिला स्तर के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क के दौरान साथ दिख रहे हे। इसके चलते ही पिछले दो-तीन महीने के भीतर ही स्वयं प्रदेश के मुखिया कमलनाथ के झाबुआ के 3-4 दौर हो चुके है। 9 अक्टूबर को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने झाबुआ के ग्राम गोपालपुरा हवाई पट्टी से कल्याणपुरा तक बीच में आने वाले सभी गांवों का रोड शो किया। बाद कल्याणपुरा में सभा भी लीं वहीं दूसरी ओर उनकी सरकार के मंत्री एवं आसपास के क्षेत्रों के विधायकगण भी झाबुआ विधानसभा में जगह-जगह डेरा डालकर पूरी विधानसभा को अलग-अलग भागों में बांटकर अलग-अलग विभागों के मंत्री स्वयं कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क में लगे हुए है।

कांतिलाल भूरिया का परिवार भी लगा प्रचार-प्रसार में

उधर कांतिलाल भूरिया को जीताने हेतु उनका परिवार जिसमें उनके पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया, धर्मपत्नि श्रीमती कल्पना भूरिया, बहू डॉ. शीना भूरिया आदि भी प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क की कमान संभाले हुए है। पत्नि एवं बहू द्वारा ढोल-धमाकों के साथ स्थानीय पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं के साथ झाबुआ शहर में घर-घर दस्तक देकर महिलाओं से चर्चा कर उन्हें कांग्रेस के पक्ष में मतदान की अपील की जा रहीं है तो पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया भी ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार की बागडोर संभाले हुए है। 

कांतिलाल भूरिया के लिए प्रतिष्ठा के चुनाव, जीते तो मंत्री की पोस्ट और हारे तो पार्टी में गिरेगा स्तर

चूंकि कांतिलाल भूरिया को पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गुमानसिंह डामोर करीब 90 हजार वोटों से पटखनी दे चुके है, इसके पूर्व भी हुए विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया को जीएस डामोर द्वारा करीब 10 हजार वोटो से हराया जा चुका है, अब तीसरी पारी के रूप में कांतिलाल भूरिया विधानसभा चुनाव में अपना स्तर नीचे कर भाग्य आजमा रहे है। प्रबल संभावना है कि यदि वह यह चुनाव जीतते है, तो उन्हें सरकार में अच्छे विभाग का मंत्री पद मिल जाएगा, वहीं वे तो स्वयं अंदर ही अंदर उप-मुख्यमंत्री बनने की चाहत लगाए बैठे है, इस तरह के सोश्यल मीडिया पर कांग्रेस के ग्रुपों में मेसेज भी वायरल हो रहे है, जहां उनके विधायक चुनाव अधिकृत तौर पर जीतने से पूर्व ही मंत्री बनने के सब्जबाग दिखाए जा रहे है। दूसरी ओर यदि कांतिलाल भूरिया यह चुनाव हारते है, तो भूरिया परिवार का यह तीसरा चुनाव हारने से निश्चित ही इसका असर ना केवल कांतिलाल भूरिया अपितु उनके पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया की छवि पर भी सीधा-सीधा पडेगा। पार्टी में उनकी वरिष्ठता का प्रभाव काफी घटेगा, वहीं सोश्यल मीडिया पर तो यह मैसेज भी वायरल हो रहे है कि उसके बाद वह सरपंच का चुनाव लड़ेंगे … !, खैर यह तो 24 अक्टूबर को परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा।

भानू भूरिया नया चेहरा होकर छवि साफ

दूसरी ओर भाजपा से चुनावी मैदान में उतरे भानू भूरिया, जो भाजयुमो के जिलाध्यक्ष होकर एक नया युचा चेहरे के साथ साफ छवि के है। वे भी विधानसभा क्षेत्र के शहरी, नगरीय के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के फलिये-फलिये, घर-धर तक धुआंधार प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क में जुटे हुए है। उनके लिए पूरी ताकत के साथ भाजयुमो की पूरे जिले में फैली टीम काम कर रहीं है। वहीं भाजपा की ओर से सांसद गुमानसिंह डामोर, भाजपा जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा नेतृत्व प्रदान कर रहे हे। तो वहीं अंदरूनी सूत्रों के अनुसार राजगढ़ नाका लाबी से प्रमुख शैलेष दुबे भी उनके साथ दिखाई दे रहे है। उधर भाजपा के अन्य कई जिला-ग्रामीण पदाधिकारियों में फिलहाल असमंजस बना हुआ है एवं उनमें अंतकलह भी देखने को मिल रहा है। उधर भाजपा महिला मोर्चा का भी अब तक चुनावी मैदान में प्रचार-प्रसार में नहीं उतरना, समझ से परे है।

उल्टी-सीधी बयानबाजी भाजपा को पड़ रहीं महंगी

उधर भाजपा के प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय पदाधिकारियों की उल्टी-सीधी बयानबाजी का असर कहीं ना कहीं विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की स्थिति को कमजोर कर रहा है। विगत 30 सितंबर को जब नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव द्वारा भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में सभा लेते हुए राजवाड़ा पर संबोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी पाकिस्तानी पार्टी होकर उसके प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को जीताने पर पाकिस्तान की जीत होने एवं भाजपा प्रत्याशी हिन्दूस्तान की पार्टी होकर भाजपा प्रत्याशी भानू भूरिया को मतदान करने पर हिन्दूस्तान की जीत के बयान पर काफी बवाल हुआ था, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से निवार्चन आयोग को शिकायत करने पर रातोरात नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के खिलाफ पुलिस थाना झाबुआ पर एफआईआर दर्ज हुई। इसके बाद भी पार्टी के प्रादेशिक पदाधिकारी उल्टी-सीधी बयानबाजी करने से नहीं चूक रहे है।

कल्याणसिंह डामोर बिगाड़ रहे खेल

उधर भाजपा का खेल खुले रूप से भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे निर्दलीय प्रत्याशी कल्याणसिंह डामोर बिगाड़ते देखे जा रहे है। चुनावी समर में कल्याणसिंह डामोर भी उतरते हुए प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क में जुटे हुए है। कल्याणसिंह डामोर के खाते में दर्ज होने वाले वोटो का असर सीधे-सीधे भाजपा प्रत्याशी के वोट बैंक पर पडे़गा, जिस तरह पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. विक्रांत भूरिया, कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय प्रत्याशी जेवियर मेड़ा के कारण हारे थे, वहीं इसी प्रकार की स्थिति इस बार भाजपा प्रत्याशी के साथ निर्मित होती दिख रहीं है।

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