रीवा में 'नशा' संकट: विंध्य की राजधानी में ड्रग्स का थोक व्यापार किसके संरक्षण में? 70% कार्रवाई सिर्फ छोटे नशेड़ियों पर! Aajtak24 News

रीवा में 'नशा' संकट: विंध्य की राजधानी में ड्रग्स का थोक व्यापार किसके संरक्षण में? 70% कार्रवाई सिर्फ छोटे नशेड़ियों पर! Aajtak24 News 

रीवा - विंध्य प्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक राजधानी रीवा आज एक गंभीर संकट के केंद्र में खड़ी है। मेडिकल सिरप, नशीली गोलियों और अन्य ड्रग्स के अवैध कारोबार ने इस जिले को प्रदेश के सबसे बदनाम शहरों की प्रथम पंक्ति में ला खड़ा किया है। स्थानीय जनमानस में यह चर्चा अब आम है कि नशे का यह थोक व्यापार आखिर किस राजनीतिक या दबंगई संरक्षण में फल-फूल रहा है। सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों खेमों में ऐसे तत्वों की मौजूदगी का संदेह लगातार गहराता जा रहा है, जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संरक्षण इस कारोबार को सुरक्षा ढाल प्रदान कर रहा है।

🚨 खाकी पर बड़ा सवाल: कौन हैं विभाग के 'जयचंद्र'?

यह सर्वविदित है कि रीवा पुलिस विभाग में कई ईमानदार अधिकारी सक्रिय हैं, जिनकी बदौलत कानून व्यवस्था कायम है। लेकिन इसके समानांतर, विभाग के भीतर ही कुछ 'जयचंद्र'—यानी अंदरूनी गद्दार—की मौजूदगी की चर्चा तेज है, जो नशा कारोबारियों को संरक्षण और सुरक्षा दे रहे हैं।

जनता का सीधा सवाल प्रशासन से है:

  • क्या ये चिन्हित "जयचंद्र" कौन हैं?

  • क्या उन पर कार्रवाई हुई?

  • या वे अब भी उसी कुर्सी पर बैठकर इस गोरखधंधे को शह दे रहे हैं?

जब तक इन आंतरिक संरक्षक तत्वों की पहचान सार्वजनिक नहीं होती और उन पर निर्णायक कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह संघर्ष अधूरा ही रहेगा।

🛣️ नेशनल हाईवे पर खुलेआम 'पाइकारी', आपूर्तिकर्ता पर चुप्पी

पुलिस की अब तक की कार्रवाई पर सबसे बड़ा प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। अधिकतर मामलों में केवल नशा करने वालों और छोटे स्तर के व्यक्तियों को जेल भेजकर ही सफलता का दावा कर दिया जाता है।

लेकिन हकीकत यह है कि—

  1. नशा कहां से आता है? लाखों रुपये की यह खेप किन चैनलों से जिले में प्रवेश करती है?

  2. असली आपूर्तिकर्ता कौन है? आज तक इसका ठोस खुलासा न होना पुलिस की कार्यशैली पर संदेह पैदा करता है।

राष्ट्रीय राजमार्ग फोरलेन-30 और शहर के प्रमुख मार्गों पर मेडिकल नशा, शराब और ड्रग्स की पाइकारी खुलेआम जारी रहने की शिकायतें मिल रही हैं। थोड़े दिनों के दबाव के बाद, यह धंधा उसी घर, उसी स्थान और उसी संरक्षण में फिर से शुरू हो जाता है।

👮 आईजी की सख्ती, पर ज़मीनी आदेश हवा में

रीवा ज़ोन के आईजी गौरव सिंह राजपूत की सख्त निगरानी और लगातार निर्देशों के बाद संभाग के जिलों में ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हुई है, जिसे आम जनता भी मानती है कि उनकी सक्रियता के बिना यह गति संभव नहीं थी।

बावजूद इसके, सवाल यह है कि:

  • यदि आईजी स्तर पर इतनी सख्ती है, तो ज़मीनी स्तर पर आदेश असरदार क्यों नहीं हो पा रहे?

  • क्या अधीनस्थ कर्मचारियों की कमजोरी है या मिलीभगत? और इस पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

जिला कलेक्टर, परिवहन विभाग सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जारी आदेश भी केवल कागजों तक ही सीमित दिखाई दे रहे हैं।

अब निगाहें गृह मंत्री और प्रदेश सरकार पर

रीवा की जनता अब केवल आदेश या घोषणाएं नहीं, बल्कि ठोस परिणाम चाहती है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि:

क्या मध्यप्रदेश के गृह मंत्री, जिनके पास कानून-व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी है, इस नशाखोरी के जाल को भेद पाएंगे? क्या खुफिया तंत्र ऐसे संरक्षक अधिकारियों और कर्मचारियों की पहचान कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा?

यदि प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन ने इस बार निर्णायक कदम नहीं उठाए, तो नशे का यह अनियंत्रित कारोबार आने वाली पीढ़ियों के लिए एक भयावह सामाजिक संकट बनकर खड़ा होगा। जनता का धैर्य अब जवाब दे रहा है।



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