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धनतेरस 18 अक्टूबर को: अभी नोट करें पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट, जानें सुख-समृद्धि के लिए कलश स्थापना और यम दीपदान की विधि Aajtak24 News |
भोपाल - दीपोत्सव का पंच दिवसीय पर्व 18 अक्टूबर को धनतेरस के साथ शुरू होने वाला है। इस दिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि मनाई जाएगी। दीवाली की तैयारियों के बीच अक्सर लोग धनतेरस की पूजा सामग्री जुटाने में हड़बड़ी कर देते हैं। इस गड़बड़ी से बचने और शुभता सुनिश्चित करने के लिए, यहां धनतेरस की पूजा में लगने वाली सभी आवश्यक सामग्री और पूजा की आसान विधि विस्तार से बताई गई है। धनतेरस पर मुख्य रूप से मां लक्ष्मी (धन की देवी), भगवान गणेश (विघ्नहर्ता), भगवान धन्वंतरि (स्वास्थ्य और आयु के देवता) और कुबेर जी (खजाने के संरक्षक) की पूजा की जाती है। इस दिन सोने, चांदी के सिक्के या नए बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।
📋 धनतेरस पूजा सामग्री की संपूर्ण सूची
पूजा की शुरुआत से पहले ये वस्तुएं अवश्य जुटा लें:
देवताओं की मूर्तियाँ/तस्वीरें: मां लक्ष्मी, भगवान गणेश जी (बैठी हुई मुद्रा में), धन्वंतरि और कुबेर जी।
चौकी एवं वस्त्र: लकड़ी की चौकी, लाल या पीले रंग का कपड़ा, नई झाड़ू।
स्थापना हेतु: गंगाजल, कलश, नारियल, आम के पत्ते।
दीपक व सुगंध: मिट्टी के दीए (कुल 13), घी का दीपक, रूई और बत्ती, अगरबत्ती, धूप, कपूर, माचिस।
तिलक व अर्घ्य: रोली (कुमकुम), हल्दी, सिंदूर, अक्षत (चावल), मौली, जनेऊ, फूल और माला।
भोग व प्रसाद: मिठाई, फल, शक्कर या गुड़।
विशेष वस्तुएं: चांदी/सोने के सिक्के, एक रुपये का सिक्का, नया बर्तन।
✨ धनतेरस पूजा की आसान और सही विधि
पूजा की सफलता के लिए इसे निम्न चरणों में करें:
पूजा की तैयारी: धनतेरस वाले दिन पूजा घर की सफाई करें और सामने छोटी सी रंगोली बनाएं।
चौकी स्थापना: ईशान कोण में पूजा की चौकी लगाकर उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। चौकी पर गंगाजल छिड़कें और पास में ही कलश की स्थापना करें।
देवताओं का आह्वान: चौकी पर लक्ष्मी-गणेश, धन्वंतरि और कुबेर जी की मूर्तियाँ/तस्वीरें रखें।
पूजा का क्रम:
सबसे पहले विघ्नहर्ता भगवान गणेश का आह्वान कर उन्हें फूल, मिठाई और फल अर्पित करें।
इसके बाद भगवान धन्वंतरि की पूजा करें। उन्हें हल्दी, सिंदूर, चावल और जल अर्पित कर मंत्रों का जाप करें।
शाम के समय उत्तर दिशा में मां लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा करें। उन्हें हल्दी, चंदन, कुमकुम, फूल, माला, अक्षत, धूपबत्ती, दीपक और मिठाई अर्पित करें।
🔥 यम दीपदान: अकाल मृत्यु से सुरक्षा
धनतेरस की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यम दीपदान है, जिससे अकाल मृत्यु से बचाव होता है:
पूजा के बाद कुल 13 दीए जलाकर भगवान को भोग लगाएं और आरती करें।
इनमें से एक दीया आटे के चौमुखे दीपक में सरसों का तेल डालकर तैयार करें। इस दीपक पर तिलक, अक्षत, फूल, चीनी और एक रुपये का सिक्का चढ़ाएं।
इस दीपक को प्रणाम करके घर के मुख्य द्वार पर रखें। ध्यान रहे कि इसकी लौ दक्षिण दिशा की ओर हो। ये दीए यमराज, चित्रगुप्त और यमदूत के लिए होते हैं।