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शहडोल का 'आंगनवाड़ी घोटाला': नींव से छत तक भ्रष्टाचार! ₹20 लाख का भवन चंद सालों में जर्जर, बच्चों का भविष्य दांव पर Aajtak24 News |
शहडोल - जनपद पंचायत सोहागपुर के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत कंचनपुर इस समय आंगनवाड़ी निर्माण और संचालन से जुड़े भ्रष्टाचार को लेकर चर्चाओं के केंद्र में है। ग्रामीणों द्वारा उठाई जा रही शिकायतें न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि बच्चों और महिलाओं के हित में चलाई जाने वाली योजना किस तरह स्थानीय स्तर पर उपेक्षा और अनियमितताओं की भेंट चढ़ गई है।
पुराना भवन लाखों की लागत के बावजूद जर्जर
ग्रामीणों के अनुसार, कुछ वर्ष पूर्व ग्राम पंचायत कंचनपुर में आंगनवाड़ी भवन का निर्माण बाउंड्री सहित कराया गया था। इस निर्माण पर लगभग 15 से 20 लाख रुपये तक की राशि खर्च होने की जानकारी दी गई थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह भवन महज़ कुछ वर्षों में ही इतनी खराब स्थिति में पहुँच गया कि अब इसका उपयोग करना संभव नहीं रह गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि भवन की दीवारों में लंबी-लंबी दरारें पड़ चुकी हैं, छत से प्लास्टर झड़ रहा है और बाउंड्री वॉल कई जगहों से टूटी हुई है। ग्रामीणों का सवाल है कि यदि निर्माण कार्य निर्धारित मानकों के तहत हुआ होता, तो इतनी जल्दी भवन जर्जर नहीं होता। उनका मानना है कि निर्माण के दौरान घटिया सामग्री उपयोग की गई और संबंधित अधिकारियों ने निगरानी नहीं की।
ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण कार्य में मिलीभगत के चलते सरकारी धन की भारी बंदरबांट की गई। अब ग्रामीणों ने इस भवन की तकनीकी जाँच और भ्रष्टाचार से जुड़े जिम्मेदार व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की माँग उठाई है। वे कह रहे हैं कि यदि समय रहते इस तरह के मामलों पर लगाम नहीं लगाया गया, तो भविष्य में भी सरकारी योजनाएँ भ्रष्टाचार का अड्डा बनती रहेंगी।
भवन उपयोग योग्य न होने पर निजी मकानों में चला संचालन,पुरानी इमारत की खस्ता हालत के कारण पिछले करीब दो वर्षों से आंगनवाड़ी का संचालन ग्रामवासियों के घरों में किया जा रहा था। कई परिवारों ने सामाजिक दायित्व और बच्चों की सुविधा को देखते हुए अपने घर उपलब्ध कराए। शासन के नियमों के अनुसार, ऐसे मकान मालिकों को प्रतिमाह किराया दिया जाना चाहिए था, लेकिन वास्तविकता इससे ठीक विपरीत रही।,ग्रामीणों ने बताया कि कई महीनों तक उन्हें समय पर भुगतान नहीं मिला और पिछले तीन महीनों से तो भुगतान पूरी तरह बंद है। मकान मालिकों का आरोप है कि अधिकारियों ने बिना कोई बकाया चुकाए, आंगनवाड़ी को अचानक उनके घरों से हटाकर दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया। इस मामले में पारदर्शिता और सहमति की प्रक्रिया को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।,बहुत से प्रभावित परिवारों ने बताया कि उन्होंने कई बार सचिव, सरपंच और आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक से भुगतान की जानकारी मांगी, मगर केवल आश्वासन मिला। इससे ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।,नई आंगनवाड़ी निर्माण में भी लापरवाही और संदेह
इसी बीच ग्राम पंचायत में नई आंगनवाड़ी का निर्माण कार्य एक वर्ष से अधिक समय से जारी है, लेकिन उसकी गति और गुणवत्ता दोनों पर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण सामग्री घटिया है, बीम और कॉलम टेढ़े-मेढ़े हैं, चौखट कमजोर और मानक से नीचे हैं, तथा किसी भी स्तर पर गुणवत्ता नियंत्रण नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य की निगरानी न तो पंचायत स्तर पर हो रही है और न ही विभागीय अधिकारियों द्वारा। ग्रामीणों के अनुसार, यदि निरीक्षण होता भी है, तो केवल कागजों में, जबकि जमीन पर स्थिति चिंताजनक है।,कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि निर्माण ठेकेदार और पंचायत के जिम्मेदारों के बीच मिलीभगत होने के कारण घटिया निर्माण पर कोई सवाल नहीं उठाया जा रहा। यहां तक कि कार्य की प्रगति भी निर्धारित समयसीमा में नहीं हो पाई। एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी भवन अधूरा पड़ा है।
ग्रामीणों की सामूहिक आवाज — “जाँच और कार्रवाई हो”,कंचनपुर के अनेक ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से प्रशासन को ज्ञापन सौंपने की तैयारी की है। ग्रामीणों का कहना है कि आंगनवाड़ी से जुड़ी यह पूरी प्रक्रिया — पुराने भवन का निर्माण, निजी मकानों में संचालन, भुगतान रोकना और नई इमारत का निर्माण — सब कुछ भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता है। लोगों का कहना है कि यह केवल आर्थिक अनियमितता का मामला नहीं, बल्कि बच्चों और महिलाओं से जुड़े कल्याणकारी कार्यक्रमों पर सीधी आंच है। यदि आंगनवाड़ी भवन सुरक्षित और मानक अनुसार न हों, तो बच्चों की शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर विपरीत असर पड़ता है।
ग्रामीणों ने यह भी मांग उठाई है कि जांच केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि तकनीकी विशेषज्ञों और उच्च अधिकारियों की संयुक्त टीम मौके पर पहुंचे और संबंधित दस्तावेजों की जांच करे। ठेकेदार, सरपंच, सचिव और विभागीय अधिकारियों की भूमिका स्पष्ट की जाए।,प्रशासन की चुप्पी पर सवाल अब तक इन शिकायतों को लेकर विभागीय स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि जब भी वे किसी अधिकारी से शिकायत करते हैं, तो केवल “देखा जाएगा” कहकर बात टाल दी जाती है। इस रवैये से लोगों का भरोसा सरकारी तंत्र पर कम होता जा रहा है।
कुछ लोगों ने यह भी बताया कि पंचायत में कई बार ऐसे निर्माण कार्य हुए हैं, जिनमें पारदर्शिता नहीं रही। लेकिन इस बार मामला बच्चों और महिलाओं की सुविधाओं से जुड़ा होने के कारण विरोध और आक्रोश अधिक तेज है।
स्थानीय प्रतिनिधियों की भूमिका पर उठ रहे सवाल
ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों और निगरानी में लगे अधिकारियों की निष्क्रियता भी ग्रामीणों को खल रही है। कई लोगों ने आरोप लगाया कि सरपंच और सचिव स्तर पर शिकायतें की गईं, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इससे यह संदेह गहरा रहा है कि उच्च स्तर पर भी इस भ्रष्टाचार को संरक्षण प्राप्त है।
कुछ ग्रामीणों ने कहा कि यदि प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, तो वे सामाजिक संगठनों और मीडिया की मदद से आवाज बुलंद करेंगे। कई लोगों ने जनप्रतिनिधियों को याद दिलाया कि आंगनवाड़ी जैसी योजनाएँ वोट पाने का साधन नहीं, बल्कि ग्रामीण बच्चों के भविष्य की नींव होती हैं।,बच्चों की सुरक्षा और पोषण पर मंडरा रहा खतरा,विशेषज्ञों का भी मानना है कि आंगनवाड़ी भवन यदि असुरक्षित और निम्न गुणवत्ता के होंगे, तो बच्चों की जान जोखिम में पड़ सकती है। वहीं, यदि संचालन में देरी हो या घटनास्थल बार-बार बदले जाएँ, तो पोषण आहार, टीकाकरण और प्री-स्कूल गतिविधियों पर असर पड़ना स्वाभाविक है।,ग्रामीणों का कहना है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका भी असमंजस में हैं, क्योंकि उन्हें भी उचित संसाधन और कार्यस्थल नहीं मिल रहे। ऐसी स्थिति में शासन की योजनाएँ केवल कागजी औपचारिकता बनकर रह जाती हैं।,जाँच न हुई तो होगा आंदोलन
ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही जाँच शुरू नहीं की गई, तो वे सामूहिक रूप से जिला मुख्यालय तक आवाज उठाएंगे। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी ग्रामीणों का समर्थन किया है और कहा है कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो वे RTI और जनसुनवाई के माध्यम से भी इस मामले को उठाएंगे।,ग्रामीणों की प्रमुख माँगें इस प्रकार हैं,पुराने आंगनवाड़ी भवन की तकनीकी जाँच और निर्माण सामग्री की समीक्षा।,निर्माण में संलिप्त अधिकारियों और ठेकेदारों की जिम्मेदारी तय की जाए।,निजी मकान मालिकों का लंबित भुगतान तत्काल जारी किया जाए।,नई आंगनवाड़ी निर्माण की गुणवत्ता की जाँच कर अधूरा कार्य समयबद्ध रूप से पूरा कराया जाए।
विभागीय अधिकारियों की भूमिका की जाँच कर लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई की जाए।,सरकार से भरोसेमंद पहल की उम्मीद,ग्रामीणों का कहना है कि सरकार चाहे तो एक सप्ताह में जांच कर दोषियों को चिन्हित कर सकती है। लेकिन यदि प्रशासनिक स्तर पर ही उदासीनता रही, तो यह संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।,कंचनपुर के लोगों ने साफ कहा है कि आंगनवाड़ी केवल भवन नहीं, बल्कि बच्चों का भविष्य है। यदि जनहित की योजनाओं में ही घोटाले होंगे, तो ग्रामीण विकास कैसे संभव होगा?,फिलहाल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन ग्रामीणों का संकल्प है कि जब तक न्याय नहीं मिलता, वे अपनी आवाज उठाना बंद नहीं करेंगे।