श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में चार्तुमास के तहत नवल एवं जलज की निश्रा में हो रहे विविध कार्यक्रम, आचार्य नरेन्द्र सूरीजी की सूरी मंत्र की द्वितीय पीठिका की साधना हुई आरंभ
झाबुआ (अली असगर बोहरा) - जैन तीर्थ श्री ऋषभदेव बावन जिनालय के भव्य परिसर में आडम्बर मुक्त तथा आराधना युक्त चार्तुमास प्रगतिषील पथ पर निरंतर अग्रसर है। चातुर्मास में विविध कार्यक्रम अष्ट प्रभावक, प्रवचन सम्राट, राजस्थान केसरी आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा ‘नवल’ एवं मालव भूषण, जिले की माटी के सपूत प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजजयी मसा ‘जलज’ के पावन सानिध्य में हो रहे है।
शनिवार को राजगढ़ जैन श्री संध, जोधपुर श्री संघ, बामनिया, राजेन्द्र भवन ट्रस्ट मंडल चेन्नई सहित नेल्लूर, मुंबई, पूना, कामरोट, इंदौर, ओरंगाबाद आदि नगरों से दर्षनार्थी झाबुआ आए एवं देव दर्षन तथा गुरूवंदन किया। शनिवार को धर्मस्भा में प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा ‘जलज’ ने प्रथम चक्रवती भरत महाराज की अनासक्ति एवं उत्कृष्ट प्रभु भक्ति का उदाहरण देते हुए प्रवचन में कहा कि संसार की आषक्ति से आत्म शक्ति प्रगट नहीं हो रहीं है। शक्ति में यदपि भरत चक्रवर्ती महान थे, किन्तु राज्य विस्तार की अषक्ति के कारण छोटे भाई बाहुबल से युद्ध में परास्त हो गए थे। अंतर दृष्टि प्राप्त होने पर शरीर की नष्वरता और संसार की क्षण भंगुरता समझने में देर नहीं लगाई। केवल ज्ञान महोत्सव में संपूर्ण राज परिवार सहित आकर भगवान आदिनाथ स्वामीजी से आत्म जागृति प्राप्त की थीं।
सूरी मंत्र की द्वितीय पीठिका की आरंभ
अष्ट प्रभावक, प्रवचन सम्राट आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा चतुर्दषी से सूरी मंत्र की द्वितीय पीठिका की मंगलमय साधना बावन जिनालय परिसर एवं श्री राजेन्द्र सूरी जैन पोषध शाला में आडम्बर रहित व्यवस्था से प्रारंभ कर चुके है। दादा गुरूदेव श्रीमदृ विजय राजेन्द्र सूरीष्वरजी मसा द्वारा प्रदत्त एवं लिखित सूरी मंत्र की साधना करते हुए प्रतिदिन भक्तों को मांगलिक श्रवण करवाकर सूरी मंत्र का वासाक्षेप प्रदान कर आर्षीवाद दे रहे है। शहर में समाजजन एवं गुरू भक्त स्वेच्छा से गुरू भगवंतों के पास आकर अनेकानेक नियम लेकर मनुष्य भव को सफल कर रहे हे। धर्ममय वातावरण से सकल जैन श्वेतांबर श्री संघ में अपार खुशी की लहर है।
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