लापरवाही का पूरा सच: बिना प्लान, सिर्फ बजट खपत
ग्रामीणों का कहना है कि जनपद पंचायत और संबंधित अधिकारियों ने कागजी खानापूर्ति कर नाली निर्माण को मंजूरी दे दी, जबकि इसकी कोई तकनीकी या भौगोलिक जरूरत नहीं थी। इस नाली के पानी की निकासी की कोई व्यवस्था ही नहीं है, जिससे पानी बस्ती में ही जमा होने की आशंका है। यह लापरवाही तब और भी गंभीर हो जाती है, जब याद आता है कि पिछले कई सालों में जो भी नाली बनाई गई, वह कुछ समय बाद टूट गई या सरपंच के बदलने पर उसे तोड़कर नया निर्माण शुरू कर दिया गया।
मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़: खतरे में स्कूली बच्चे
सबसे बड़ी चिंता का विषय वह रास्ता है, जहां यह नाली बन रही है। इसी मार्ग से कन्या शाला, प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र के सैकड़ों बच्चे रोज आते-जाते हैं। निर्माणाधीन नालियों के किनारे कोई सुरक्षा बैरिकेडिंग नहीं है। खुदाई के गड्ढे खुले पड़े हैं और बारिश के इस मौसम में कीचड़ और फिसलन से कभी भी कोई बच्चा गंभीर हादसे का शिकार हो सकता है। यह लापरवाही सीधे तौर पर बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है, जिस पर प्रशासन की चुप्पी हैरान करने वाली है।
पुरानी बस्ती पर ढहने का खतरा
गढ़ पंचायत की बस्ती आज भी पुराने जमाने की शैली में बनी हुई है, जहां अधिकांश घर बिना मजबूत नींव और पिलर के खड़े हैं। नाली की खुदाई इन्हीं मकानों के बेहद करीब की जा रही है, जिससे मिट्टी कटने और नींव कमजोर होने से घरों के ढहने का खतरा बढ़ गया है। एक तरफ से नाली और दूसरी ओर बारिश का पानी, इस स्थिति ने हालात को और भी गंभीर बना दिया है।
स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी
कुछ साल पहले स्वास्थ्य विभाग ने इसी बाजार क्षेत्र में जांच कर फाइलेरिया और मच्छरजनित बीमारियों के खतरे की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद, जल निकासी की व्यवस्था को ठीक करने की जगह इस तरह का अव्यवस्थित निर्माण किया जा रहा है, जिससे समस्या और बढ़ सकती है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की इस पूरे मामले में चुप्पी ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी केवल भूमिपूजन तक सीमित है?
उच्च स्तरीय जांच की मांग
गढ़ पंचायत के नागरिकों ने जिला प्रशासन और सरकार से इस पूरे निर्माण कार्य की स्वतंत्र तकनीकी और वित्तीय जांच कराने की मांग की है। वे चाहते हैं कि जांच में पता चले कि किस आधार पर यह काम शुरू हुआ, कितना बजट खर्च हुआ और क्या सुरक्षा मानकों का पालन किया गया। यदि इसमें लापरवाही या भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है, तो जिम्मेदार अधिकारियों, इंजीनियरों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सख्त आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के मनमाने निर्माण पर रोक लग सके। यह सिर्फ गढ़ पंचायत की नहीं, बल्कि उन सभी जगहों की कहानी है, जहां जनता की आवाज को विकास के नाम पर दबा दिया जाता है।