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| 2027 की जनगणना: देश की पहली पूर्ण डिजिटल जनगणना, 2011 के मुकाबले होंगे बड़े बदलाव Aajtak24 News |
नई दिल्ली - साल 2027 में होने वाली जनगणना भारत की पहली पूर्णतः डिजिटल जनगणना होगी, जो पिछले सभी जनगणनाओं से काफी अलग होगी। इस बार, 34 लाख से अधिक गणनाकर्मी अपने स्मार्टफोन का उपयोग करके डेटा एकत्र करेंगे, जिससे कागजी कार्रवाई पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। यह एक ऐतिहासिक बदलाव है जो न केवल डेटा संग्रह की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा, बल्कि परिणामों की घोषणा में लगने वाले समय को भी काफी कम कर देगा।
मोबाइल ऐप और स्व-गणना: आधुनिकता का स्पर्श
2027 की जनगणना में गणनाकर्मी एंड्रॉइड और आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले एक विशेष मोबाइल ऐप का उपयोग करेंगे। यह ऐप, जिसे 2021 की जनगणना के लिए विकसित किया गया था और अब उसमें कई तकनीकी सुधार किए गए हैं, अंग्रेजी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध होगा। इससे विभिन्न पृष्ठभूमि के कर्मी बिना किसी कठिनाई के डेटा दर्ज कर सकेंगे। सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक स्व-गणना (self-enumeration) का विकल्प है। पहली बार, नागरिक अपने परिवार के बारे में जानकारी स्वयं दर्ज कर सकेंगे। यह न केवल गणनाकर्मियों पर बोझ कम करेगा, बल्कि डेटा की सटीकता को भी बढ़ा सकता है, क्योंकि लोग स्वयं अपने विवरण की पुष्टि करेंगे।
जियो-टैगिंग: हर इमारत की डिजिटल पहचान
2027 की जनगणना की एक और अनूठी विशेषता सभी आवासीय और गैर-आवासीय भवनों की जियो-टैगिंग होगी। इसका अर्थ है कि हर इमारत को उसके सटीक भौगोलिक निर्देशांक (latitude and longitude) के साथ मैप किया जाएगा। यह कार्य पिछली किसी भी जनगणना में नहीं किया गया था। जियो-टैगिंग डेटा संग्रह को अधिक सटीक बनाएगा, योजनाओं के निर्माण में मदद करेगा, और भविष्य में जनगणना संबंधी सर्वेक्षणों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा। 2011 की जनगणना में, हालांकि कुछ हद तक टैबलेट का उपयोग किया गया था, लेकिन मुख्य रूप से कागजी फॉर्म ही इस्तेमाल हुए थे। 2027 की जनगणना में, यदि कोई गणनाकर्मी किसी कारणवश कागज़ पर डेटा एकत्र करता भी है, तो उसे एक समर्पित वेब पोर्टल पर अपलोड करना होगा, जिससे बाद में स्कैनिंग या डेटा एंट्री की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। इस प्रकार, हर स्तर पर डेटा डिजिटल ही रहेगा।
समय-सीमा और बजट
यह जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी:
पहला चरण: अप्रैल से सितंबर 2026 तक मकान सूचीकरण का कार्य चलेगा।
दूसरा चरण: फरवरी 2027 में जनसंख्या गणना शुरू होगी, जो पूरे देश में फैलेगी। हालाँकि, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में यह कार्य सितंबर 2026 में ही पूरा कर लिया जाएगा।
इस पूरी प्रक्रिया के लिए 14,618.95 करोड़ रुपये के बजट की मांग की गई है, जो इस महत्वाकांक्षी परियोजना के पैमाने को दर्शाता है। भारत का महापंजीयक (RGI) कार्यालय, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है, इस प्रक्रिया की रियल-टाइम निगरानी के लिए एक वेबसाइट भी विकसित कर रहा है।
2011 से मुख्य अंतर
| विशेषता | 2011 की जनगणना | 2027 की जनगणना |
| डेटा संग्रह | मुख्य रूप से कागजी फॉर्म, टैबलेट का सीमित उपयोग | पूर्णतः डिजिटल, स्मार्टफोन-आधारित ऐप का उपयोग |
| गणनाकर्मी | कागजी फॉर्म भरेंगे, कुछ टैबलेट का प्रयोग | स्मार्टफोन पर विशेष ऐप का उपयोग करेंगे |
| स्व-गणना | उपलब्ध नहीं | पहली बार उपलब्ध |
| भवन जियो-टैगिंग | नहीं | पहली बार सभी भवनों की जियो-टैगिंग |
| डेटा प्रक्रिया | कागजी डेटा को बाद में डिजिटल किया जाता था | डेटा कर्मियों के स्तर पर ही डिजिटल होगा, रियल-टाइम अपलोड |
| परिणाम | देरी से जारी होते थे | जल्दी नतीजे आने की संभावना |
| बजट | (अनुमानित) | 14,618.95 करोड़ रुपये |
