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CJI गवई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर की बढ़ी मुसीबतें! अटॉर्नी जनरल ने अवमानना केस चलाने की दी मंजूरी Aajtak24 News |
नई दिल्ली - भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर भरी अदालत में जूता फेंकने की कोशिश करने वाले 71 वर्षीय अधिवक्ता राकेश किशोर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस अप्रत्याशित और अभूतपूर्व घटना के लगभग दो हफ्ते बाद, अटॉर्नी जनरल (AG) आर वेंकटरमणी ने गुरुवार को राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना (Contempt of Court) की कार्रवाई चलाने की अपनी मंजूरी दे दी है।
⚖️ क्या है पूरा मामला?
घटना की तारीख: 6 अक्टूबर को सुबह करीब 11:35 बजे।
कारण: राकेश किशोर, भगवान विष्णु पर CJI गवई की कथित टिप्पणी से नाराज थे।
कार्रवाई: उन्होंने कोर्ट रूम संख्या-एक में CJI की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर अपने जूते उतारकर फेंकने का प्रयास किया।
CJI का रुख: घटना के बाद CJI गवई ने अविचलित रहते हुए अधिकारियों से राकेश किशोर को चेतावनी देकर छोड़ देने और कोई कार्रवाई न करने को कहा था।
📜 अवमानना की कार्रवाई को मंजूरी
राकेश किशोर पर अवमानना का केस चलाने की मांग सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने की थी, जिसके बाद उन्होंने AG वेंकटरमणी को पत्र लिखा था।
AG की मंजूरी: सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच को जानकारी दी कि AG ने अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए मंजूरी दे दी है।
कानूनी आधार: कोर्ट की अवमानना नियम की धारा 15 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने से पहले अटॉर्नी जनरल की मंजूरी आवश्यक होती है।
SCBA की मांग: विकास सिंह ने कहा कि "जूता फेंकने के मामले को ऐसे ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है," और आरोपी वकील को कोई पछतावा नहीं है।
🗣️ 'संस्था की ईमानदारी' दांव पर
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस मामले को गंभीर बताया:
"राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए एजी द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है। संस्था की ईमानदारी दांव पर है। कुछ कार्रवाई की जरूरत है।"
मेहता और सिंह ने अदालत से सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियां पोस्ट करने पर रोक लगाने संबंधी आदेश पारित करने का भी अनुरोध किया। पीठ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार दूसरों की गरिमा की कीमत पर नहीं हो सकता है, और सोशल मीडिया के अनियमित स्वभाव के दुष्प्रभावों की ओर इशारा किया।
🕒 कोर्ट का वर्तमान रुख
इतनी गंभीर चर्चा के बावजूद, कोर्ट ने फिलहाल इस मामले को कल (शुक्रवार) लिस्ट नहीं किया।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "देखते हैं एक हफ्ते में क्या होता है और भी बिकने वाली चीजें पढ़ेंगे।"
जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा कि शायद छुट्टियों के बाद कुछ और बिकने वाली चीजें सामने आएंगी।
हालांकि CJI ने खुद माफ़ कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और अटॉर्नी जनरल का यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि न्यायपालिका की गरिमा और संस्था की ईमानदारी को चुनौती देने वाले कृत्यों को गंभीरता से लिया जाए।