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| रीवा–मऊगंज में मिलावटखोरी का 'जहर' बेरोकटोक जारी, खाद्य विभाग पर उठ रहे गंभीर सवाल Aajtak24 News |
रीवा - विंध्य क्षेत्र के रीवा और मऊगंज में खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी का कारोबार एक संगठित उद्योग का रूप ले चुका है, जो सीधे तौर पर आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहा है। प्रशासनिक सख्ती के अभाव में यह "जहर का कारोबार" प्रशासन की आँखों के सामने धड़ल्ले से चल रहा है। 'विंध्य वसुंधरा समाचार' द्वारा लगातार आवाज उठाने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
पनीर से लेकर मसाले तक, हर जगह मिलावट
हाल ही में पनीर में पकड़ी गई भारी मिलावट इस व्यापक समस्या का मात्र एक छोटा सा उदाहरण है। रिपोर्टों के अनुसार, दूध, खोवा, घी, खाद्य तेल, मसाले, मिठाइयाँ, और पैक्ड स्नैक्स जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थ भी गंभीर मिलावटखोरी का शिकार हैं। शादी-विवाह और त्योहारों के मौसम में यह अवैध कारोबार और भी अधिक सक्रिय हो जाता है, जहाँ पैसे खर्च करने के बावजूद लोग अपने परिवार और मेहमानों को अनजाने में स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा परोस रहे हैं।
खाद्य विभाग की जांच व्यवस्था सवालों के घेरे में
प्रशासनिक मशीनरी और विशेषकर खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। समाचार पत्र ने लगातार प्रश्न उठाए हैं कि क्षेत्र में कौन-से खाद्य पदार्थ कहाँ से आयात या निर्यात हो रहे हैं, पिछले एक वर्ष में कितनी वास्तविक जांचें हुई हैं, और जांच अधिकारियों की रिपोर्टें कहाँ हैं। सबसे गंभीर आरोप यह है कि कुछ कर्मचारियों की संपत्ति में तेजी से हुई बढ़ोतरी का स्रोत क्या है। इन प्रश्नों का उत्तर न मिलना स्वयं दर्शाता है कि तंत्र के भीतर ही गंभीर खामियाँ और मिलीभगत मौजूद हो सकती है।
जनता के स्वास्थ्य पर मंडराता संकट
मिलावटखोरी को केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि मानव जीवन के प्रति गंभीर दुष्कर्म बताते हुए, समाचार पत्र ने प्रशासन को तत्काल हस्तक्षेप करने की चेतावनी दी है। मांग की गई है कि खाद्य आपूर्ति नेटवर्क की संपूर्ण जांच की जाए, खाद्य विभाग के कर्मचारियों की संपत्तियों का ऑडिट हो, और मिलावटखोरों पर कठोरतम कानूनी कार्रवाई की जाए। संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से अपील की गई है कि वे तत्काल हस्तक्षेप कर इस जानलेवा कारोबार पर लगाम लगाएं, अन्यथा आम जनता की सेहत खतरे में पड़ जाएगी।
