सीईओ संजय सिंह भ्रष्टाचारियों को देते है सह
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| रायपुर सीईओ के कारनामों की लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू से कराई जायेगी जांच Aajtak24 News |
रीवा - जिले की जनपद पंचायत रायपुर कर्चुलियान में मनमानी और तानाशाही जोरों पर है, क्योंकि जनपद मे पदस्थ सीईओ एक नंबर का भ्रष्ट और निरंकुश अधिकारी है, जिसके काले कारनामों पर अब लोकायुक्त और आर्थिक अपराध का नियंत्रण ही एक मात्र चारा है, जनपद पंचायत की महिला पंचायत सचिव सरोज पाण्डेय चार दिन में बहाल होकर फिर उसी पंचायत इंटार पहाड़ और ड़ढवा में आने का दम भर रही है, लेकिन स्वयं व इसके पति नटवर लाल के सारे अरमानो में पानी फिर चुका है, बेचारा अपने जो छर्रे हैं उनसे पिछले सात महीने से कहता है कि दो दिन में आ रहे है 4 दिन मे बहाल होकर आ रहें है, यही कहते कहते निलंबन के सात महीने बीत गए, अभी कितने दिन और निलंबित रहेगा यह कह पाना बहुत आसान नहीं है, हालांकि अभी यह सालों बहाल होने वाला नहीं है बल्कि आगे इसका निलंबन बर्खास्तगी मे बदलने वाला है, इस लिए जो छर्रे इस उम्मीद में बैठे है कि य़ह बहाल होकर आयेगा वो भूल जाएं कि ये बहाल होकर आएगा और उनका बकाया चुकाएगा, क्योंकि इसका निलंबन तो महज टेलर था असली खेल तो अब शुरू हो रहा है, जब आगे इसके काले कारनामों की पूरी कलई खुलने वाली है, और यह सब जो हो रहा है सचिव सरोज पाण्डेय के पति हरीश पाण्डेय उर्फ नटवर लाल के पापों की सजा है, क्यों कि इसके पापों का घड़ा पूरा भर चुका है, और इसके पाप की सजा दोनों पति पत्नी को भुगतनी पड़ रही है, इसकी कुटिलता और मक्कारी से क्षेत्र का एक एक व्यक्ति परिचित है और भगवान ने इसके इसी मक्कारी और कुटिलता की सजा इसे दी है, जिसका क्लाईमेक्स आना अभी बांकी है, इसके बाद भी यह अपनी दुष्टता और कारस्तानी से बाज नहीं आ रहा है, बाज आए भी कैसे रावण अपनी अंतिम दुर्दशा तक बाज नहीं आया अपनी ही आंखों के सामने अपना सर्वस्व विनाश होता देखता रहा, अन्त में सब कुछ चला गया, वही हाल इसका भी है।
सरोज पाण्डेय बहाल नहीं बल्कि अब होंगी बर्खास्त
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) मुख्यालय भोपाल से इसके काले कारनामों की जांच शुरू हो चुकी है, जिसके के लिए प्रमुख सचिव मध्य-प्रदेश शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल को ईओडब्ल्यू से पत्राचार कर शीघ्र इस भ्रष्टाचार की जांच शुरू किए जाने का उल्लेख किया गया है जिसके परिपालन में जिला पंचायत सीईओ मेहताव सिंह गुर्जर समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन पर जांच टीम गठित की गई है, जिसके माध्यम से ग्राम पंचायत इंटार पहाड़, ड़ढवा, समेत ग्राम पंचायत जल्दर की जांच शामिल है, जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित हो चुकी है, लेकिन कार्यवाही में जनपद सीईओ हीलाहवाली कर रहे है, और इस गंभीर जांच को जनपद पंचायत सीईओ पैसे का लेन देन कर दबाना और प्रभावित करना चाहते हैं, परंतु इस दिशा मे पहल बड़े लेबल पर शुरू हो चुकी है तथा सचिवालय में आरटीआई और स्मरण पत्र भी भेजा जा चुका है, जिसके बाद जनपद कार्यालय में हड़कंप मच गया है।
निलंबित सचिव ने जनपद सीईओ की सह पर निकाल लिया पैसे
जनपद पंचायत रायपुर कर्चुलियान में पदस्थ सीईओ संजय सिंह के भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त है, यह कार्यालय में बैठ कर खुलेआम सौदेबाजी करते है और भ्रष्टाचार को बढावा देते है इसके पूर्व भी य़ह जंहा पदस्थ रहे वंहा इसके कई कारनामें निकल कर सामने आए है, जंहा भी यह रहे एक से बढ़कर एक कारनामों को अंजाम दे रहे है, और विवादों में रहते है, हाल ही मे इनकी ही सह पर निलंबित सचिव सरोज पाण्डेय ने पंचायत के खाते से 1,71,750, रुपये पंचायत के खाते से निकाल कर बड़ा अपराध किया है, अगर निलंबन के तत्काल बाद सीईओ डीएससी बंद करवाते और सचिव के लेन देन पर रोक लगाते तो शासन के खाते से इतनी बड़ी रकम नहीं निकलती और इतना बड़ा भ्रष्टाचार नहीं होता, लेकिन सीईओ की सांठ-गांठ और मिली भगत से ही इतना बड़ा अपराध हुआ है जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी भी सचिव के साथ साथ सीईओ की मानी जा रही है, सचिव सरोज पाण्डेय और सीईओ संजय सिंह के इस अपराध की भी जांच ईओडब्ल्यू से लेकर प्रमुख सचिव और जिले के कई वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन पर की जा रही है, इस कार्यवाही में सीईओ संजय सिंह सबसे बड़े दोषी माने जाएंगे जिनका खुलासा शीघ्र होने वाला है।
जल्दर में आंगनवाड़ी का हजम पैसा उगल रही निलंबित सचिव है
जल्दर ग्राम पंचायत में सचिव सरोज पाण्डेय वंहा पदस्थ रहते आंगनवाड़ी निर्माण का नौ लाख रुपये से अधिक पंचायत के खाते से निकाल कर हजम करने की जुगत में थी लेकिन विधानसभा और अन्य जांच में इसकी सच्चाई सामने आ गई जिसमें इसके खिलाफ बड़े तादात में रिकवरी प्रस्तावित की गई, जिसके एवज में यह निलंबन अवधि में, उस पंचायत में आंगनबाड़ी का कार्य शुरू किया जिससे यह वर्षो पहले स्थान्तरित हो चुकी थी, और वर्तमान मे वंहा दूसरा सचिव पदस्थ है, सचिव सरोज पाण्डेय और इसके पति नटवर लाल ने अपनी कमजोरी को छिपाने और बहाल होने के लालच में किसी तरीके से आंगनवाड़ी का कार्य गुणवत्ता विहीन तो करा डाला, लेकिन इसके बाद भी बेचारा फंस गया क्यों कि कार्य पूर्व का होने की बजह से इसका मूल्यांकन बैक डेट मे कराना चाहता है, जिसके लिए कई इंजीनियरों पर दबाव बना रहा है, लेकिन अब सवाल यह खड़ा हो चुका है कि सरोज पाण्डेय द्वारा किये गये गुनाहों को अपने सिर कौन लेगा, इसे बचाने अपने सिर आफत मोल लेने जैसा है, क्योंकि इसे बचाने वाले को खुद ईओडब्ल्यू और अन्य जांच का भाजन बनना पड़ेगा, ऐसे मे नहीं लगता कि कोई समझदार इंजीनियर या अन्य अधिकारी अपने सिर दूसरे की मुसीबत ले लेगा, इसी चक्कर मे सरोज पाण्डेय और नटवर लाल इधर-उधर चक्कर काट रहे हैं, इस मसले में भी जनपद सीईओ इसे बचाने कई प्रस्ताव और सफाई पेश कर चुके है,और जिला पंचायत रीवा को भेज चुके है, जिसका कोई औचित्य नहीं है,क्यों कि ये पैसे लेकर एंडी चोंटी कर जोर लगाए हुए है और दबाब बना रहें है लेकिन कोई दबाब चलने वाला नहीं, क्यों कि सब को अपनी नौकरी प्यारी है। इन भ्रष्टाचारियो को बचाने कोई दूसरा कर्मचारी खुद पचड़े मे नही फंसेंगा।
