रीवा-मऊगंज का परिवहन तंत्र 'जान पर खेल', ओवरलोड ऑटो और स्कूली वैन बेलगाम! Aajtak24 News

रीवा-मऊगंज का परिवहन तंत्र 'जान पर खेल', ओवरलोड ऑटो और स्कूली वैन बेलगाम! Aajtak24 News

रीवा/मऊगंज - रीवा और नवगठित मऊगंज जिलों में सड़क सुरक्षा के नियम महज कागजी औपचारिकता बनकर रह गए हैं। जिले की सड़कों पर दौड़ रहे ऑटो, टैक्सी और स्कूली वाहन बेखौफ होकर न केवल ओवरलोड सवारियां ढो रहे हैं, बल्कि बिना फिटनेस, बीमा और परमिट के लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। प्रशासन के बड़े-बड़े दावों के बावजूद, शिक्षा विभाग और परिवहन विभाग दोनों ही इस गंभीर लापरवाही पर 'कुंभकर्ण की नींद' सोए हुए हैं।

स्कूल वैन बनीं खतरे का पहिया

स्कूली बच्चों को ढोने वाले वाहनों में नियमों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है। एक छोटे से ऑटो में १५ से २० बच्चों को ठूंसकर भरा जा रहा है, और चालक उन्हें लापरवाही से सड़कों पर दौड़ाते हैं। अभिभावकों ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि "हर दिन बच्चों को स्कूल भेजते वक्त डर लगता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए।" इसके बावजूद, अनेक वाहन बिना बीमा और बिना फिटनेस के ही स्कूलों के गेट तक पहुँच रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।

ओवरलोडिंग का आतंक: ३ की जगह २५ सवारियां

रीवा, मनगवां, गंगेव, गढ़, चाकघाट, सिरमौर, जवा, सोहागी, मऊगंज, हनुमना और नईगढ़ी जैसे क्षेत्रों की सड़कों पर ऑटो टैक्सियों में यात्रियों को इस कदर भरा जा रहा है कि उनकी जान पर हर पल खतरा मंडरा रहा है।

  • नियमों की अनदेखी: तीन पहिया वाहन में केवल तीन सवारियों को बैठाने की अनुमति है, लेकिन यहाँ २० से २५ लोगों को बिठा लिया जाता है।

  • प्रशासन पर सवाल: जानकारों का मानना है कि दोनों जिलों में वर्तमान में लगभग ५००० तीन पहिया वाहन दौड़ रहे हैं, लेकिन कोई व्यवस्थित संचालन न होने के कारण मनमानी सवारियां भरी जा रही हैं। यह सीधे तौर पर प्रशासन की निष्क्रियता की ओर इशारा करता है।

  • स्वरूप बदलना: कई वाहनों का स्वरूप भी परिवहन विभाग की अनुमति के बिना बदला गया है, जो सुरक्षा मानकों का सीधा उल्लंघन है।

विभागों की चुप्पी: बड़े हादसे की चेतावनी

स्थानीय नागरिकों का सीधा आरोप है कि परिवहन और शिक्षा विभाग की मिलीभगत और घोर लापरवाही के कारण ही यह खतरनाक प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। अधिकारी केवल औपचारिक जाँच कर अपनी रिपोर्ट देते हैं, जबकि जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है। ये हालात एक बड़ी चेतावनी हैं — यदि जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो किसी भी समय बड़ा सड़क हादसा घट सकता है। प्रशासन की यह चुप्पी किसी बड़े अनर्थ को आमंत्रण दे रही है।



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