अवरोधों का अंत, पंचायतों में अनुशासन का नया अध्याय, कलेक्टर के दृढ़ संकल्प ने बदली तस्वीर Aajtak24 News

अवरोधों का अंत, पंचायतों में अनुशासन का नया अध्याय, कलेक्टर के दृढ़ संकल्प ने बदली तस्वीर Aajtak24 News 

रीवा - ग्रामीण विकास के पथ पर अवरोधक बनकर खड़े अधिकारियों के लिए कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल का दंड- दंड ऐसा अमोघ अस्त्र सिद्ध हुआ है जिसने समस्त जनपद पंचायत प्रशासन में एक सुखद सन्नाटा पैदा कर दिया है। छह ग्राम पंचायत सचिवों के तत्काल निलंबन के निर्देश मात्र एक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रबंधनीय क्रांति का आगाज़ हैं जो संपूर्ण मध्यप्रदेश में अनुकरण का विषय बन गई है। कलेक्ट्रेट के बाणसागर सभागार में आयोजित उस ऐतिहासिक समीक्षा बैठक ने, जहाँ कलेक्टर श्रीमती पाल ने अपनी दिव्यदृष्टि से ग्रामीण विकास के मंथन को गति दी, वास्तव में शून्य-सहनशीलता की उस नीति को जन्म दिया जो आज पंचायतों में जवाबदेही का नया मंत्र बन गई है। यह निर्णय प्रशासनिक दृष्टि से एक सुविचारित स्ट्रेटेजिक इंटरवेंशन सिद्ध हुआ है।

कलेक्टर के कठोर निर्देशों की चपेट में आने वाले सचिवों में शामिल हैं- सिरमौर जनपद पंचायत के दुलहरा ग्राम पंचायत सचिव मदेनी प्रसाद कोल, राजगढ़ ग्राम पंचायत सचिव आदर्श पाण्डेय, रीवा जनपद पंचायत के अमिरती ग्राम पंचायत सचिव अनिल चौरसिया, गंगेव जनपद पंचायत के क्योटी ग्राम पंचायत सचिव कुवेर सिंह, जवा जनपद पंचायत के छदहना ग्राम पंचायत सचिव छेदीलाल विश्वकर्मा, रायपुर कर्चुलियान जनपद पंचायत के नवागांव ग्राम पंचायत सचिव देवेन्द्र बहादुर सिंह।

यह घटनाक्रम मात्र एक समाचार नहीं, बल्कि प्रशासनिक साहित्य का एक ऐसा गद्य है जहाँ दृढ़ संकल्प और कर्तव्यनिष्ठा के पद्य गूँज रहे हैं। कलेक्टर श्रीमती पाल ने अपने इस निर्णय से एक ऐसी प्रशासनिक महाकाव्य की रचना की है जहाँ अनुशासन का सर्जक और लापरवाही का भंजक एक साथ उपस्थित है।

समीक्षा बैठक में जिला पंचायत स्तर से निरंतर निगरानी पर बल दिया जाना वास्तव में प्रोएक्टिव गवर्नेंस का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह दृष्टिकोण इस सिद्धांत पर आधारित है कि मात्र बजट आवंटन कर देना पर्याप्त नहीं, बल्कि योजनाओं का वास्तविक क्रियान्वयन सुनिश्चित करना ही सतत विकास का मार्ग है। कलेक्टर का यह कदम इसलिए भी सराहनीय है क्योंकि इसमें न केवल सचिवों, बल्कि उन सरपंचों के विरुद्ध भी कार्रवाई का प्रावधान है जो विकास कार्यों में बाधक सिद्ध हो रहे हैं। यह होलिस्टिक अप्रोच शासन व्यवस्था में एक नए युग का सूचक है।

यह निर्णय वास्तव में कार्य संस्कृति के पुनर्जागरण का द्योतक है। जहाँ तत्परता, निष्ठा और परिणामोन्मुखता नए मंत्र सिद्ध होंगे। इसका सबसे बड़ा लाभ अंततः आम जनता को मिलेगा, जो ग्रामीण विकास योजनाओं के रूप में सीधे लाभान्वित होगी। कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल का यह दृढ़ कदम निस्संदेह प्रशासनिक इच्छाशक्ति का उज्ज्वल उदाहरण है। हालाँकि, यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि निलंबन के बाद की प्रक्रिया पारदर्शी हो और नए अधिकारी शीघ्रता से पदभार ग्रहण कर कार्यों की गति बनाए रखें।

यह घटना केवल एक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं, बल्कि एक नई प्रवृत्ति का सूचक है। रीवा जिले का यह प्रयास अन्य जिलों के लिए भी एक अनुकरणीय मिसाल प्रस्तुत करता है। जब नेतृत्व दृढ़संकल्पित हो और प्रशासनिक तंत्र सक्रिय हो, तो विकास के मार्ग में आने वाली बाधाएँ स्वतः ही मार्ग से हट जाती हैं। आज रीवा का यह प्रयोग समस्त प्रदेश के लिए गवर्नेंस का नया मेनिफेस्टो सिद्ध होगा, ऐसी आशा की जा सकती है।

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