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RSS पर बैन की सियासत: CM के बेटे ने संघ को बताया 'तालिबान जैसा', कर्नाटक में घमासान तेज Aajtak24 News |
बेंगलुरु - कर्नाटक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की संभावनाओं को लेकर राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया है। एक ओर जहाँ राज्य सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर सरकारी परिसरों में RSS की शाखाओं और सभाओं पर रोक लगाने की मांग की है, वहीं दूसरी ओर सीएम सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया ने RSS पर बेहद विवादास्पद टिप्पणी करते हुए उसकी तुलना सीधे तालिबान से कर दी है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब आईटी/बीटी मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर RSS की गतिविधियों पर अंकुश लगाने की मांग की। खरगे ने आरोप लगाया है कि यह संगठन 'संविधान के सिद्धांतों के विरुद्ध' काम कर रहा है और इसके कार्यकर्ता बच्चों तथा युवाओं में अशांति फैला रहे हैं, जिससे भारत की एकता और अखंडता को खतरा है।
सीएम का जांच आदेश और बेटे का 'तालिबान' बयान
प्रियांक खरगे के इस पत्र को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य की मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को मामले की विस्तृत जांच करने और उसके आधार पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
इस राजनीतिक हलचल के बीच, मुख्यमंत्री के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया ने संघ पर तीखा हमला बोला। यतींद्र ने कहा कि RSS की वही 'कट्टर मानसिकता' है, जो तालिबान की है। उन्होंने तुलना करते हुए कहा:
"आरएसएस की तरह ही तालिबान कहता है कि इस्लाम का एक ही फिरका रहेगा और उन्होंने महिलाओं की आजादी खत्म की है। ऐसे ही आरएसएस भी कहता है कि हिंदू धर्म और वह भी हमारे तरीके से मानने वाले लोग ही रहेंगे। इनका मानना है कि भारत में एक ही मजहब और विचार के लोग रह सकते हैं।"
यतींद्र ने RSS के पंजीकरण पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि RSS खुद को एक विशाल और प्रभावशाली संगठन कहता है, जिसकी दिल्ली में हजारों करोड़ रुपये की बिल्डिंग है, लेकिन उसका रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। उन्होंने जोर दिया कि यदि वे बिना किसी रजिस्ट्रेशन के काम करते हैं, तो यह कानून के खिलाफ है और उन्हें नियमों का पालन करना होगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद ने भी इस बहस में कूदते हुए RSS को 'भारतीय तालिबान' कहना ठीक समझा।
प्रियांक खरगे की विस्तृत मांग
प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में साफ तौर पर कहा है कि सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों, सार्वजनिक पार्कों, खेल के मैदानों, सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों और पुरातात्विक स्थलों पर RSS की शाखाओं, बैठकों या किसी भी सभा सहित सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि RSS कार्यकर्ता पुलिस से अनुमति लिए बिना सार्वजनिक स्थानों पर लाठी प्रदर्शित कर रहे हैं और 'नफरत के बीज बो रहे हैं', जो युवाओं के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। खरगे ने आगे संगठन के तौर-तरीकों की आलोचना करते हुए कहा कि RSS का दर्शन केवल गरीबों के लिए है, क्योंकि अगर यह इतना ही अच्छा होता, तो भाजपा नेताओं के बच्चे इसमें शामिल क्यों नहीं होते? उन्होंने संघ पर मनुस्मृति का समर्थन करने और संविधान को नकारने का भी आरोप लगाया।
भाजपा का तीखा पलटवार
कांग्रेस नेताओं के इन बयानों और बैन की चर्चाओं पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व सीएम येदियुरप्पा के बेटे और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कांग्रेस के इस कदम को असहिष्णुता बताया। विजयेंद्र ने कहा कि संघ की विचारधारा राष्ट्रवाद और सामाजिक सुधार की है और कांग्रेस इसे पूर्वाग्रह से ग्रसित नजरिए से देख रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपनी विफलताओं और मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी के भीतर चल रहे 'आंतरिक सत्ता संघर्ष' से जनता का ध्यान हटाने के लिए यह नया मुद्दा खड़ा कर रही है। भाजपा ने स्पष्ट किया कि RSS एक दृढ़ राष्ट्रवादी ताकत है और उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकता। यह पूरा विवाद ऐसे समय में आया है जब RSS अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। एक तरफ पीएम मोदी जैसे नेता शताब्दी वर्ष से जुड़े कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं, वहीं दूसरी ओर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार RSS की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है, जिससे राज्य में राजनीतिक टकराव और बढ़ गया है।