![]() |
आदेश कागज़ों तक सीमित, सड़कें आज भी आवारा मवेशियों के कब्ज़े में – आदेशों की हकीकत उजागर Aajtak24 News |
रीवा - प्रदेश में आवारा मवेशियों की समस्या लंबे समय से जनता के लिए गंभीर खतरा बनी हुई है। आदेश दर आदेश जारी होते हैं, बैठकें होती हैं, रणनीतियाँ बनती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात जस के तस बने रहते हैं। यही वजह है कि आए दिन सड़क हादसों में निर्दोष लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। रीवा और मऊगंज दोनों जिलों में कलेक्टरों ने हाल ही में सख्त आदेश जारी किए, वहीं गंगेव जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने तो यहां तक लिखा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के त्योंथर आगमन के दौरान सड़क पर कोई भी आवारा मवेशी दिखा तो संबंधित पंचायत सचिव और रोजगार सहायक पर कठोर कार्रवाई होगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह आदेश केवल मुख्यमंत्री के दौरे तक सीमित रहेंगे या आम जनता की सुरक्षा के लिए स्थायी कदम उठाए जाएंगे?
रीवा कलेक्टर का आदेश – एफआईआर तक की चेतावनी
रीवा कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने जुलाई 2025 में स्पष्ट आदेश जारी किया था कि यदि सड़कों पर आवारा मवेशी पाए गए तो उनके मालिकों पर जुर्माना लगाने के साथ-साथ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी। आदेश में नेशनल हाइवे से लेकर प्रमुख मार्गों तक से मवेशियों को हटाने का अभियान चलाने की बात कही गई। नगर निगम, पशुपालन विभाग और ग्रामीण निकायों को जिम्मेदारी सौंपी गई कि वे गौशालाओं में व्यवस्था सुनिश्चित करें। कलेक्टर ने साफ कहा था कि यदि किसी पंचायत क्षेत्र में मवेशी सड़क पर पाए जाते हैं, तो संबंधित सचिव और रोजगार सहायक को दोषी माना जाएगा। आदेश में इतना कठोर स्वर होने के बावजूद आज भी रीवा शहर से लेकर ग्रामीण मार्गों तक मवेशियों का कब्ज़ा साफ देखा जा सकता है।
बैठक में फिर उठा मुद्दा – सड़क हादसों को रोकने की चिंता
हाल ही में रीवा कलेक्टर ने एक बैठक में माना कि रीवा जिला प्रदेश के छह दुर्घटना-संवेदनशील जिलों में शामिल है। उन्होंने कहा कि रीवा-मनगवां और मनगवां-चाकघाट मार्ग पर अवैध कट्स और सड़क किनारे अवैध निर्माण हादसों की बड़ी वजह बन रहे हैं। हाइवे किनारे ढाबों और मोड़ों पर वाहनों के अवैध खड़े रहने से भी कई हादसे हो चुके हैं। कलेक्टर ने आदेश दिया कि ऐसे स्थानों पर उचित साइन बोर्ड लगाए जाएं, अवैध कब्ज़े हटाए जाएं और वाहनों को सड़क किनारे खड़ा करने वालों पर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा उन्होंने मनगवां ओवरब्रिज की समस्या, जलभराव और क्षतिग्रस्त सड़कों को सुधारने की बात कही। लेकिन सवाल वही है – क्या बैठक के आदेशों का पालन हो रहा है या यह केवल कागजों में ही सीमित रह जाएंगे?
मऊगंज कलेक्टर का आदेश – हादसों की रोकथाम की नसीहत
4 सितंबर 2025 को मऊगंज कलेक्टर ने आदेश जारी किया कि आवारा मवेशियों की वजह से सड़क दुर्घटनाएं और फसल नुकसान रुकना चाहिए। आदेश में यह भी कहा गया कि पंचायत सचिव और रोजगार सहायक जिम्मेदार होंगे और यदि लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई होगी। मऊगंज जिले के ग्रामीण इलाकों में यह समस्या और भी गंभीर है। कई बार किसान रातभर खेतों की रखवाली करने को मजबूर हो जाते हैं। एक किसान ने कहा— “हमने प्रशासन को बार-बार शिकायत दी, लेकिन न तो गौशाला में व्यवस्था है और न ही कोई ठोस कदम। सरकार हर बार आदेश निकालती है, लेकिन हालात वहीं के वहीं हैं।
गंगेव जनपद पंचायत का आदेश – सिर्फ मुख्यमंत्री के दौरे तक!
सबसे हैरानी की बात यह है कि 15 सितंबर को जनपद पंचायत गंगेव द्वारा जारी आदेश में साफ लिखा गया कि मुख्यमंत्री के त्योंथर आगमन के दिन कोई भी मवेशी सड़क पर न दिखे। इसके लिए सचिव और रोजगार सहायकों को अस्थायी बाड़े और भोजन-पानी की व्यवस्था करने को कहा गया। यानी यह आदेश साफ संकेत देता है कि प्रशासन की चिंता आम जनता की सुरक्षा नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की यात्रा है। सवाल यह उठता है कि क्या आवारा मवेशी केवल मुख्यमंत्री के आने पर ही खतरा हैं? आम नागरिकों की जान की कीमत आखिर क्यों इतनी सस्ती मानी जाती है?
आदेश बनाम हकीकत – हादसे थम नहीं रहे
इन आदेशों के बावजूद सड़क हादसे लगातार हो रहे हैं। ताजा मामला सीधी जिले का है, जहां एक बोलेरो ट्रक से टकरा गई। हादसे की वजह यह थी कि चालक अचानक सामने आए मवेशियों से बचने की कोशिश कर रहा था। इस भीषण दुर्घटना में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और तीन घायल हो गए। रीवा-मनगवां मार्ग पर भी आए दिन ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं। बाइक सवार और कार चालक अचानक सड़क पर आए मवेशियों से टकराकर घायल हो जाते हैं। कई मामलों में तो परिवारों के कमाने वाले सदस्य की मौत हो जाती है, जिससे उनके परिजनों का जीवन बर्बाद हो जाता है। एक हादसे के शिकार परिवार के सदस्य ने कहा— “अगर प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई की होती तो आज यह हादसा नहीं होता। आदेश सिर्फ दिखावे के लिए निकाले जाते हैं, उन पर कोई अमल नहीं होता।”
किसानों पर दोहरी मार
यह समस्या सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं है। खेतों में भी आवारा मवेशी फसलों को चौपट कर रहे हैं। किसान दिन-रात फसलों की रखवाली करने को मजबूर हैं। कई जगह किसान पारंपरिक तरीके से खेतों के चारों ओर कांटे लगाकर या रातभर जागकर मवेशियों को भगाते हैं। किसानों का कहना है कि सरकार गौशालाओं पर करोड़ों रुपये खर्च दिखाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर अधिकांश गौशालाओं में न तो पर्याप्त भोजन है और न ही पानी की व्यवस्था। यही वजह है कि मवेशी गांव-गांव भटकते रहते हैं।
जनता के सवाल – आखिर जिम्मेदार कौन?
आम जनता का सवाल है कि यदि आदेश जारी होने के बाद भी हालात नहीं सुधरते, तो यह जिम्मेदारी किसकी है? क्या अधिकारी केवल आदेश जारी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं? क्या पंचायत सचिव और रोजगार सहायक पर कार्रवाई ही पर्याप्त है या बड़े स्तर पर भी जवाबदेही तय होनी चाहिए? लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन वास्तव में गंभीर है, तो उसे आदेशों को कड़ाई से लागू करना होगा, स्थायी गौशालाओं की व्यवस्था करनी होगी और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी।