'चौथे स्तंभ' की आड़ में 'वसूली सिंडिकेट': रीवा संभाग में करोड़ों की अवैध वसूली का जाल, प्रशासन पर भी सवाल! Aajtak24 News

 'चौथे स्तंभ' की आड़ में 'वसूली सिंडिकेट': रीवा संभाग में करोड़ों की अवैध वसूली का जाल, प्रशासन पर भी सवाल! Aajtak24 News

रीवा - रीवा संभाग में इस समय पत्रकारिता की आड़ में सक्रिय कुछ कथित समूहों ने अवैध वसूली का एक समानांतर तंत्र खड़ा कर दिया है। यह गंभीर मामला अब केवल भ्रष्टाचार तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि इसने पूरे संभाग में आम जनता से लेकर सरकारी कार्यालयों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों तक दहशत का माहौल बना दिया है। संभाग के हर कोने में यह सवाल गूंज रहा है कि "करोड़ों की यह अवैध वसूली आखिर किसकी तिजोरी में जा रही है?"

🏍️ 56 लोगों की 'वसूली टोली' का बेखौफ भ्रमण

सूत्रों के अनुसार, यह वसूली गिरोह अत्यंत संगठित तरीके से काम कर रहा है। 40 से 56 लोगों की टीमें, जो टू-व्हीलर और चार-व्हीलर में सवार होती हैं, प्रतिदिन सरकारी विभागों, कार्यालयों और यहां तक कि छोटे व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी धौंस जमाती हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इन समूहों की गतिविधियां लंबे समय से खुलकर जारी हैं, लेकिन संभाग के किसी भी जिले के कलेक्टर अब तक इन समूहों को चिन्हित कर इन पर ठोस कार्रवाई नहीं कर पाए हैं, जिससे प्रशासन की बेबसी पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

💰 वसूली का संगठित नेटवर्क

इस अवैध वसूली का नेटवर्क कई महत्वपूर्ण विभागों को अपने शिकंजे में ले चुका है। आबकारी विभाग इस वसूली का प्रमुख केंद्र बन चुका है, जहां अधिकृत शराब दुकानों के रजिस्टर, अवैध सट्टा कारोबारियों की सूचियां और कफ सिरप जमाखोरों के हिसाब-किताब इन कथित पत्रकारों के लिए 'उपजाऊ जमीन' बन गए हैं।

इसके अलावा, वसूली के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों को भी नियमित रूप से निशाना बनाया जा रहा है:

  • आंगनवाड़ी केंद्र

  • समूह और पंचायत कार्यालय

  • परिवहन विभाग

  • होटल, ढाबे और छोटे व्यवसाय

  • मेडिकल स्टोर, क्लीनिक और नर्सिंग होम

स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े संस्थानों को 'सेवा शुल्क' के नाम पर भुगतान करना पड़ रहा है, ताकि उनके कामकाज की असलियत जनता तक न पहुंचे।

💻 यूट्यूब चैनलों की आड़ में लाखों की मासिक कमाई

रिपोर्ट के अनुसार, रीवा जिले में सक्रिय दर्जनों यूट्यूब चैनलों में से कुछ की मासिक आय 5 से 10 लाख रुपये तक बताई जा रही है। आरोप है कि यह आय केवल विज्ञापन या सच्ची पत्रकारिता से नहीं, बल्कि व्यवस्थित अवैध वसूली से अर्जित की जाती है। यह कटु सत्य है कि इस वसूली तंत्र से पुलिस विभाग भी अछूता नहीं है, और कई कार्यालयों में पुलिसकर्मियों को भी कथित 'जाँच' के नाम पर दबाव का सामना करना पड़ता है।

✍️ ईमानदार पत्रकारिता की गरिमा खतरे में

इन अवैध गतिविधियों के बीच यह ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है कि रीवा संभाग में आज भी ईमानदार और सिद्धांतवादी पत्रकारों की एक बड़ी संख्या मौजूद है। ये पत्रकार अपनी कलम, सत्य और जनहित को सर्वोपरि रखते हुए लगातार बड़े रहस्यों, प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे हैं। इन सच्चे पत्रकारों की वजह से ही भ्रष्टाचार और काले कारोबारों पर समय-समय पर पर्दा उठता रहा है।

⚠️ प्रशासनिक विफलता और कार्रवाई की मांग

रीवा संभाग में अवैध वसूली का यह जाल अब केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक और प्रशासनिक विफलता का गंभीर संकेत है। करोड़ों की यह अवैध उगाही स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि कहीं न कहीं उच्च स्तर पर इन गिरोहों को संरक्षण प्राप्त है। अब यह जरूरी है कि जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ऐसे कथित समूहों की तुरंत पहचान करे, उन पर कठोर कानूनी कार्रवाई शुरू करे और पत्रकारिता की गरिमा पर लगे इस दाग को धोने के लिए ठोस कदम उठाए।

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