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फसल बीमा: बाढ़, सूखा और चक्रवात से किसानों की 'ढाल', राज्यों में योजना का विस्तृत हाल Aajtak24 News |
नई दिल्ली - लगातार हो रही वर्षा और विनाशकारी बाढ़ ने देश के कई राज्यों में किसानों की कमर तोड़ दी है। खड़ी फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे विकट समय में, जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराया था, वे कुछ हद तक राहत की स्थिति में हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), जो राष्ट्रीय स्तर पर लागू है, और इसके अलावा कई राज्यों की अपनी विशिष्ट फसल बीमा योजनाएं, किसानों के लिए एक मजबूत 'बीमा कवच' का काम कर रही हैं। यह योजनाएं न केवल प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान पर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती हैं, बल्कि किसानों को आत्मविश्वास के साथ खेती जारी रखने के लिए प्रेरित भी करती हैं।
PMFBY: किसानों के लिए 'ढाल' और 'सशक्तिकरण' का माध्यम
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का उद्देश्य किसानों को फसल की बुवाई से लेकर कटाई के बाद तक के पूरे फसल चक्र को कवर करते हुए, प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और रोगों से होने वाले नुकसान से बचाना है। यह योजना किसानों को न्यूनतम प्रीमियम पर बीमा उपलब्ध कराकर उन्हें आर्थिक रूप से स्थिर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
PMFBY के मुख्य बिंदु:
व्यापक कवरेज: यह योजना खरीफ फसलों के लिए 2% और रबी फसलों के लिए 1.5% के समान प्रीमियम पर व्यापक सुरक्षा प्रदान करती है। वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए यह प्रीमियम 1.5% है।
वित्तीय सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, चक्रवात, ओलावृष्टि, और कीट प्रकोप से फसल खराब होने की स्थिति में, किसान बीमा क्लेम के रूप में वित्तीय राहत प्राप्त करते हैं। यह उन्हें कर्ज के जाल में फंसने से बचाता है और उन्हें बेहतर कृषि पद्धतियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
न्यूनतम प्रीमियम: छोटे और सीमांत किसानों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, प्रीमियम राशि को कम रखा गया है। शेष प्रीमियम का अधिकांश हिस्सा (5.0%) केंद्र और राज्य सरकारें वहन करती हैं, और कई राज्यों में यह किसानों के लिए पूरी तरह मुफ्त है।
आधुनिक तकनीकों का प्रयोग: जलवायु परिवर्तन के बढ़ते जोखिमों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, योजना में YES-TECH, WINDS, AWS और ARG जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे नुकसान का सटीक आकलन और समय पर दावों का भुगतान सुनिश्चित होता है।
सीधा लाभ (DBT): बीमा दावा राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से भेजी जाती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है और बिचौलियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।
राज्यों में फसल बीमा की स्थिति: एक विस्तृत विश्लेषण
जम्मू-कश्मीर: 2017 के खरीफ सीजन से लागू PMFBY ने यहां प्रीमियम और दावों के निपटान में उल्लेखनीय वृद्धि की है। 2023-24 तक, सभी 20 जिलों में 2,45,628 किसान बीमित हो चुके हैं, जो इस योजना की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।
बिहार: बिहार में मुख्यमंत्री फसल सहायता योजना लागू है, जो पूर्णतः निःशुल्क है। प्रभावित क्षेत्र के सभी किसानों को इसमें कवर किया जाता है, और उन्हें कोई प्रीमियम नहीं देना पड़ता।
पश्चिम बंगाल: यहां कृषक बंधु योजना के तहत किसानों को प्रति वर्ष ₹10,000 दिए जाते हैं, जबकि बांग्ला शस्य बीमा योजना निःशुल्क फसल बीमा प्रदान करती है। किसान और बटाईदार दोनों इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
पंजाब: पंजाब ने 2015 में PMFBY को अपनाने से मना कर दिया था। हालांकि, हालिया फसल नुकसान को देखते हुए, सरकार अपनी खुद की योजना लागू करने पर विचार कर रही है।
उत्तराखंड: PMFBY 2016 से लागू है। इसके अतिरिक्त, मौसम आधारित फसल बीमा योजना भी चल रही है, जिसमें 77,327 किसान शामिल हैं।
मध्य प्रदेश: राज्य के 55 जिलों में PMFBY लागू है, जिससे 90 लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं, जो राज्य के कुल 1.10 करोड़ किसानों का एक बड़ा हिस्सा है।
राजस्थान: PMFBY के तहत 74 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत ₹3,000 की वार्षिक सहायता भी दी जाती है।
हरियाणा: यहां किसान पिछले आठ वर्षों से योजना का लाभ ले रहे हैं। खास बात यह है कि पंजीकरण न कराने वाले किसानों को भी प्रति एकड़ ₹15,000 का मुआवजा देने का प्रावधान है।
उत्तर प्रदेश: चालू खरीफ सत्र में 20,41,127 किसान योजना का लाभ उठा रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान का आकलन किया जा रहा है, और मुआवजा वितरण की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
यह योजना हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड व ओडिशा समेत कुल 27 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में लागू है, जो देश भर के लाखों किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान कर रही है।