विश्व की एक मात्र हनुमान प्रतिमा 27 वे दिन रोहणी नक्षत्र में होता है चोला श्रंगार | Vishv ki ek matr hanuman pratima

विश्व की एक मात्र हनुमान प्रतिमा 27 वे दिन रोहणी नक्षत्र में होता है चोला श्रंगार

विश्व की एक मात्र हनुमान प्रतिमा 27 वे दिन रोहणी नक्षत्र में होता है चोला श्रंगार

बडवाह (गोविन्द शर्मा) - मध्यप्रदेश के बडवाह से 30 किमी दूर तीन जिलों इंदौर, देवास व खरगोन की सीमा पर स्थित द्वापर युग के ओखलेश्वर मठ में अंजनिय पुत्र रुद्रावतार सिद्ध हनुमानजी की स्वयंभू ऐसी दुर्लभ प्रतिमा है जिनके एक हाथ मे शिवलिंग विराजमान है। जबकि अधिकतर मूर्तियों के हाथ में द्रोणागिरि होता है। 

विश्व की एक मात्र हनुमान प्रतिमा 27 वे दिन रोहणी नक्षत्र में होता है चोला श्रंगार

विश्व की एक मात्र मानी जाने वाली सिद्ध हनुमानजी का माह में एक बार 27 वे दिन आने वाले रोहणी नक्षत्र में पुजारी सुभाषचंद्र पुरोहित के सानिध्य चोला श्रंगार होता है। शनिवार को रोहणी नक्षत्र के शुभ अवसर पर प्रातः से ही हनुमान जी का सहस्त्र धाराओ से जलाभिषेक करते हुए चोला श्रंगार किया गया।

विश्व की एक मात्र हनुमान प्रतिमा 27 वे दिन रोहणी नक्षत्र में होता है चोला श्रंगार

चोला श्रंगार के दौरान दूर दूर से पधारे सैकड़ो भक्तो ने संगीतमय सुंदरकांड का पाठ व भजन कर धर्म लाभ लिया।पश्चात दोपहर 12 बजे सैकड़ो भक्तो की उपस्थिति में महाआरती के बाद भंडारा प्रसादी का आयोजन सम्पन्न हुई। 

मठ में 44 वर्षो से अखंड रामायण का पाठ भी निरन्तर चल रहा है। ब्रह्मलीन गुरुदेव ओंकारप्रसाद पुरोहित द्वारा 1976 में यहां अखंड रामायण पाठ शुरू किया था।

ओखलेश्वर मठ मे स्वंयभू विराजित सिद्ध हनुमान जी के सम्बन्ध में पुराणों में उल्लेख है कि राम-रावण युद्ध के पहले भगवान श्रीराम द्वारा रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना के लिए हनुमानजी नर्मदा की सहस्त्रधारा धावड़ी घाट से शिवलिंग लेकर लौट रहे थे। चूंकि यहां महर्षि वाल्मीकि का आश्रम होने के कारण वे कुछ समय के लिए यहां रुके थे। लेकिन जब तक हनुमानजी शिवलिंग लेकर रामेश्वरम पहुंचे तब तक वहां महादेव की स्थापना हो चुकी थी। वही हनुमान जी द्वारा ले जाये गये शिवलिंग की स्थापना तमिलनाडु के धनुषकोटि में की गई थी वह आज भी विराजमान हैं।

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