स्वास्थ्य सुधार की राह पर सेमरिया- उपमुख्यमंत्री का निरीक्षण और आशा की नई सांस Aajtak24 News

स्वास्थ्य सुधार की राह पर सेमरिया- उपमुख्यमंत्री का निरीक्षण और आशा की नई सांस Aajtak24 News

रीवा - मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने आज सेमरिया सिविल अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। अस्पताल परिसर में उनके कदमों के पड़ते ही व्यवस्था में हिलोर- सी दौड़ गई- पर इसके साथ ही आशा की एक नयी किरण भी फूटी, यह कि बदलाव की शुरुआत अब केवल भाषणों की किताबों में नहीं, जमीनी क्रियान्वयन के पन्नों में दर्ज होगी। निरीक्षण के दौरान श्री शुक्ल ने वार्डों में रोगियों के हालचाल लिए, दवा वितरण केंद्र, लैब और ऑपरेशन थियेटर की व्यवस्थाओं को बारीकी से परखा। उन्होंने डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ से सीधी बातचीत कर यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि सरकार की नीतियाँ सिर्फ़ कागज़ी न रहें, बल्कि मरीज के बिस्तर तक पहुँचती हवा बनें, जो उसके जीवन को सहजता से संवार सके। उनका स्पष्ट संदेश था- हर नागरिक को समय पर और गुणवत्तापूर्ण उपचार मिले, यही सरकार की मंशा है। किसी भी प्रकार की लापरवाही अब सहन नहीं की जाएगी।

स्वच्छता, दवाओं की सुचारू आपूर्ति और जांचों की निशुल्क उपलब्धता पर उनके निर्देश कठोर और तात्कालिक थे। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पतालें सिर्फ़ सामान्य भवन नहीं, जन- सेवा और करुणा की प्रयोगशालाएं हैं, जहाँ उपचार दया का दूसरा नाम बनकर खड़ा होता है, न कि एक औपचारिक प्रक्रिया। अस्पताल में जारी निर्माण कार्यों, नए बेड्स की व्यवस्था और मरीजों की सुविधा के लिए बढ़ाए जा रहे संसाधनों पर भी उन्होंने प्रगति समीक्षा की। अधिकारियों से उन्होंने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं अब घोषणा का हिस्सा नहीं, ज़मीनी ज़रूरतों की उद्धारकर्ता बनें।

सकारात्मक संकेत- लेकिन उत्तरदायित्व अभी अधूरा है निरीक्षण के दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी और स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहे, जिन्होंने आश्वासन दिया कि सेमरिया अस्पताल भविष्य में प्रदेश के आदर्श मॉडल के रूप में खड़ा होगा। लेकिन इस बीच, अस्पताल की दीवारें मानो कह रही थीं कि सुधार का यह सफ़र अभी अधूरा है- जनता का कर्ज़ और भरोसा दोनों अब भी मांगे जाने बाकी हैं। यह निरीक्षण केवल व्यवस्था की कमज़ोर नसों पर मरहम नहीं, बल्कि सुधार और संवेदना के बीच संतुलन का बीज है। स्वास्थ्य मंत्री का यह कदम यदि नेपथ्य में छिपे अव्यवस्थाओं को उजागर करता है, तो यह भी उम्मीद जगाता है कि अब सरकार स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में ‘जवाबदेही की पहल’ को एक नया अध्याय देने को तत्पर है। अस्पताल की रंगी दीवारों के पीछे छिपे दर्द के किस्से अब शायद सुन लिए जाएँ- क़दम अब केवल प्रक्रिया नहीं, संवेदना बनेंगे। और तभी यह कहा जा सकेगा कि सेमरिया जैसे सिविल अस्पताल केवल निरीक्षण- स्थल नहीं, विश्वास की पुनर्स्थापना का केंद्र बन रहे हैं।

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