रविवार से शुरू हो रहे हैं नवरात्रि | Ravivar se shuru ho rhe hai navratri

रविवार से शुरू हो रहे हैं नवरात्रि

रविवार से शुरू हो रहे हैं नवरात्रि

पंडित जितेंद्र पाठक से जानी

देपालपुर (दीपक सेन) - इस बार नवरात्र 29 सितम्बर से शुरू हो रहे हैं। सनातन धर्म के मानने वाले नवरात्र के पहले दिन घर में मां दुर्गा के कलश की स्थापना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कलश स्थापना करने के कुछ खास नियम और शुभ मुहूर्त भी होता है। जिसमें पूजा करने से आप माता रानी को झट से प्रसन्न कर सकते हैं।

दुर्गा की कृपा पाने के लिए  कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 16 मिनट से लेकर 7 बजकर 40 मिनट तक रहने वाला है।  इसके अलावा जो भक्त सुबह कलश स्थापना न कर पा रहे हो उनके लिए दिन में 11 बजकर 48 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट तक का समय कलश स्थापना के लिए शुभ रहने वाला है।

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ये है कलश स्थापना का सही तरीका-नवरात्र के पहले दिन जो घट स्थापना की जाती है उसे ही कलश स्थापना भी कहा जाता है। कलश स्थापना करने के लिए व्यक्ति को नदी की रेत का उपयोग करना चाहिए। इस रेत में जौ डालने के बाद कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें। इसके बाद  ‘ॐ भूम्यै नम:’ कहते हुए कलश को 7 अनाज के साथ रेत के ऊपर स्थापित कर दें। कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलते रहें। ज्योतिषियों की मानें तो नवरात्र में पूजा की सामग्री अमावस्या की तिथि खत्म होने के बाद ही खरीदना शुभ होता है।

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नवरात्र में जरूरी सामग्री :
’ माता की मूर्ति ’ चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीला कपड़ा ’ माता की लाल चुनरी  ’ कलश
’ ताजा आम के पत्ते ’ फूल माला  ’ एक जटा वाला नारियल ’ पान के पत्ते ’ सुपारी ’ इलायची ’ लौंग ’ कपूर ’ रोली सिंदूर ’ मौली (कलावा) ’ चावल ’ घी ’ रुई या बत्ती ’ हवन सामग्री ’ पांच मेवा
’ कपूर। ’ जवारे बोने के लिए मिट्टी का बर्तन

नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के ये खास नियम पता हैं आपको

इस बार नवरात्र 29 सितम्बर से शुरू हो रहे हैं। पूजा के दौरान इन खास नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है।

’    नौ दिनों तक माता का व्रत रखें। अगर शक्ति न हो तो पहले, चौथे और आठवें दिन का उपवास अवश्य करें।
’    पूजा स्थान में दुर्गा, लक्ष्मी और मां सरस्वती के चित्रों की स्थापना करके फूलों से सजाकर पूजन करें।
’    नौ दिनों तक मां दुर्गा के नाम की ज्योति जलाएं।
’    मां के मंत्र का स्मरण जरूर करें- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’
’    इन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।
’    मां दुर्गा को तुलसी दल और दूर्वा चढ़ाना मना है।
’    पूजन में हमेशा लाल रंग के आसन का उपयोग करना उत्तम होता है। आसन लाल रंग का और ऊनी होना चाहिए।
’    पूजा के समय लाल वस्त्र पहनना शुभ होता है। वहीं इस दौरान लाल रंग का तिलक भी लगाएं।
’    कलश की स्थापना शुभ मुहूर्त में करें और कलश का मुंह खुला न रखें।
’    पूजा करने के बाद मां को दोनों समय लौंग और बताशे का भोग लगाएं।
’    मां को सुबह शहद मिला दूध अर्पित करें। पूजन के पास इसे ग्रहण करने से आत्मा व शरीर को बल प्राप्ति होती है। 
’    आखिरी दिन घर में रखीं पुस्तकें, वाद्य यंत्रों, कलम आदि की पूजा जरूर करें।

नवरात्र में इस दिन करें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना

29    सितम्बर, प्रतिपदा-नवरात्र के पहले दिन घट या कलश स्थापना की जाती है। इस दिन मां के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है।
30    सितम्बर, द्वितीया-नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है।
01    अक्तूबर, तृतीया-नवरात्र के तीसरे दिन मां  चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
02    अक्तूबर, चतुर्थी-नवरात्र के चौथे दिन मां के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है।
03    अक्तूबर, पंचमी-नवरात्र के 5वें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है।
04    अक्तूबर, षष्ठी-नवरात्र के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है।
05    अक्तूबर, सप्तमी-नवरात्र के सातवें
दिन  कालरात्रि की पूजा होती है।
06    अक्तूबर, अष्टमी-नवरात्र के आठवें दिन माता के भक्त महागौरी की आराधना करते हैं।
07    अक्तूबर, नवमी-नवरात्र का नौवें
दिन मां सिद्धिदात्री
की पूजा और नवमी हवन करके नवरात्र परायण किया जाता है।
08    अक्तूबर, दशमी-दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी

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