जैस शालिभद्र ने पुण्य बांधा, ऐसे पुण्य जीवन में हमे करना चाहिए – आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी | Jaish shalibhadr ne puny bandha

जैस शालिभद्र ने पुण्य बांधा, ऐसे पुण्य जीवन में हमे करना चाहिए – आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी 

जैस शालिभद्र ने पुण्य बांधा, ऐसे पुण्य जीवन में हमे करना चाहिए – आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी

अष्ट प्रभावक के 50वें संयम दिवस के उपलक्ष में प्रथम दिन जिनेष्वर पूजन एवं दूसरे दिन श्री धन्ना शालिभद्रजी की 99 पेटियों का हुआ कार्यक्रम

झाबुआ (अली असगर) - जैन धर्म दीवाकर, राजस्थान केसरी, अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा ‘नवल’ के 50वें संयम अनुमोदनार्थ त्रि-दिवसीय महोत्सव का आयोजन श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में किया जा रहा है। जिसमें प्रथम दिन मंदिर में पंच जिनेष्वर पूजन एवं दूसरे दिन श्री धन्ना शालिभद्रजी की 99 पेटियों का भव्य कार्यक्रम संपन्न हुआ। 

जानकरी देते हुए चातुर्मास समिति के अध्यक्ष कमलेष कोठारी एवं समाज रत्न सुभाष कोठारी ने बताया कि अष्ट प्रभावक के 50वंे संयम अनुमोदनार्थ त्रि-दिवसीय महोत्सव के तहत बावन जिनालय में 6 सितंबर, शुक्रवार को सुबह 9 बजे से श्री पंच जिनेष्वर पूजन हुई। जिसमें जीवदया ज्ञान भंडार का लाभ हीराचंद भगवानजी फाला मुथा परिवार आहोर हाॅल मुकाम कल्याण महाराष्ट्र ने लिया। महापूजन में बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए। दोपहर 12 बजे मूर्तिपूजक श्री संघ एवं बाहर से पधारे अतिथियों के साधर्मी वात्सल्य का आयोजन का हुआ। दोपहर 2 बजे से भव्य चैवीसी कार्यक्रम विविध लाभार्थियों के निमित्त रखा गया एवं रात्रि 8 बजे से भक्ति संध्या होगी। तीन दिनों भक्ति संध्या एवं आयोजन का संचालन देवेष जैन एवं पार्टी (मोहनखेड़ा) इंदौर द्वारा किया जा रहा है।

जैस शालिभद्र ने पुण्य बांधा, ऐसे पुण्य जीवन में हमे करना चाहिए – आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी

श्री शालिभद्रजी की 99 पेटियों का हुआ भव्य कार्यक्रम

7 सितंबर, शनिवार को सुबह 9 बजे श्री शालिभद्र की 99 पेटियों का भव्य कार्यक्रम पोषध शाला भवन मंे रखा गया। उक्त कार्यक्रम आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा एवं प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजजी मसा की निश्रा में हुआ। इस अवसर पर अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीजी ने समाजजनों को बताया कि जिस प्रकार पुण्य की पराकाष्टा स्वरूप पुण्य के फल को भोगने के लिए जैसे शालिभद्र ने पुण्य बांधा था, वैसे पुण्य जीवन में हमे करना चाहिए। हमे अपने आगामी भव को सुधारने के लिए पुण्य के कार्य करना आवष्यक है। साथ ही बताया कि जैसे शालिभद्र ने देवलोक से आने वाली 99 पेटियों का जीवन में उपभोग किया और क्षण मात्र मंे छोड़ दिया, वैसे ही हम को भी संसार रूपी बेड़ियों को छोड़कर दीक्षा ग्रहण कर मोक्ष मार्ग की ओर से अग्रसर होना है। कार्यक्रम में शालिभद्र की 99 पेटियों की बोलियां लगाई गई, जो समाज के अलग–अलग लोगों ने ली। यह कार्यक्रम सत्त 4 घंटे तक चलता रहा। बाद दोपहर में सकल जैन श्री संघ का साधर्मी वात्सल्य का आयोजन हुआ। दोपहर 2 बजे विषेष कार्यक्रमों मंे गुरूदेव श्री देवेन्द्र विजयजी मसा की अष्टप्रकारी पूजा एवं चैवीसी हुई। रात्रि 8 बजे पुनः भक्ति संध्या का आयोजन हुआ। 

देश के विभिन्न शहरों से आचार्य श्रीजी के दर्षन हेतु पहुंचे समाजजन

आचार्य श्रीजी का संयम दिवस होने उनके दर्षन-वंदन हेतु देष के पुणे, बैंगलोर, मुंबई, पालगढ़, दुर्ग, चेन्नई, आचार्य श्रीजी के ग्रह नगर सियाणा, आहोर, सिकंदरम, गुजरात के बड़ौदा, सूरत, अहमदाबाद सहित कई अन्य शहरों और क्षेत्र से अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीजी एवं प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी के दर्षन का लाभ लेने समाजजनन पहुंचे। जिनके साधर्मी वात्सल्स का भी आयोजन बावन जिनालय में ही रखा गया। 

गुण किर्तन सभा होगी 

चातुर्मास समिति के सचिव अषोक रूनवाल ने बताया कि त्रि-दिवसीय महोत्सव के अंतिम दिन 8 सितंबर, रविवार को सुबह 8 बजे से अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा की गुण किर्तन सभा एवं संयम उपकरण वंदना वाणी होगी। दोपहर 12 बजे मूर्तिपूजक श्री संघ एवं बाहर से पधारे समस्त अतिथियों का साधर्मी वात्सल्य होगा। दोपहर 2 बजे विभिन्न लाभार्थियों द्वारा चैवीसी एवं रात्रि 8 बजे से भव्य भक्ति संध्या का आयोजन रखा गया है।

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