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करवा चौथ 2025: चंद्र अर्घ्य की सही विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त; जानिए निर्जला व्रत का पारण करने का सटीक समय Aajtak24 News |
हिंदू धर्म में, पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ का निर्जला व्रत (बिना अन्न और जल के) अत्यंत कठिन माना जाता है। इस वर्ष 10 अक्टूबर, शुक्रवार को यह पावन पर्व मनाया जाएगा। विवाहित महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण कर व्रत शुरू करती हैं और रात में चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश के साथ-साथ करवा माता की पूजा का विधान है। पूजा का समापन करवा माता और चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है।
करवा चौथ 2025: शुभ योग और तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा।
चंद्रमा को अर्घ्य देने की सही विधि और मंत्र
व्रत का सफल समापन चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही होता है। अर्घ्य देने की सही विधि इस प्रकार है:
पूजा और कथा: शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना करने और व्रत कथा सुनने के बाद चंद्रोदय का इंतजार करें। (मान्यता है कि व्रत कथा स्वयं न पढ़कर किसी और से सुननी चाहिए।)
अर्घ्य सामग्री: चंद्रोदय होने पर कलश में चांदी का सिक्का और अक्षत (चावल) डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
मंत्र जाप: चंद्रमा को अर्घ्य देते समय निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन खुशहाल और सुखद होता है:
'ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:'
'ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:'
'ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम'
पारण: अर्घ्य देने के बाद छलनी से पहले चंद्रमा और फिर पति का दर्शन करें। अंत में, पति के हाथों जल पीकर और मिठाई खाकर व्रत का पारण (समापन) करें।
पूजा थाली में जरूरी चीजें और विशेष मान्यताएं
करवा चौथ की थाली में गंगाजल, शुद्ध जल, लकड़ी की चौकी, चलनी, करवा, कलश, पीली मिट्टी, सिंदूर, मेहंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, दीपक, और सींक आदि को शामिल करना आवश्यक है।
करवा (कलश): करवा चौथ पूजा में करवा को भगवान गणेश का रूप माना जाता है, इसलिए इसे पूजना महत्वपूर्ण है।
सींक का महत्व: शास्त्रों के अनुसार, एक बार करवा माता ने अपनी शक्ति से सींक का उपयोग कर मगरमच्छ को बांध दिया था। यमदेव से पति के प्राणों की रक्षा के कारण पूजा में सींक अवश्य रखा जाता है।
कब न दें चंद्रमा को अर्घ्य?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक, पातक या मासिक धर्म की स्थिति में महिलाओं को सीधे चंद्रमा को अर्घ्य नहीं देना चाहिए। ऐसी विशेष स्थिति में, चंद्रदेव को पाँच बार अक्षत (चावल) अर्पण करने का विधान है।