मेघनगर नगर परिषद में दिखाएं हाथी के दांत | Meghnagar nagar parishad main dikhae hathi ke daant

मेघनगर नगर परिषद में दिखाएं हाथी के दांत

मेघनगर नगर परिषद में दिखाएं हाथी के दांत

कौन चूस रहा है गरीबों का खून,क्या मिलेगी सरसी बाई की आत्मा को शांति

मेघनगर (जियाउल हक क़ादरी) - मेघनगर में सरसी बाई धर्मशाला बनाने का उद्देश्य बेरोजगार लोगों को व्यवसाय हेतु दुकानें देकर असहाय व्यक्तियो के मुंह का निवाला बनना था। लेकिन कुछ भ्रष्ट भू माफिया के मकड़जाल ने सरसी बाई धर्मशाला लीज की जमीन के सौदागर बन बैठे। लीज की जमीन जिन गरीबों के नाम थी। उनको चंद पैसों का लालच या उनकी मजबूरी का फायदा उठा कर रसूदखोरो द्वारा जमीन हथिया कर कब्जा कर ली गई। इस मकड़जाल में एक सहकारी महिला संस्था भी चपेट में आ गई ...संस्था द्वारा महिलाओं के हित की परवाह किए बगैर संस्था ने सालो पूर्व धन्ना सेठ को जगह किराए पर दे दी।तो वही अपने नाम के विपरित मुख में राम बगल में छुरी की तर्ज पर इसकी टोपी उसके सर करने वाले धन्ना सेठ ने एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार- चार दुकान पर अपना कब्जा जमा रखा है। इस सरसी बाई धर्मशाला में बसे कई भू माफियाओं ने लीज की जमीन को लाखों रुपए के दाम पर दो से तीन अलग-अलग पार्टियों को  स्टांप पर लिखा पढ़ी कर सरकारी लीच जमीन को बेच दिया गया। लेकिन जब नगर के समाजसेवी और प्रबुद्ध मीडिया द्वारा गरीब बेरोजगार लोगों के लिए आवाज उठाई गई तब रसूखदार द्वारा बिना नगर परिषद की अनुमति के बिल्डिंग बनाने का कार्य तेजी से चल रहा था लगातार अखबार के माध्यम से मीडिया,नगर परिषद व राजस्व विभाग जवाबदारो को जगाता रहा। जिसके बाद नगर परिषद का विकास बनकर आए विकास डाबर और राजस्व की पराग की महक पराग जैन ने मिलकर एक साथ चार दुकानों पर कब्जा करने वाले कब्जा धारी को लिज की दुकान के दस्तावेज तीन दिन प्रस्तुत करने का नोटिस दिया लेकिन 6 दिन और 15 दिन तक कब्जा धारी अपने दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका शनिवार के दिन मेघनगर नगर परिषद सीएमओ के आदेशानुसार परिषद के अमले ने लीज की जमीन पर बिना अनुमति से चल रहे निर्माणाधीन जगह पर जाकर  निर्माण कार्यों को रुकवाया एवं कच्ची निर्माण सामग्री जप्त की जबकि होना यह था कि निर्माण कार्य की हुई जगह में यदि बिना अनुमति से निर्माण कार्य किया जा रहा था तो। पूर्व में दिए कई नोटिस के जवाब न देने के बाद अवैध तरीके से निर्माण कर रही जगह को तोड़ा क्यो नही गया। सरकारी अमला जब कच्चा माल निर्माण  करने वाली जगह से कच्चा माल उठा रहा था तभी रसुखदार के प्राइवेट लोग भी कच्चे माल को बटोर कर निर्माण कार्य चल रही प्रथम मंजिला पर कच्चा माल ले जाकर रख रहे  थे। शनिवार को हुई नगर परिषद की कार्रवाई को देखते हुए हम यह कह सकते हैं कि यह तो सिर्फ हाथी के दांत थे अब नगर परिषद के विकास और राजस्व के पाराग को तय करना है की चौराहे की चर्चा माल के लेनदेन की चर्चा व झाबुआ जिले में आदर्श आचार संहिता लगने के बाद भी राजनीतिक दबाव में अधिकारी कहीं कार्य तो नहीं कर रहे... यह बाते सही साबित ना हो जाए।

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