प्रशासनिक लापरवाही, बिना विस्थापन के डुब गये मंदिर, नर्मदा तट पर थे तीनों प्राचीन मंदिर | Prashasnik Laparwahi, bina visthapan ke dub gaye mandir

प्रशासनिक लापरवाही, बिना विस्थापन के डुब गये मंदिर, नर्मदा तट पर थे तीनों प्राचीन मंदिर

प्रशासनिक लापरवाही, बिना विस्थापन के डुब गये मंदिर, नर्मदा तट पर थे तीनों प्राचीन मंदिर

धरमपुरी (गोलू पटेल) - सरदार सरोवर बांध की डुब से आंशिक रुप से प्रभावित होने वाले इस नगर के डुब प्रभावित परिवार पिछले कई वर्षों से उचित स्थान पर बसाने सहित विभिन्न समस्याओं को लेकर संघर्ष कर रहे है। गौरतलब है कि नगर के कुल 86 मकान डुब की जद में है। जिनमें मंदिर-मस्जिद व धार्मिक स्थल शामिल है। वर्तमान में डुब प्रभावित क्षेत्र में तो पानी नही पहुंचा है किन्तू यहां के तीन मंदिर जरुर डुब गये है। इसमें भी सबसे बड़ी बात ये की इन मंदिरों को अन्यत्र स्थान पर शिफ्ट करना था, जो स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के चलते बिना पूर्णतः जलमग्न हो गये है। वही प्रश्न भी खड़ा हो गया है कि अब इन्हें कैसे शिफ्ट किया जा सकेगा?

प्रशासनिक लापरवाही, बिना विस्थापन के डुब गये मंदिर, नर्मदा तट पर थे तीनों प्राचीन मंदिर

सरदार सरोवर बांध में गेट लगने व औंकारेश्वर, इंदिरा सागर सहित अन्य बांधों का पानी छोड़े जाने के कारण यहां का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ है। जलस्तर 134 मीटर से अधिक पहुंच चुका है जिसके कारण यहां नर्मदा तट पर मौजुद तीन मंदिर पुरी तरह से जलमग्न हो गये। वही तीन घाट भी इसमें डुब गये है। जबकि इन प्राचीन मंदिरों को नियमानुसार यहां से अन्य सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करना था। जिसकी तैयारियां भी यहां दो वर्ष पूर्व की गई थी। किन्तू उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। वही स्थानीय अधिकारियों ने भी इस पर ध्यान नही दिया। जिसके चलते बिना विस्थापन के ही तीनों मंदिर डुब गये।

प्रशासनिक लापरवाही, बिना विस्थापन के डुब गये मंदिर, नर्मदा तट पर थे तीनों प्राचीन मंदिर

नगर के नर्मदा तट पर मौजुद शीतला माता मंदिर, सात मात्रा शिव मंदिर व बेंट संस्थान में गणपति घाट पर स्थित शिव मंदिर वर्तमान में पुरी तरह से जलमग्न हो गये है। मंदिरों से काफी ऊपर से पानी बह रहा है। वही गणपति घाट, पेढ़ीघाट व शीतला माता घाट भी पुरी तरह से डुब चुके है। शीतला माता घाट को छोड़ कर सभी मंदिर व घाट बेहद प्राचीन थे। जिनमें से मंदिरों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करना था। जिसके लिये करीब दो वर्ष पूर्व तत्कालीन प्रशासन के द्वारा जद्दोजहद की गई थी। किन्तू उसके बाद इन मंदिरों की तरह किसी ने झांक कर भी नही देखा। जिसके चलते ये तीनों में मंदिर बिना विस्थापन के ही नर्मदा में समा गये।

मंदिर में नर्मदा में डुब जाने से यह प्रश्न खड़ा हो गया है कि अब इन मंदिरों का विस्थापन कैसे होगा? वही कई दिनों से ये सभी मंदिर जलमग्न है ऐसे में इनमें स्थापित प्रतिमाऐं यदि बह गई तो इसके लिये जिम्मेदार कौन होगा? नगर का एक मात्र शीतला माता मंदिर जहां पर तीज-त्यौहारों व हिन्दू परिवारों में होने वाले विवाह कार्यक्रम की पहली रस्म शीतला माता पुजन अब कैसे होगा? जब धीरे-धीरे नर्मदा का जलस्तर बढ़ रहा था तब भी स्थानीय प्रशासन ने इस और ध्यान क्यों नही दिया? ये सभी प्रश्न यहां के लोग उठा रहे है।

इस संबंध में भू अर्जन अधिकारी रंजना मुजाल्दे से बात करने के लिये उनके मोबाईल नंबर 9174225081 पर कॉल किया किन्तु उन्होनें काल रिसिव नही किया।

वही एसडीएम सत्यनारायण दर्रे ने बताया की मंदिरों को शिफ्ट करने के तो निर्देश थे, इसमें कोई दो मत नही है। नही हुआ है तो हम दिखवाते है कि क्यों नही हुआ, किस कारण से रह गये।

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