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| रीवा में अधिकारी पर लगे गंभीर नैतिक आरोप: "संतोष वर्मा शासन की आत्मा पर काला अभिशाप Aajtak24 News |
रीवा - रीवा से जुड़े एक कथित अधिकारी संतोष वर्मा को लेकर राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में तीखी आलोचना और आक्रोश देखा जा रहा है। एक कठोर बयान में वर्मा को न केवल व्यक्तिगत रूप से दोषी ठहराया गया है, बल्कि उनके कृत्यों को "शासन के पापग्रंथ का जीवित अध्याय" और "सत्ता का दाग नहीं, शासन की आत्मा पर जला हुआ काला अभिशाप" बताया गया है। बयान में आरोप लगाया गया है कि अधिकारी संतोष वर्मा ने अपनी प्रशासनिक कुर्सी की आड़ में "स्त्री की गरिमा को अपमानित किया, जातीय संतुलन पर जहर फेंका, संविधान की आत्मा को धिक्कारा" और खुद को कानून से ऊपर समझा। आलोचना में उन्हें "अंधकार का औपनिवेशिक अवशेष" बताया गया है, जिसने जनता के विश्वास को तोड़ा है।
'ब्राह्मण बेटी दान' पर आक्रोश:
आलोचना का केंद्र यह भी है कि जब मंचों पर कथित रूप से "ब्राह्मण बेटी दान जैसी घृणित भाषा" बोली गई, तो यह हमला किसी एक समाज पर नहीं, बल्कि "भारतीय नारीत्व, संवैधानिक मर्यादा और सामाजिक संतुलन" तीनों पर हुआ। बयान में कहा गया है कि सवर्ण समाज की आवाज़ अब आक्रोश नहीं, बल्कि "चेतना की पुण्य ज्वाला" बन चुकी है, क्योंकि यह अब किसी जाति का सवाल नहीं, बल्कि "समाज की आत्मा और राष्ट्र की नैतिक रीढ़" का प्रश्न है। बयान में शासन की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि जब एक ओर श्रीराम की मर्यादाओं के गीत गाए जाते हैं, तो नारी सम्मान का व्रत आज किस अंधे कुएँ में गिर गया है?
लोक-प्रतिशोध की चेतावनी: बयान में चेतावनी दी गई है कि मध्यप्रदेश की जनता अब चुप नहीं रहेगी। हर घर में सुलगता हुआ असंतोष अब "लोक-प्रतिशोध का स्वर" ले चुका है, जो हिंसा का नहीं, बल्कि "सत्य, न्याय और जवाबदेही का आंदोलन" होगा। बयान के अंत में जोर देकर कहा गया है कि सवाल सिर्फ अधिकारी संतोष वर्मा को पद से हटाने का नहीं है, बल्कि यह है कि क्या यह प्रदेश अब भी मर्यादा, न्याय और नारी-सम्मान को सर्वोच्च मानता है।
